यूपी: श्रम कानून में ढील को लेकर सरकार और विपक्ष में तनातनी

Last Updated 09 May 2020 01:49:29 PM IST

कोरोना के कारण उत्तर प्रदेश में चरमराई अर्थव्यवस्था को ठीक करने के लिए श्रम कानूनों में सरकार ने ढील दी है। पूर्णबंदी के कारण बड़े पैमाने पर कारखाने और उद्योग बंद पड़े हैं। अब लाखों कि संख्या में प्रवासी मजदूर प्रदेश वापस आ रहे हैं। यह संकट कब तक रहेगा, अभी किसी को भी यह मालूम नहीं है।


(प्रतीकात्मक तस्वीर)

इसी कारण श्रम कानून में तीन साल के लिए अस्थायी छूट प्रदान की गई है। उत्तर प्रदेश सरकार अर्थव्यवस्था ठीक करने और प्रवासी श्रमिकों को रोजगार देने की दिशा में आगे बढ़ रही है। हालांकि, सरकार के इस फैसले पर विपक्ष नाराज है।

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि कोरोना संकट के इस्तेमाल में भाजपा सरकार अपने और आरएसएस के पूंजीघरानों को संरक्षण देने और गरीब, दलित, पिछड़ों की जिंदगी में और ज्यादा परेशानियां पैदा करने पर उतारू हो गई है। भाजपा ने महंगाई बढ़ाने का कुचक्र तो रचा ही है मजदूरों के शोषण के लिए भी रास्ते खोल दिए हैं। श्रमिकों को संरक्षण न दे पाने वाली भाजपा सरकार को तुरन्त त्यागपत्र दे देना चाहिए।

उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने एक अध्यादेश के द्वारा मजदूरों को शोषण से बचाने वाले श्रम कानून के अधिकांश प्रावधानों को 3 साल के लिए स्थगित कर दिया है। यह बेहद आपत्तिजनक और अमानवीय है। विस्थापन और बेरोजगारी के शिकार श्रमिक अब पूरी तरह अपने मालिकों की शर्तों पर काम करने के लिए विवश होंगे।

कांग्रेस पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी इस पर हमला बोला और कहा, "यूपी सरकार द्वारा श्रम कानूनों में किए गए बदलावों को तुरंत रद्द किया जाना चाहिए। आप मजदूरों की मदद करने के लिए तैयार नहीं हो। आप उनके परिवार को कोई सुरक्षा कवच नहीं दे रहे। अब आप उनके अधिकारों को कुचलने के लिए कानून बना रहे हो। मजदूर देश निर्माता हैं, आपके बंधक नहीं हैं।"

योगी सरकार के श्रममंत्री स्वामी प्रसाद मौर्या ने कांग्रेस और समाजवादी पार्टी को मजदूरों का दुश्मन करार दिया है।
उन्होंने कहा कि श्रम संशोधन अध्यादेश आया है यह इसीलिए आया है कि इससे प्रवासी कामगारों को रोजगार मिले।

इसका विरोध करने वाले स्वाभाविक रूप से प्रवासी श्रमिकों का विरोध कर रहे हैं। वे उन श्रमिकों का विरोध कर रहे हैं जिनके लिए निवेश के माध्यम से रोजगार के अवसर तलाशने की प्रक्रिया चल रही है। वो उन श्रमिकों का विरोध कर रहे हैं जिन श्रमिकों के लिए हम लॉकडाउन के चलते बंद उद्योग और कारखानों में उनको पुन: संयोजित करने के लिए अवसर प्रदान करने जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इसका विरोध करने वालों को पहले अध्यादेश को पढ़ना चाहिए तब किसी प्रकार की टिप्पणी करनी चाहिए। लेकिन उनकी टिप्पणी से आभास हो गया है कि वो श्रमिकों के नंबर एक के दुश्मन हैं, वह नहीं चाहते कि श्रमिकों के लिए नए रोजगार सृजित हों।

आईएएनएस
लखनऊ


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