भारतीय संस्कृति का अपमान करने वालों को कभी ‘धर्मनिरपेक्ष’ कहा जाता था : CM योगी

Last Updated 09 Oct 2025 03:13:09 PM IST

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरूवार को कहा कि आजादी के बाद भारत में कुछ लोगों ने धर्मनिरपेक्षता के अर्थ को विकृत कर दिया और भारतीय परंपराओं और मूल्यों का मजाक उड़ाने वालों को ‘सच्चा धर्मनिरपेक्ष’ मान लिया।


आदित्यनाथ ने झांसी में अखिल भारतीय विद्या भारती शिक्षण संस्थान समूह की 36वीं क्षेत्रीय खेलकूद प्रतियोगिता के समापन समारोह को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘आजादी के बाद धर्मनिरपेक्ष दिखने की होड़ मच गई। लोगों ने धर्मनिरपेक्षता को अपने-अपने तरीके से परिभाषित किया। जो लोग भारत की परंपराओं, संस्कृति और मूल्यों की आलोचना या अपमान करते थे उन्हें ज्यादा धर्मनिरपेक्ष माना जाता था। इस मानसिकता ने देश में अलगाव और उग्रवाद का माहौल पैदा किया।’’

मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे लोगों का महिमामंडन करने की संस्कृति आजादी के तुरंत बाद शुरू हुई। ⁠

उन्होंने कहा, ‘‘विद्या भारती जैसी संस्थाओं ने इस सोच के खतरे को पहचाना और बिना किसी सरकारी मदद के राष्ट्रीय और सांस्कृतिक मूल्यों पर आधारित शिक्षा केंद्र स्थापित करने के लिए काम किया।’’

मुख्यमंत्री ने शिक्षा के माध्यम से राष्ट्रवाद की भावना जागृत करने वाले ‘अग्रणी’ संगठनों में से एक होने के लिए विद्या भारती की प्रशंसा की।

तुलसीदास को उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘जिनके पास आस्था है, उन्हें ज्ञान भी प्राप्त होगा। अब मुझे बताइए कि जिस व्यक्ति में भारत के प्रति आस्था और उसकी संस्कृति के प्रति सम्मान का अभाव है उससे यह कैसे उम्मीद की जा सकती है कि वह इस राष्ट्र को समझेगा या इसके मूल्यों के अनुरूप व्यवस्थाओं के निर्माण में योगदान देगा?’’

आदित्यनाथ ने कहा कि वर्ष 1947 की सरकार भारतीय लोकाचार के अनुरूप शिक्षा प्रणाली बनाने में विफल रही। बाद में 1952 में उसे गोरखपुर में सरस्वती शिशु मंदिर की स्थापना के माध्यम से हासिल किया गया जिसने विद्या भारती के राष्ट्रव्यापी संजाल की नींव रखी।

उन्होंने कहा, ‘‘आज, उस एक विद्यालय से विद्या भारती एक ऐसे आंदोलन के रूप में विकसित हो गई है जो राष्ट्र के सांस्कृतिक और नैतिक ताने-बाने को पोषित करने के लिए समर्पित 25 हजार से अधिक शैक्षणिक संस्थानों का संचालन कर रहा है।’’

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘यह गर्व की बात है कि विद्या भारती आज पूरे भारत में 25 हजार से अधिक औपचारिक और अनौपचारिक शिक्षा केंद्र चलाती है। इस आंदोलन का बीज 1952 में बाबा गोरखनाथ की भूमि गोरखपुर में राष्ट्रऋषि नानाजी देशमुख ने बोया था।’’

आदित्यनाथ ने संस्था के विकास का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘इन केंद्रों ने पीढ़ियों को भारतीय मूल्यों पर गर्व करने के लिए प्रेरित किया है। देश भर में 25 हजार से अधिक प्रशिक्षण संस्थान आम नागरिकों के मन में भारतीय परंपराओं के प्रति श्रद्धा की भावना जगाने में मदद कर रहे हैं।’’

मुख्यमंत्री ने बुंदेलखंड की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, ‘‘झांसी और ओरछा सहित यह क्षेत्र भगवान राम के प्रति अपनी अटूट भक्ति के लिए जाना जाता है। यही वह भूमि है जिसने दुनिया को तुलसीदास जैसे संत भी दिये।’’

आदित्यनाथ ने 1858 में अपनी मातृभूमि के लिए अंग्रेजों से लड़ते हुए अपने प्राणों की आहुति देने वाली झांसी की रानी लक्ष्मीबाई और झांसी के रहने वाले महान ओलंपियन हॉकी खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद की भी सराहना की।
 

भाषा
झांसी (उप्र)


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