श्रीनगर की हजरतबल मस्जिद पर अशोक स्तंभ चिह्न को लेकर स्थानीय नेताओं और नमाज़ियों में नाराज़गी

Last Updated 06 Sep 2025 09:14:37 AM IST

श्रीनगर की मशहूर हज़रतबल मस्जिद (Hazratbal Mosque) में नवीनीकरण पट्टिका पर राष्ट्रीय प्रतीक (Ashoka Pillar symbol) लगाए जाने से बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। इससे स्थानीय नेताओं और नमाज़ियों में नाराज़गी फैल गई और अज्ञात लोगों ने उस पट्टिका को तोड़फोड़ दिया।


इसके जवाब में, जम्मू-कश्मीर वक्फ बोर्ड की अध्यक्ष दरख्शां अंद्राबी ने प्रतीक चिह्न हटाने वालों के खिलाफ जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत कानूनी कार्रवाई की मांग की है।

यह घटना उस मस्जिद के हाल में जीर्णोद्धार के बाद हुई जिसमें पैगंबर मोहम्मद के पवित्र चिह्न रखे हैं। मस्जिद के भीतर लगे पत्थर की उद्घाटन पट्टिका पर राष्ट्रीय प्रतीक अंकित था, जिसकी मुस्लिम समुदाय ने आलोचना की।

सत्तारूढ़ नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) सहित राजनीतिक नेताओं और नमाजियों ने तर्क दिया कि इबादतगाह में मूर्ति प्रदर्शित करना एकेश्वरवाद के इस्लामी सिद्धांत का उल्लंघन है, जो मूर्ति पूजा को सख्ती से प्रतिबंधित करता है।

जुमे (शुक्रवार) को दोपहर की सामूहिक नमाज के ठीक बाद अज्ञात लोगों ने पत्थर की पट्टिका तोड़ दी और राष्ट्रीय प्रतीक हटा दिया।

इस कृत्य से स्पष्ट रूप से नाराज अंद्राबी ने मस्जिद में एक प्रेस वार्ता आयोजित की और पट्टिका को तोड़ने वालों को "आतंकवादी" और "गुंडे" करार दिया।

उन्होंने प्राथमिकी दर्ज करने और आरोपियों पर पीएसए (जन सुरक्षा कानून) के तहत मामला दर्ज करने की मांग की। पीएसए एक कठोर कानून है, जो बिना सुनवाई के किसी आरोपी को दो साल तक हिरासत में रखने की अनुमति देता है।

अंद्राबी ने सवाल उठाते हुए कहा कि जब राष्ट्रीय प्रतीक का प्रयोग देश भर में निर्वाचित नेताओं द्वारा किया जाता है तो यह विवाद का विषय क्यों बन जाता है।

उन्होंने विशेष रूप से एनसी के मुख्य प्रवक्ता और विधायक तनवीर सादिक के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की और कहा कि जिन लोगों ने यह कृत्य किया, वे उनके "गुंडे" थे।

एनसी ने ‘एक्स’ पर एक बयान जारी कर प्रतिक्रिया व्यक्त की, जिसमें टकराव के बजाय आपसी सम्मान और विनम्रता की जरूरत पर जोर दिया गया।

पार्टी ने माना कि पट्टिका के डिजाइन को लेकर चिंताएं व्यक्त की गई थीं, तथा कहा कि हजरतबल जैसे पवित्र स्थान के भीतर किसी भी गतिविधि में "श्रद्धालुओं की संवेदनशीलता और आस्था के सिद्धांतों" का सम्मान किया जाना चाहिए।

एनसी ने कहा “वक्फ किसी भी व्यक्ति की निजी संपत्ति नहीं है। यह एक ट्रस्ट है जो आम मुसलमानों के योगदान और दान से चलता है, और इसे उनके मजहब और परंपराओं के अनुरूप ही प्रबंधित किया जाना चाहिए।”

एनसी ने कहा कि परेशान करने वाली बात यह है कि "लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए उनसे माफी मांगने के बजाय पीएसए के तहत गिरफ्तारी की धमकियां दी जा रही हैं।"

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की नेता इल्तिजा मुफ़्ती ने इस मुद्दे पर अपनी राय रखते हुए कहा कि "ऐसा लगता है कि मुसलमानों को जानबूझकर उकसाया जा रहा है।"

उन्होंने अंद्राबी की पीएसए की मांग की आलोचना करते हुए इसे "दंडात्मक और सांप्रदायिक मानसिकता" का प्रतिबिंब बताया।

इल्जिजा ने कहा, "कश्मीरियों को सिर्फ इसलिए 'आतंकवादी' करार देना क्योंकि उन्होंने किसी ऐसी बात पर अपना गुस्सा व्यक्त किया जिससे उनकी धार्मिक भावनाएं आहत हुईं और पुलिस से उन पर पीएसए लगाने को कहना भाजपा की दंडात्मक और सांप्रदायिक मानसिकता को दर्शाता है।"

नेशनल कॉन्फ्रेंस के श्रीनगर से सांसद और शिया नेता रूहुल्लाह मेहदी ने भी इस घटना और अंद्राबी की प्रतिक्रिया की निंदा की। उन्होंने इस पट्टिका को "अहंकार को बढ़ावा देने" का प्रयास बताया और कहा कि "इस मामले में पीएसए के इस्तेमाल की कोई भी बात सिर्फ ज़ख्मों पर नमक छिड़कने जैसी है।"

सत्तारूढ़ नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के मुख्य प्रवक्ता और जदीबल के विधायक तनवीर सादिक ने कहा कि प्रतिष्ठित दरगाह में बुत स्थापित करना इस्लाम के खिलाफ है, जो बुतपरस्ती की मनाही करता है।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं कोई धार्मिक विद्वान नहीं हूं, लेकिन इस्लाम में बुतपरस्ती की सख्त मनाही है, जो सबसे बड़ा पाप है। हमारे ईमान की बुनियाद तौहीद है।’’

भाषा
श्रीनगर


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