तमिलनाडु में धर्मांतरण के खिलाफ BJP ने बनाई व्यापक अभियान की योजना
भाजपा की तमिलनाडु इकाई बड़े पैमाने पर राज्य में धर्मांतरण के खिलाफ अभियान चला रही है।
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पार्टी ने सोमवार को केंद्रीय मंत्रियों -- नितिन गडकरी और वी.के. सिंह द्वारा जारी अपने घोषणापत्र में जबरन या प्रलोभन के माध्यम से धर्मांतरण के खिलाफ कड़े कानूनों का वादा किया।
घोषणापत्र में कहा गया है, "धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार धर्मांतरण का अधिकार नहीं है। राज्य में जबरन धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए धर्मांतरण विरोधी कानून बनाए जाएंगे।"
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष एल. मुरुगन, जो धारापुरम विधानसभा क्षेत्र से अन्नाद्रमुक-भाजपा गठबंधन के उम्मीदवार हैं, ने आईएएनएस को बताया, "हमारा घोषणापत्र स्पष्ट है और जबरन धर्म परिवर्तन के खिलाफ धर्मांतरण विरोधी कानून बनाए जाएंगे।"
"पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत जे. जयललिता ने 2002 में धर्मांतरण विरोधी कानून बनाया था, लेकिन इसके खिलाफ कड़े विरोध के बाद उन्हें निरस्त करना पड़ा।"
घोषणापत्र में यह भी कहा गया है कि यह कन्याकुमारी में सांप्रदायिक दंगों के बाद 1980 में गठित सांप्रदायिक हिंसा के खिलाफ न्यायमूर्ति वेणुगोपाल आयोग की सिफारिशों को लागू करेगा।
भाजपा ने अपने महत्वाकांक्षी मुद्दों को घोषणापत्र में पहले ही शामिल कर लिया है, जिसमें धर्म-परिवर्तन और गौ-हत्या विरोधी कानून शामिल हैं।
प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता आर.टी. राघवन ने आईएएनएस को बताया, "भाजपा अपनी विचारधारा से जुड़ी हुई है। हम पूरी तरह से जबरन धर्म परिवर्तन के खिलाफ हैं और यह धार्मिक स्वतंत्रता से पूरी तरह अलग है। हम गोहत्या के खिलाफ हैं और हमने अपने घोषणापत्र में गौहत्या के खिलाफ कड़ी कार्रवाई को शामिल किया है।"
जैसे-जैसे 6 अप्रैल का चुनावी दिन नजदीक आ रहा है, भाजपा घोषणा पत्र में प्रस्तावित धर्मांतरण विरोधी कानून पर अधिकतम प्रचार करने की कोशिश कर रही है।
जयललिता ने भी जबरन धर्म परिवर्तन का पुरजोर विरोध किया था और 2002 में इसके खिलाफ कानून भी लाया गया था, लेकिन भारी विरोध के बाद उन्हें इसे रद्द करना पड़ा।
बहरहाल, भाजपा की तमिलनाडु इकाई ने पहले ही वादा किया है कि गठबंधन के सत्ता में आने के बाद पार्टी धर्मांतरण विरोधी कानून लाएगी।
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