राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सातवें भारत जल सप्ताह के उद्घाटन अवसर पर जताई चिंता, बढ़ती आबादी के लिए साफ पानी बड़ी चुनौती

Last Updated 02 Nov 2022 07:50:43 AM IST

इंडिया एक्सपो सेंटर में मंगलवार से शुरू हुए सातवें भारत जल सप्ताह का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्म ने किया।


ग्रेटर नोएडा में मंगलवार को इंडिया एक्सपो सेंटर में सातवें भारत जल सप्ताह का उद्घाटन करतीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू। साथ में हैं राज्यपाल आनंदी बेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत।

इस मौके उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, राज्यमंत्री बिेर तुडु, प्रहलाद सिंह पटेल मौजूद रहे। राष्ट्रपति ने जल संसाधन की मौजूदा स्थिति पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि बढ़ती आबादी के कारण हमारी नदियों और जलाशयों की हालत बिगड़ रही है। गांव के तालाब सूख रहे हैं और कई स्थानीय नदियां विलुप्त हो गई हैं। बढ़ती आबादी को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराना आने वाले वर्षो में एक बड़ी चुनौती होगी। पानी का मुद्दा बहुआयामी और जटिल है,जिसके लिए सभी हितकारकों को प्रयास करने चाहिए। हम सभी जानते हैं कि पानी सीमित है। ऐसे में उचित उपयोग और पुनर्चक्रमण ही जल संसाधन को लंबे समय तक बनाए रख सकता है। इसलिए सभी को इस संसाधन का सावधानी पूर्वक उपभोग करने का प्रयास करना चाहिए।
राष्ट्रपति ने आम लोगों, किसानों, उद्योगपतियों और विशेषकर बच्चों से जल संरक्षण को अपनी नैतिकता का हिस्सा बनाने की अपील कर कहा कि जल संरक्षण की दिशा में सार्थक कदम उठाने पर ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों को एक बेहतर और सुरक्षित कल का तोहफा दे पाएंगे। उन्होंने कहा कि जल के बिना जीवन की कल्पना करना असंभव है। भारतीय सभ्यता में जल जीवन में ही नहीं जीवन के बाद की यात्रा में भी महत्वपूर्ण है। सभी जल स्रोतों को पवित्र माना जाता है, लेकिन फिलहाल स्थिति पर नजर डालें तो स्थिति चिंताजनक लगती है। बढ़ती आबादी के कारण हमारी नदियों और जलाशयों की हालत बिगड़ रही है। गांव के तालाब सूख रहे हैं और कई स्थानीय नदियां विलुप्त हो गई हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि कृषि और उद्योगों में पानी का अत्याधिक दोहन किया जा रहा है। पृथ्वी पर पर्यावरण संतुलन बिगड़ रहा है। मौसम का मिजाज साल दर साल बदल रहा है और बेमौसम अत्याधिक वष्रा आम हो गई है। ऐसे में जल प्रबंधन पर चर्चा करना बहुत ही सराहनीय कदम है। उन्होंने कहा कि पानी का मुद्दा न केवल भारत के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए प्रासंगिक है। यह मुद्दा राष्ट्रीय सुरक्षा से भी जुड़ा है, क्योंकि उपलब्ध मीठे पानी की विशाल मात्रा दो या दो से अधिक देशों के के बीच फैली हुई है। यह संयुक्त जल संसाधन एक ऐसा मुद्दा है, जिसमें अंतरराष्ट्रीय सहयोग आवश्यक है। सातवें भारत जल सप्ताह में डेनमार्क, फिनलैंड, जर्मनी, इजराइल और यूरोपीय संघ भाग ले रहे हैं। राष्ट्रपति ने विश्वास व्यक्त किया है कि इस मंच पर विचारों और प्रौद्योगिकियों के आदान-प्रदान से सभी लाभांवित होंगे। पानी कृषि के लिए भी एक प्रमुख संसाधन है। एक अनुमान के अनुसार देश में लगभग 80 फीसद जल संसाधन का उपयोग कृषि कार्यों के लिए किया जाता है। जल संरक्षण के लिए सिंचाई में पानी का उचित उपयोग और प्रबंधन बहुत जरूरी है। इस क्षेत्र में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना एक प्रमुख पहल है। देश में सिंचित क्षेत्र को बढ़ाने के लिए यह राष्ट्रव्यापी योजना लागू की जा रही है। जल संरक्षण लक्ष्यों के अनुरूप इस योजना में प्रति बूंद अधिक फसल सुनिश्चित करने के लिए सटीक सिंचाई और जल बचत प्रौद्योगिकियों को अपनाने की भी परिकल्पना की गई है। राष्ट्रपति ने विश्वास व्यक्त किया कि इस 7वें जल सप्ताह के दौरान विचार मंथन के परिणाम इस पृथ्वी और मानवता के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करेंगे।

सीएल मौर्य/सहारा न्यूज ब्यूरो
ग्रेटर नोएडा


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