SC का रामनवमी झड़पों की NIA जांच के निर्देश वाले कलकत्ता HC के आदेश में हस्तक्षेप से इनकार

Last Updated 24 Jul 2023 07:27:25 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को राज्य में रामनवमी महोत्सव में हुई झड़पों की जांच करने का निर्देश दिया गया था।


सुप्रीम कोर्ट

सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ और न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की खंडपीठ ने कहा कि एनआईए को हिंसा की जांच करने का अधिकार देने के लिए केंद्र सरकार द्वारा अपनी स्वत: संज्ञान शक्ति का प्रयोग करते हुए जारी की गई अधिसूचना को राज्य सरकार द्वारा चुनौती नहीं दी गई है।

पीठ ने अपने आदेश में कहा, "... केंद्र सरकार की अधिसूचना को चुनौती के अभाव में हम विशेष अनुमति याचिका पर विचार नहीं कर रहे हैं।"

राज्य सरकार ने तर्क दिया कि पश्चिम बंगाल पुलिस द्वारा इस्तेमाल किए गए धुएं और आंसूगैस ग्रेनेड को विस्फोटक के रूप में पेश किया गया था।

पुलिस की ओर से पेश वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि उच्च न्यायालय का आदेश पुलिस अधिकारियों को हतोत्साहित करता है और इसकी विश्‍वसनीयता को कम करता है।

दूसरी ओर, एनआईए का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि झड़पों में बमों का इस्तेमाल शामिल था। उन्होंने तर्क दिया कि केंद्र सरकार आतंकवाद विरोधी जांच एजेंसी को विस्फोटकों से जुड़े मामलों की जांच करने का निर्देश दे सकती है, क्योंकि यह एनआईए अधिनियम, 2008 में निर्दिष्ट एक अनुसूचित अपराध है।

27 अप्रैल को इस मामले में एनआईए जांच का आदेश देते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश टी.एस. की खंडपीठ ने शिवगणनम और न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य ने कहा था कि उन लोगों को ढूंढना राज्य पुलिस की क्षमता से परे है जो झड़पों के लिए ज़िम्मेदार थे या जिन्होंने इसे उकसाया था और इसलिए एक केंद्रीय एजेंसी द्वारा जांच जरूरी थी।

एनआईए ने खंडपीठ द्वारा पारित आदेश के बाद मामले की जांच शुरू की, जिसने राज्य पुलिस को अगले दो सप्ताह के भीतर मामले से संबंधित सभी दस्तावेज एनआईए को सौंपने का भी निर्देश दिया था।

इससे पहले, इसी खंडपीठ ने छतों पर जमा हुए पत्थरों के बारे में जानकारी प्राप्त करने में राज्य पुलिस की खुफिया शाखा की विफलता पर सवाल उठाया था। पश्चिम बंगाल में हावड़ा और हुगली जिलों के कुछ हिस्सों में रामनवमी उत्सव पर जुलूसों को लेकर हिंसा हो गई, जो कुछ दिनों तक जारी रही।

19 जून को एनआईए ने उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा की एकल-न्यायाधीश पीठ से संपर्क किया था और पश्चिम बंगाल पुलिस पर इस साल राज्य में रामनवमी झड़पों से संबंधित महत्वपूर्ण दस्तावेज सौंपने में असहयोग का आरोप लगाया था।

एनआईए ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि चूंकि राज्य पुलिस सभी संबंधित दस्तावेजों को जमा करने की प्रक्रिया में सहयोग नहीं कर रही है और देरी कर रही है, इसलिए केंद्रीय एजेंसी अपनी जांच की गति में तेजी लाने में असमर्थ है।

राज्य सरकार ने दलील दी थी कि वह पहले ही उच्च न्यायालय के आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दे चुकी है और मामले की सुनवाई वहां लंबित है। हालांकि, एनआईए ने जवाब दिया कि चूंकि देश की शीर्ष अदालत ने अब तक कोई स्थगन आदेश पारित नहीं किया है, इसलिए केंद्रीय एजेंसी मामले में अपनी जांच जारी रखेगी।

आईएएनएस
नई दिल्ली


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