पंजाब की बठिंडा सीट पर बादलों की प्रतिष्ठा दांव पर

Last Updated 27 Apr 2014 05:04:47 PM IST

पंजाब की बठिंडा लोकसभा सीट पर मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल तथा उपमुख्यमंत्री सुखबीर बादल की प्रतिष्ठा दांव पर है.




Parkash Singh Badal, Sukhbir Badal (file photo)

इस सीट पर बादल परिवार की बहू एवं निवर्तमान सांसद हरसिमरत कौर को उनके देवर एवं बादल के भतीजे एवं पूर्व वित्त मंत्री मनप्रीत बादल से चुनौती मिल रही है जो इस बार कांग्रेस-वामपंथी दल तथा पीपुल्स पार्टी आफ पंजाब के साझा उम्मीदवार हैं.

पंजाब में मतदान 30 अप्रैल को होना है. कांग्रेस के समर्थन से चुनाव मैदान में उतरे श्री बादल अकालियों के मजबूत गढ़ में ही बादल परिवार को चुनौती दे रहे हैं.

हालांकि सरकारी मशीनरी से लेकर बादलों और श्रीमती बादल के भाई राजस्व मंत्री बिक्रमजीत मजीठिया काफी पहले से चुनाव प्रचार में जुटे हैं तथा ढेरों विकास परियोजनायें वहां चलायीं और विकास काम अगर हुआ तो लोगों के अनुसार बठिंडा अथवा लंबी विधानसभा क्षेत्र में ही दिखता है. उसके बावजूद अकाली प्रत्याशी की इस बार संसद पहुंचने की राह आसान नहीं दिखती.

आम आदमी पार्टी ने पंजाबी अभिनेता जस्सी जसराज को अपना प्रत्याशी बनाकर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है. वैसे तो बहुजन समाज पार्टी सहित निर्दलीयों सहित कुल 29 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं लेकिन अकाली तथा कांग्रेस के बीच ही कांटे की टक्कर है.

श्रीमती कौर पिछले चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के पुत्र रनिंद्र सिंह को एक लाख से अधिक वोटों से हराकर संसद पहुंची थीं.

चौदहवें लोकसभा चुनाव तक सुरक्षित रहने वाला बठिंडा संसदीय क्षेत्र वर्ष 2009 के लोकसभा चुनावों में नए परिसीमन में सामान्य हो गया था. इससे पहले अकाली दल की परमजीत कौर गुलशन यहां से चुनाव जीती थीं. इस सीट पर 76 प्रतिशत सिख, 23 प्रतिशत हिन्दू और एक प्रतिशत अन्य जातियां हैं. जाति गणित के आधार पर देखा जाए तो उम्मीदवार की जीत हार का फैसला करने की चाबी सिखों तथा हिन्दुओं के हाथ है.

इस क्षेत्र में नौ विधानसभा हलके पड़ते हैं जिसमें से तीन सीटोंं पर कांग्रेस जीती तथा सात पर अकाली दल के उम्मीदवार. लोकसभा चुनाव के ऐन मौके पर तलवंडी साबो के कांग्रेस विधायक जीत मोंहिंदर सिद्धू अकाली दल में शामिल हो गये.

इस सीट पर कुल मतदाता 15 लाख 25 हजार 289 हैं जिनमें आठ लाख 79 हजार 40 पुरूष तथा सात लाख दस हजार 898 महिला मतदाता हैं. सर्विस वोटर 6451 हैं. मतदान में कुल दो दिन बचे हैं. लोगों में अकाली -भाजपा गठबंधन सरकार की नीतियों, नशा, सत्ता विरोधी लहर, धक्केशाही, भुल्लर गोत्र के करीब अस्सी गांवों के भाईचारे की नाराजगी, गुंडा टैक्स और
रेत बजरी से लेकर ट्रांसपोर्ट तक पर कब्जा होने को लेकर जबर्दस्त विरोध है.

श्रीमती बादल को कई गांवों का कड़ा विरोध का सामना करना पड़ रहा है. कोटडा तथा पिट्ठो सहित कई गांवों में उन्हें घुसने नहीं दिया गया. लोगों में अकाली भाजपा सरकार के विरूद्ध आक्रोश का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि अमृतसर से चुनाव लड़ रहे भाजपा के नेता अरूण जेतली को अपने लिये समर्थन मांगने के लिये जालंधर के क्रिश्चियन नेता डा. फ्रेंको के द्वार पर दस्तक देनी पड़ी.

जेटली को इस बात का आभास हो गया है कि बादलों के जबरदस्त विरोध के चलते शायद ही उनकी नैया पार लगा पायें. श्रीमती बादल इस बार अकाली सरकार के कामकाज के अलावा
मोदी के नाम पर वोट मांग रही हैं. अकाली तथा भाजपा सभी के उम्मीदवार मोदी के नाम पर वोट मांग रहे हैं. उनका कहना है कि यदि इस बार लोग उनका साथ दें तो वह पांच गुना काम करेंगी.

मनप्रीत बादल के अनुसार .पंजाब विनाश की ओर जा रहा है. अकाली सरकार के पास कोई आर्थिक एजेंडा नहीं है. नशा ने राज्य को बर्बाद कर दिया है. बादल साहब के सारे मसले हल हो गये लेकिन पंजाब के सारे मसले जस के तस हैं. धक्केशाही से बचाना तथा सुशासन देना हमारी प्राथमिकता है.

आप पार्टी का कहना है कि देश ने दोनों पार्टियों को जांच तथा परखा लेकिन देश तथा राज्यों की समस्या का कोई समाधान नहीं निकला. अब इनकी जगह किसी और को मौका दो. क्षेत्र में भाकपा का भी जनाधार है. भाकपा ने भी इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था. उसकी वोट मनप्रीत बादल को जायेंगी क्योंकि उसका मनप्रीत बादल के साथ समझौता है.

इस क्षेत्र में मतदान केन्द्र 1570 स्थापित किये गये हैं जिनमें से संवेदनशील 382 तथा अति संवेदनशील 365 हैं. प्रतिष्ठित सीट होने के कारण बीस बूथों पर वैब कैमरे लगाये गये हैं और 40 की वीडियोग्राफी करायी जायेगी.

इस सीट पर मुकाबला कांटे होने के कारण सुरक्षा के कड़े प्रबंध किये गये हैं. अब देखना यह है कि जनता किसे चुनती है और किसे अर्श से फर्श पर फेंकती है, यह तो समय ही बतायेगा.



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