लॉकडाउन के बाद त्रिस्तरीय कार्ययोजना से दूर करेंगे औद्योगिक बदहाली : महाना
लॉकडाउन खत्म होने के बाद प्रदेश के बदहाल औद्योगिक माहौल को पटरी पर लाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार त्रिस्तरीय कार्ययोजना पर काम करेगी।
उत्तरप्रदेश के औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना |
प्रदेश के औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना ने कहा कि हालात पूरी तरह सामान्य होने के बाद भी औद्योगिक विकास की गाड़ी को पूरी गति देने में एक साल का समय लगने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि अब ग्रामीण क्षेत्रों में कुटीर व सूक्ष्म उद्योगों को बढ़ावा देकर रोजगार के लिए बड़ी तादाद में होने वाले पलायन को रोका जाएगा। प्रस्तुत हैं प्रदेश के औद्योगिक विकास मंत्री से हमारे संवाददाता सौरभ शुक्ल की विशेष बातचीत के प्रमुख अंश-
लॉकडाउन के बाद औद्योगिक बदहाली दूर करने की क्या योजना है?
लॉकडाउन खत्म होने के बाद प्रदेश के औद्योगिक माहौल को पटरी पर लाने के लिए त्रिस्तरीय कार्ययोजना पर काम किया जाएगा। पहला, जो उद्योग पहले से ही प्रदेश में चल रहे थे और लॉकडाउन में उनकी स्थिति खराब हो गई है, उन्हें संजीवनी देने के प्रयास किए जाएंगे। दूसरा, पूर्व में जिन उद्योग घरानों या समूहों से हमारे समझौते हुए थे, अधिक से अधिक सहूलियतें देकर उन्हें प्रदेश में लाने का रोडमैप तैयार करना और तीसरा, स्वदेशी या विदेशी कंपनियों को प्रदेश में औद्योगिक इकाई लगाने को आकषिर्त करना। तीनों ही स्तर पर काम करने की योजना लगभग तैयार है, बस इंतजार अनुकूल समय और माहौल का है।
चालू उद्योगों को राहत देने के लिए सरकार क्या कर रही है?
उद्योग संगठनों और उद्यमियों से जो भी सुझाव प्राप्त हो रहे हैं, सरकार उन पर गंभीरता से विचार कर रही है। सभी आवश्यक सहयोग दिए भी जा रहे हैं। उद्योगों से किसी भी तरह की बकाया वसूली को फिलहाल रोकने के निर्देश दिए गए हैं। उद्योगों के लाइसेंस व परमिट स्वत: नवीनीकृत मान लिए गए हैं, इसके लिए उद्यमियों को परेशान नहीं होना पड़ेगा। वित्त संबंधी मामलों को लेकर जो भी सुझाव आये, उन्हें प्रदेश सरकार ने अपनी संस्तुति के साथ केंद्र सरकार को प्रेषित कर दिया है। और भी किसी तरह की समस्या सामने आती है तो सरकार उद्योगों के हित में उनका निराकरण करने को तत्पर है।
क्या अनुमान है औद्योगिक माहौल कितना पीछे चला गया है, इसे सामान्य होने में कितना समय लगेगा?
कई प्रश्नों के उत्तर तत्काल नहीं दिए जा सकते। ऐसा कोई अनुमान भी बिना आंकड़े सामने आए नहीं लगाया जा सकता, लेकिन यह जरूर कहा जा सकता है कि औद्योगिक क्षेत्र को बड़ा नुकसान होगा। सरकार परिस्थितिजन्य प्रत्येक समस्या से लड़ने और उसे दूर करने को तैयार है।
रोजी की तलाश में पलायन कर बाहर गए मजदूरों-कामगारों की समस्या एक बड़ा सवाल बन कर सामने आई है। भविष्य में ऐसे हालात न हों, इसके लिए क्या करने जा रहे हैं?
जो भी कामगार या मजदूर रोजगार के लिए बाहर गए थे और लॉकडाउन के दौरान वापस लौटे हैं, प्रयास होगा कि अब उन्हें फिर से पलायन करने को विवश न होना पड़े। इसके लिए सरकार उन्हें अपने गृहक्षेत्र या उसके आसपास ही रोजगार के अवसर मुहैया कराने की दिशा में काम करेगी। इसके लिए ग्रामीण क्षेत्रों में कुटीर व सूक्ष्म उद्योगों की स्थापना को बढ़ावा दिया जाएगा। प्रयास होगा कि उन्हें केन्द्र व प्रदेश सरकार की योजनाओं का अधिक से अधिक लाभ दिलाया जाए ताकि वह स्वावलम्बी बन अपने क्षेत्र की रोजगार की जरूरतें पूरी कर सकें। इसके साथ ही कई तरह के कार्य अवसर उत्पन्न करने की दिशा में भी विचार चल रहा है। हालांकि यह सब काफी कुछ राजस्व पर भी निर्भर करता है।
बदली हुई वैश्विक परिस्थितियों में क्या विदेशी कंपनियों का प्रदेश में निवेश बढ़ने की संभावना नजर आ रही है?
ऐसा हो सके, इसके लिए कोई कसर तो नहीं छोड़ेंगे। विदेशी उद्योग यहां आए, इसके लिए योजनाबद्ध प्रयास पहले भी होते रहे हैं और आगे भी होंगे। लेकिन इस विषय में सफलता काफी कुछ केन्द्र सरकार के रुख पर निर्भर करती है।
कोविड-19 के संक्रमण पर नियंतण्रके लिए केन्द्र व प्रदेश सरकार के प्रयासों पर क्या कहेंगे?
अमेरिका जैसे विकसित व साधन सम्पन्न देश की स्थिति को देखें और भारत को देखें तो प्रधानमंत्री मोदी ने जो भी निर्णय लिए, कोई भी उन्हें सराहेगा। केन्द्र सरकार ने जो भी निर्णय लिए, उत्तर प्रदेश में उन्हें पूरी तरह और प्रभावशाली तरीके से क्रियान्वित कराया गया जिसका नतीजा ही है कि 23 करोड़ आबादी वाले प्रदेश में संक्रमण के फैलाव की स्थिति अन्य प्रदेशों के मुकाबले काफी कम है।
Tweet |