SHe-Box: यूपी में कामकाजी महिलाओं की शिकायत के लिए ‘शी-बॉक्स’
SHe-Box: उत्तर प्रदेश सरकार में कार्यस्थल पर उत्पीड़न की शिकार महिलाएं ‘शी-बॉक्स’ (SHe-Box)नामक पोर्टल के माध्यम से शिकायत दर्ज करा सकेंगी।
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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर सभी सरकारी व निजी संस्थानों में आंतरिक समिति (आईसी) के गठन को अनिवार्य किया गया था, जिसके तहत अब तक 84 विभागों ने समिति बनाकर इसकी जानकारी पोर्टल पर अपलोड कर दी है। सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि प्रदेश के सभी 75 जिलों में उन कार्यस्थलों पर यह व्यवस्था लागू हो जहां 10 या उससे अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं।
इसके तहत इन कार्यस्थलों पर आंतरिक समिति का गठन अनिवार्य है, जिसमें कम से कम 50 प्रतिशत महिला सदस्य होंगी और समिति की अध्यक्ष भी महिला ही होगी।
बयान के अनुसार यह सुविधा न केवल सरकारी बल्कि निजी क्षेत्रों में कार्यरत महिलाओं के लिए भी उपलब्ध है। बयान में कहा गया है कि विशेष बात यह है कि यह पोर्टल छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं के लिए आवाज उठाने का एक गोपनीय व सशक्त माध्यम बनेगा।
सरकार ने सभी जिलों में इस अभियान की निगरानी की जिम्मेदारी जिला ‘प्रोबेशन’ अधिकारियों को सौंपी है। इसके अलावा असंगठित क्षेत्र में महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए गैर-सरकारी संगठनों की मदद भी ली जाएगी। बयान के अनुसार महिला कल्याण विभाग का स्पष्ट निर्देश है कि हर संस्था समिति का गठन करे, शिकायतें दर्ज की जाएं और उनका निपटारा समय पर हो।
बयान में कहा गया है कि यदि कोई संस्था इस आदेश की अवहेलना करती है तो उसके खिलाफ विधिक कार्रवाई की जाएगी। इन समितियों में चार से पांच सदस्य होंगे, जो कर्मचारियों की संख्या के आधार पर तय किए जाएंगे।
महिला एवं बाल विकास विभाग की उप निदेशक और नोडल अधिकारी अनुंिसह ने बताया कि ‘शी-बाक्स’ पोर्टल एक सिंगल-विंडो ऑनलाइन शिकायत निवारण प्रणाली है।
उन्होंने कहा कि यह पोर्टल सरकारी व निजी दोनों क्षेत्रों में कार्यरत महिलाओं के लिए उपलब्ध है और कोई भी महिला शारीरिक संपर्क, अभद्र इशारे, अश्लील टिप्पणियां या काम के बदले अनुचित मांग जैसी यौन उत्पीड़न की शिकायतें इस पोर्टल पर दर्ज करा सकती है।
उन्होंने बताया कि शिकायत दर्ज होने के बाद यह सीधे संबंधित आंतरिक समिति या स्थानीय समिति को भेजी जाती है, जिसे 90 दिनों के अंदर निवारण करना होगा। पोर्टल की खासियत यह है कि यह गोपनीयता सुनिश्चित करता है और शिकायतकर्ता को ‘ट्रैकिंग आईडी’ के जरिए शिकायत की स्थिति की जानकारी मिलती रहती है।
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