शरद पवार ने एक तीर से लगा दिए कई निशाने!
महाराष्ट्र की राजनीति में मंगलवार को कुछ ऐसा हुआ जैसा शायद कभी नहीं हुआ था। पिछले कुछ दिनों से महाराष्ट्र में सियासी उठापटक होने की ख़बरें लगातार सुनाई पड़ रही थीं। अजीत पवार के मुख्यमंत्री बनने की चर्चा आम हो गई थी। लेकिन लोग समझ नहीं पा रहे थे कि ऐसा होगा कैसे। मंगलवार को शरद पवार के एक फैसले ने बहुत हद तक उस चर्चा पर विराम लगाने का सन्देश दे दिया है। शरद पवार ने अपने खुद के द्वारा बनाई गई राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष पद से स्तीफा दे दिया।
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कुछ दिन पहले शरद पवार ने कहा था कि रोटी पलटने का समय आ गया है। अगर रोटी नहीं पलटी गई तो जल जाएगी। शरद पवार के उस ब्यान का मतलब कम ही लोग समझ पाए थे। दूसरी तरफ उनकी बेटी सुप्रिया सुले ने कहा था कि महाराष्ट्र की राजनीति में दो धमाके होने वाले हैं। एक धमाका महाराष्ट्र में होगा जबकि दूसरा दिल्ली में। सुप्रिया सुले ने जिस बात की तरफ इशारा किया था, उसकी शुरुवात हो गई, लेकिन शरद पवार का इस्तीफा, होने वाले धमाकों की एक शुरुवात है। असली धमाका तो इस इस्तीफे के बाद होगा।
उधर शरद पवार के भतीजे अजीत पवार, पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि उन्हें महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनना है। उन्होंने यहां तक कह दिया था कि मुख्यमंत्री बनने के लिए वो अगले चुनाव का इंतज़ार भी नहीं करना चाहते हैं। यानि अभी महारष्ट्र में जो कुछ भी हो रहा है वो वर्तमान सरकार के लिए ठीक नहीं है। खासकर एकनाथ शिंदे के लिए, क्योंकि इनकी भी पार्टी के 16 विधायकों की अयोग्यता पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आना बाकी है। अगर उनके विधायक अयोग्य घोषित हो गए तो एकनाथ शिंदे की कुर्सी जानी तय है।
सुप्रिया सुले ने जिस धमाके की बात की थी ,जिसका उन्होंने जिक्र किया है कि दूसरा धमाका दिल्ली में होगा। उनका शायद इशारा सुप्रीम कोर्ट के उसी आदेश को लेकर है। पिछले कई दिनों से महाराष्ट्र में जो राजनैतिक सरगर्मियां बढ़ीं हैं। वहां जो उथल पुथल मची है, सम्भवतः उसके पीछे सबसे बड़ा हाथ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का ही है। यानि महाराष्ट्र की राजनीति में महाचाणक्य के रूप में विख्यात शरद पवार अपने इस्तीफे के जरिये एक तीर से कई निशाने साधने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि उनके इस्तीफे की खबर से उनकी पार्टी के कई नेता भाउक भी हो गए हैं।
अपनी संशोधित आत्मकथा के विमोचन के दौरान जब उन्होंने अपने इस्तीफे की घोषणा की तो उनकी पार्टी के कई नेताओं के आँखों में आँसू आ आ गए थे। महाराष्ट्र की राजनीति की अब तक की जो स्क्रिप्ट है, उसके मुताबिक़ कयास यही लगाए जा रहे हैं कि अंदरखाने अजीत पवार और महाराष्ट्र के वर्तमान डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस के बीच कुछ सेटिंग हो चुकी है। शायद भाजपा भी अभी कुछ खुलकर इसलिए नहीं बोल रही है कि अभी सुप्रीम कोर्ट का फैसला आना बाकी है। जिस दिन एकनाथ शिंदे वाली शिवसेना के 16 विधायक अयोग्य घोषित हो गए, उस दिन एकनाथ शिंदे खुद ही मुख्यमंत्री पद से स्तीफा दे देंगे।
संभवतः भाजपा की यही कोशिश है कि कोई उनसे नाराज ना हो। यानि भाजपा की कोशिश है कि काम ऐसा हो कि सांप भी मर जाए और लाठी भी ना टूटे। उधर शरद पवार, शायद अध्यक्ष पद पर रहते हुए अजीत पवार के किसी निर्णय से घिर सकते थे। अगर अजीत पवार भाजपा के साथ चले जाते तो शायद शरद पवार विपक्ष को जवाब देने में अपने आप को असहज महसूस करते। इस्तीफा देकर अब विपक्ष के सभी सवालों से हमेशा के लिए बच गए। अब वो बड़े आराम से कह सकते है कि जब उन्होंने पार्टी के अध्यक्ष पद से स्तीफा दे दिया तो अब सारी जिम्मेवारी नए अध्यक्ष की होगी।
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