चीन के नेता शी जिनफिंग ने एक ‘पुराने मित्र’ के रूप में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का स्वागत किया और दोनों नेताओं के बीच मंगलवार को बैठकों का सिलसिला शुरू हुआ।
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ये बैठकें ऐसे समय में हो रही हैं जब दोनों देशों को अमेरिका से विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
हाल के वर्षों में, खासकर 2022 की शुरुआत में यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद से चीन और रूस के बीच संबंध और गहरे हुए हैं।
पुतिन ने शी को ‘‘प्रिय मित्र’’ कहकर संबोधित किया और कहा कि चीन के साथ रूस के संबंध ‘‘अभूतपूर्व रूप से उच्च स्तर पर’’ हैं। औपचारिक वार्ता के बाद उनकी अपने कुछ शीर्ष सहयोगियों के साथ मिलकर चाय पर एक और बैठक करने की योजना है।
यह वार्ता चीनी शहर तियानजिन में दोनों नेताओं के शंघाई सहयोग संगठन के शिखर सम्मेलन में भाग लेने के एक दिन बाद और द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति की 80वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में बीजिंग में आयोजित एक भव्य चीनी सैन्य परेड से एक दिन पहले हुई है।
सोवियत संघ एशिया में युद्ध के अधिकतर समय तटस्थ रहा, लेकिन 1930 के दशक में आक्रमणकारी जापानी सेना के खिलाफ शुरुआती लड़ाई में उसने चीन की सहायता की। उसने द्वितीय विश्व युद्ध के अंतिम दिनों में जापान के खिलाफ युद्ध की घोषणा भी की और जापान के कब्जे वाले पूर्वोत्तर चीन में सेना भेजी।
पुतिन ने कहा, ‘‘हम तब भी साथ थे, अब भी साथ हैं।’’
चीन का कहना है कि वह यूक्रेन युद्ध में तटस्थ है लेकिन पश्चिमी प्रतिबंधों के बावजूद व्यापार जारी रखकर उसने रूस को आर्थिक जीवनदान दिया। उसकी कुछ कंपनियों पर सैन्य उद्योग को बढ़ावा देने का आरोप लगाया गया है।
पुतिन और शी ने अपनी वार्ता से पहले मंगोलिया के राष्ट्रपति खुरेलसुख उखना के साथ त्रिपक्षीय बैठक की। घास के मैदानों और खनिज खदानों से संपन्न मंगोलिया चीन एवं रूस के बीच स्थित है।
पुतिन ने अपने वक्तव्य की शुरुआत में कहा कि तीनों देश अच्छे पड़ोसी हैं और संबंधों को विकसित करने में उनकी साझा रुचि है। उन्होंने कहा, ‘‘हम तीनों देशों में बहुत कुछ समान है।’’
पुतिन ने 2024 में मंगोलिया की आधिकारिक यात्रा की थी जहां मंगोलिया सरकार ने यूक्रेन पर आक्रमण से जुड़े कथित युद्ध अपराधों के लिए अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय के वारंट पर पुतिन को गिरफ्तार किए जाने की अपीलों को नजरअंदाज कर दिया था।
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