गृह मंत्रालय ने सौरभ भारद्वाज और सत्येंद्र जैन के खिलाफ जांच को दी मंजूरी, AAP का आरोपों से इनकार
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अस्पताल परियोजनाओं में देरी से संबंधित कथित घोटाले में दिल्ली के पूर्व स्वास्थ्य मंत्रियों सौरभ भारद्वाज और सत्येंद्र जैन के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत एसीबी जांच को मंजूरी दे दी है। राजनिवास के अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
![]() सौरभ भारद्वाज और सत्येंद्र जैन |
आम आदमी पार्टी (आप) ने आरोपों से इनकार किया। पार्टी ने आरोप लगाया कि यह नियमित परियोजनाओं में देरी को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है।
एक अधिकारी ने बताया, ‘‘सक्षम प्राधिकारी ने अस्पताल घोटाले में दिल्ली के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज और सत्येंद्र जैन के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 17ए के तहत भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) द्वारा जांच की मंजूरी दे दी है।
सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी छह मई को दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना द्वारा की गई सिफारिश के बाद मिली है।’’
इस बाबत पिछले साल अगस्त में भाजपा विधायक विजेंद्र गुप्ता ने शिकायत की थी।
शिकायत में आरोप लगाया गया है कि 2018-19 में 24 अस्पताल परियोजनाओं के लिए कुल 5590 करोड़ रुपये मंजूर किए गए थे, लेकिन उनमें अत्यधिक देरी हुई और लागत में भारी हुई, जो स्पष्ट रूप से बड़े पैमाने पर धन की हेराफेरी का संकेत देती है।
इसमें यह भी आरोप लगाया गया है कि कुल 6,800 बिस्तर क्षमता के साथ सात गहन चिकित्सा कक्ष (आईसीयू) वाले अस्पतालों को सितंबर, 2021 से छह महीने के भीतर पहले से बनाए ढांचों का उपयोग करके निर्माण के लिए 1125 करोड़ रुपये की लागत से मंजूरी दी गई थी। हालांकि, तीन साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी, 800 करोड़ रुपये की लागत से मात्र 50 प्रतिशत कार्य पूरा हुआ है।
अधिकारी ने बताया कि गुप्ता ने दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग में तत्कालीन मंत्रियों भारद्वाज और जैन की मिलीभगत से भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था।
अधिकारी ने कहा, "शिकायत के प्रथम दृष्टया अध्ययन के बाद एसीबी ने पाया कि परियोजना की लागत में लगातार वृद्धि की गई, विभाग द्वारा जानबूझकर देरी की गई, लागत प्रभावी समाधानों को अस्वीकार किया गया, धन का गलत आवंटन किया गया और बेकार परिसंपत्तियों का निर्माण किया गया... जिसके परिणामस्वरूप सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ।"
लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने आईसीयू अस्पतालों, पॉलीक्लिनिक और 24 अन्य अस्पतालों के निर्माण से संबंधित सभी मुद्दों की जांच करने के साथ ही भ्रष्टाचार, अनियमितताओं और नियमों के उल्लंघन की पहचान करने की सिफारिश की।
सतर्कता विभाग ने कहा कि अनुमान तैयार करने और योजना बनाने में कथित तौर पर उचित सावधानी नहीं बरती गई, जिस कारण लागत में असामान्य वृद्धि हुई।
आरोपों को खारिज करते हुए आम आदमी पार्टी (आप) ने कहा कि भाजपा और उपराज्यपाल ने नियमित परियोजनाओं में देरी को कथित भ्रष्टाचार के रूप में "हथियार" बनाकर शासन को "हास्यास्पद" बना दिया है।
‘आप’ ने कहा कि केंद्र की खुद की परियोजनाओं में देरी हो रही है और सवाल किया कि बुलेट ट्रेन परियोजना में 10 वर्ष की देरी के बारे में सीबीआई जांच क्यों नहीं शुरू की गई, या "तथ्य यह है कि केंद्र सरकार की 53 प्रतिशत बुनियादी ढांचा परियोजनाएं तीन वर्ष से अधिक की देरी और लागत में भारी वृद्धि का सामना कर रही हैं।"
पार्टी ने जैन के खिलाफ जांच को मंजूरी देने को "बेतुका" बताया और दावा किया कि उनका संबंधित परियोजनाओं से कोई संबंध नहीं है।
‘आप’ ने आरोप लगाया कि मंत्रियों को दोषी ठहराना तार्किक रूप से गलत है, जबकि ऐसे कार्यों में शामिल प्रत्येक अधिकारी सीधे उपराज्यपाल को रिपोर्ट करता है।
‘आप’ ने कहा, ‘‘अगर भ्रष्टाचार की यह नयी परिभाषा है तो हर हफ्ते दर्जनों केंद्रीय मंत्रियों को सीबीआई कार्रवाई का सामना करना चाहिए।’’
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