ग्रेटर नोएडा के 80 गांवों में नहीं होंगे पंचायत चुनाव, याचिका खारिज
ग्रेटर नोएडा गौतमबुद्ध नगर के 80 ग्रामों जिसे सरकार ने यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक क्षेत्र में शामिल कर लिया है, वहां पर अब ग्राम पंचायत चुनाव नहीं होंगे.
![]() इलाहाबाद उच्च न्यायालय (फाइल फोटो) |
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मंगलवार को इन गांवों को यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक क्षेत्र में शामिल करने के प्रदेश सरकार की अधिसूचना 18 सितम्बर 2015 के खिलाफ दायर याचिका को मंगलवार को खारिज कर दिया.
इस याचिका में इस अधिसूचना को निरस्त करने की मांग के साथ-साथ गौतमबुद्ध नगर में ग्राम पंचायतों के सम्पन्न हो चुके चुनाव को निरस्त कर नये सिरे से चुनाव कराने के पंचायतीराज विभाग के आदेश को भी चुनौती दी गयी है.
मुख्य न्यायाधीश डी.बी. भोसले और न्यायमूर्ति एम.के. गुप्ता की खण्डपीठ ने श्रीनिवास नागर की याचिका को खारिज कर मंगलवार को यह आदेश पारित किया.
प्रदेश सरकार की तरफ से स्थायी अधिवक्ता रामानंद पाण्डेय का तर्क था कि याचिका खारिज की जानी चाहिए, क्योंकि मात्र दो याची ग्रेटर नोएडा के 80 गांवों को यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक क्षेत्र में शामिल करने के सरकार के निर्णय को चुनौती नहीं दे सकते.
याचिका में कहा गया था कि गांवों को शामिल करने का निर्णय औद्योगिक विकास विभाग का है और इस विभाग को याचिका में पक्षकार न बनाकर विधिकात्रुटि की गयी है. तर्क था कि ग्रेटर नोएडा के आसपास के जिलों अलीगढ़, गौतमबुद्ध नगर, आगरा, मथुरा, महामायानगर के 1188 गांवों को अप्रैल 2001 में ही यमुना एक्सप्रेस वे अथारिटी के तहत शामिल कर लिया गया था तो यह नहीं कहा जा सकता कि ये गांव स्थानीय प्राधिकरण की सुविधाओं से वंचित था. कहा गया था कि सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 243 (क्यू) के तहत शक्तियों का प्रयोग कर 80 गांवों को शामिल किया है जबकि याची के वकील एच.एन.सिंह का तर्क था कि सभी 80 गांव म्यूनिसिपिलिटी की सुविधाओं से वंचित थे. सरकार के मनमाने आदेश से इन सभी 80 गांवों को यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक क्षेत्र में शामिल कर लिया गया है. औद्योगिक क्षेत्र में शामिल हो जाने से वहां पंचायत चुनाव नहीं हो सकता.
| Tweet![]() |