Manipur Violence : मणिपुर में हालात चिंताजनक, 23000 लोगों को निकाला, 10000 अर्धसैनिक बल तैनात
मणिपुर (Manipur Violence) में हिंसा के चलते हालात चिंताजनक हैं। सेना के ड्रोन और हेलिकॉप्टर से गश्त लगाकर हालात पर लगातार नजर रखी जा रही है।
![]() मणिपुर में हालात चिंताजनक, 23000 लोगों को निकाला |
सेना और असम राइफल्स के जवानों ने शहर में फ्लैग मार्च किया। ¨हसा प्रभावित राज्य में सेना के 120 से 125 ‘कॉलम’ की तैनाती की गई है। अर्धसैनिक बलों और केंद्रीय पुलिस बलों के करीब 10,000 जवानों को भी तैनात किया गया है। मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा कि शांति संबंधी पहल को जमीनी स्तर पर लागू करने के लिए हर विधानसभा क्षेत्र में शांति समितियों का गठन किया जाएगा।
रक्षा विभाग की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि अब तक विभिन्न समुदायों के लगभग 23,000 लोगों को बचाकर सैन्य छावनियों में स्थानांतरित किया गया है।
गौरतलब है कि मणिपुर में बहुसंख्यक मेइती समुदाय द्वारा उसे अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में ‘ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन मणिपुर’ (एटीएसयूएम) की ओर से बुधवार को आयोजित ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के दौरान चुराचांदपुर जिले के तोरबंग क्षेत्र में हिंसा भड़क गई थी।
नगा और कुकी सहित अन्य आदिवासी समुदायों की ओर से इस मार्च का आयोजन मणिपुर उच्च न्यायालय द्वारा पिछले महीने राज्य सरकार को मेइती समुदाय की एसटी दर्जे की मांग पर चार सप्ताह के भीतर केंद्र को एक सिफारिश भेजने का निर्देश देने के बाद किया गया था।
इंफाल हवाईअड्डे पर यात्रियों की मदद के लिए उठाए कदम
मणिपुर में फैली अशांति के बीच भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने हवाई यात्रियों की मदद के लिए कई उपाय किए हैं। वहीं, विमानन कंपनियों ने राजधानी इंफाल से आने और जाने वाली उड़ानों के लिए टिकट पुनर्निर्धारण और रद्दीकरण का शुल्क माफ कर दिया है। एएआई, हवाईअड्डे पर फंसे यात्रियों को एस्कॉर्ट के तहत परिवहन के लिए राज्य सरकार के साथ समन्वय कर रहा है।
केंद्र बातचीत के लिए तैयार
कृपया मुद्दों को शांतिपूर्ण तरीके से हल करने के लिए आगे आएं। भारत सरकार तैयार है। आपने किसानों के मुद्दे को देखा है। जब मामला शांत था तो हमने उन्हें समझाने की कोशिश की। जब मुद्दा हल नहीं हुआ, तो हम उनकी मांग पर सहमत हुए और उन विधेयकों (तीन कृषि कानूनों) को वापस ले लिया गया। इसलिए भारत सरकार अड़ियल नहीं है। --जी किशन रेड्डी
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