नगर निकाय चुनाव में कूदे राजभर, बिगड़ सकता है बड़ी पार्टियों का समीकरण
नगर निकाय चुनाव में निर्दलीय प्रत्यासी बड़ी-बड़ी पार्टियों के उम्मीदवारों के छक्के छुड़ाते रहे हैं। सिर्फ मेयर और पार्षद के पदों पर भाजपा अपना दबदबा कायम कर पायी जबकि नगर पंचायत और नगर पालिका परिषदों में मिला जुला परिणाम रहा।
![]() नगर निकाय चुनाव में कूदे राजभर |
निर्दलीय प्रत्याशियों से निपटने की तैयारी में लगीं, भाजपा, सपा और बसपा के सामने अब सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर भी आ खड़े हुए हैं।
राजभर ने पांच मेयर प्रत्याशियों के नामों की घोषणा भी कर दी। राजभर प्रदेश के इकलौते ऐसे नेता हैं जो उत्तर प्रदेश में बहुत पहले से शराबबंदी की बात करते चले आ रहे हैं। नगर निकाय चुनाव में अब तक सबसे बढ़िया परफॉर्मेंस करने वाली भाजपा, शायद इस बार वैसा प्रदर्शन न कर पाए जैसा कि उसने 2017 के चुनाव में किया था। 2017 में 16 नगर निगमों में मेयर के चुनाव हुए थे, जिसमे 14 सीटों पर भाजपा के प्रत्यासी जीते थे। दो सीटों पर बसपा को सफलता मिली थी।
जहां तक सवाल पार्षदों का है, उसमे भाजपा के 46 प्रतिशत उम्मीदवार जीत कर आए थे। निर्दलीय 17 प्रतिशत ,सपा 15 प्रतिशत और बसपा के 11 प्रतिशत जबकि कांग्रेस के मात्रा चार प्रतिशत उम्मीदवार विजयी हुए थे। पिछले चुनाव में सभी पार्टियों के लिए निर्दलीय उम्मीदवार सिरदर्दी का कारण बने हुए थे। सभी पार्टियां इस फिराक में थी कि निर्दलीय प्रत्याशियों को लेकर क्या रणनीति बनाई जाय ताकि उनके मुकाबले उन पार्टियों के ज्यादा से ज्यादा प्रत्यासी जीत सकें। उन सभी पार्टियों की रणनीति अभी सिरे चढ़ती उसके पहले ही उसके पहले ही राजभर मैदान में कूद पड़े।
सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने लखनऊ, बनारस,प्रयागराज ,गाजियाबाद और कानपुर में मेयर प्रत्याशियों की सूचि जारी कर दी है। इसके अलावा नगर पालिका परिषद के लिए 87 जबकि नगर पंचायत के लिए 17 उम्मीदवारों की सूचि जारी कर दी। राजभर की पार्टी का कोई भी उम्मीदवार मेयर की सीट नहीं जीत पायेगा, यह सत्य है, लेकिन नगर पालिका परिषद् और नगर पंचयतों में उनकी पार्टी बहुतों का खेल बिगाड़ सकती है। बल्कि यूँ कहिए कि इस बार निर्दलीय उम्मीदवारों की भूमिका में राजभर की पार्टी होगी।
यानि निर्दलीय उम्मीदवारों से पहले से ही परेशान पार्टियां, इस राजभर की पार्टी से परेशान होतीं दिखाई देंगी। 2017 के चुनाव में बसपा के दो मेयर बने थे। एक मेरठ से जबकि दूसरा अलीगढ़ से। इस बार सपा और रालोद साथ हैं लिहाजा संभव है कि बसपा की सीटों में भी इस बार सेंध लग जाए।
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