Karnataka Election: भाषा और नंदिनी दूध याद रहा तो कर्नाटक में BJP को हो सकता है नुक़सान
कर्नाटक विधान सभा चुनाव को लेकर तरह-तरह की अटकलें लगाईं जा रही हैं। कोई सर्वे के आधार पर तो कई लोग अपने खुद के अनुभव पर अलग-अलग पार्टियों को मिलने वाली सीटों के बारे में अनुमान लगा रहे हैं।
![]() |
हालांकि कर्नाटक के अब तक के चुनावी ट्रेंड के मुताबिक़ वहां कोई भी सरकार रिपीट नहीं कर पाई है। हर चुनाव में वहां की सरकारें बदली हैं। जबकि दो बार वहां त्रिशंकु असेम्ब्ली की स्थिति भी उत्पन्न हुई थी। कर्नाटक में ऐसा कोई मुद्दा नहीं है जिसके आधार पर कोई भी पार्टी वहां की जनता को लुभा सके, लेकिन दो ऐसे मुद्दे हैं, जिस पर वहां की जनता ने अगर अपनी नाराजगी व्यक्त कर दी तो कांग्रेस को फायदा हो सकता है।
पहला है नंदिनी दूध और दुसरा है वहां हिंदी भाषा का विरोध। वहां की वर्तमान भाजपा की सरकार ने उन दोनों मुद्दों की वकालत की थी। जिनसे वहां की जनता नाराज थी, खासकर हिंदी वाले मामले को लेकर वहां खूब हंगामा हुआ था, उसके बावजूद अधिकांश नेताओं ने वहां जाकर हिंदी में ही भाषण दिया है। वहां का आम वोटर उन हिंदी भाषणों को कितना समझा होगा कहना मुश्किल है, लेकिन यह तय है कि अधिकांश वोटरों को ना तो हिंदी समझ आई होगी और ना ही उन्होंने हिंदी बोलने वाले लोगों को मन से सूना होगा। ऐसे में हिंदी से नाराज वोटर किसके पक्ष में वोट करेगा कहना भले ही मुश्किल हो लेकिन इस मामले जेडीएस भारी पड़ती दिख रही है ! क्योंकि जेडीएस नेता और वहां के मुख्यमंत्री रहे कुमार स्वामी ने खुद ही हिंदी का विरोध किया था।
कर्नाटक विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ही अपने-अपने घोषणा पत्रों के जरिये वहां की जनता को लुभाने की कोशिश की है। दोनों की घोषणा पत्रों में लोक लुभावन वादों का खूब जिक्र किया गया है। लेकिन वहां की जनता को शायद उनकी घोषणा पत्रों में जिक्र, किसी भी बातों का कोई ख़ास असर नहीं पड़ने वाला है। इस बार वहां दो मुद्दे बड़ी भूमिका निभाने वाले हैं। पहला है नंदिनी दूध दुसरा है हिंदी भाषा। कुछ महीनों पहले वहां की भाजपा सरकार ने अमूल दूध को वहां लाने की कोशिश की थी, जिसका बहुत विरोध हुआ था। नंदिनी दूध वहां वैसे ही फेमस है जैसा की अमूल पूरे उत्तर भारत में फेमस है।
अमूल दूध फिलहाल इस समय इंडिया का सबसे बड़ा ब्रांड है। उसकी शुरुवात गुजरात से हुई थी। नंदिनी देश का शायद दुसरा सबसे बड़ा ब्रांड है। दक्षिण के सात राज्यों के अधिकाँश लोग उसी दूध का सेवन करते हैं।
| Tweet![]() |