एनपीआर को फिर से अपडेट करने की जरूरत: गृह मंत्रालय की रिपोर्ट

Last Updated 08 Nov 2022 04:52:29 PM IST

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अपनी 2021-22 की वार्षिक रिपोर्ट में कहा है कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को अपडेट करने की जरूरत है।


केंद्रीय गृह मंत्रालय

सोमवार (7 नवंबर) को प्रकाशित रिपोर्ट में असम को छोड़कर पूरे देश में एनपीआर डेटाबेस को अपडेट करने की आवश्यकता को रेखांकित किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके माध्यम से देश में जन्म, मृत्यु और प्रवास के कारण जनसांख्यिकीय डेटा में परिवर्तन की पहचान की जाएगी और लोगों और उनके परिवारों की जानकारी दर्ज करना भी संभव होगा।

मंत्रालय की रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड -19 महामारी के कारण एनपीआर और अन्य क्षेत्र की गतिविधियों को अपडेट करने का काम रुक गया था।

गृह मंत्रालय ने कहा कि लोग एनपीआर डेटा को खुद अपडेट कर सकेंगे। अपडेशन के दौरान कोई दस्तावेज या बायोमेट्रिक्स एकत्र नहीं किया जाएगा। केंद्र सरकार ने इसके लिए 3,941 करोड़ रुपये के बजट को मंजूरी दी है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि एनपीआर को नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत बनाए गए नागरिकता नियम, 2003 के विभिन्न प्रावधानों के तहत तैयार किया गया है।

नाम, लिंग, जन्म तिथि, जन्म स्थान, निवास स्थान, पिता और माता का नाम अपडेट किया गया और आधार नंबर, मोबाइल नंबर और राशन कार्ड नंबर एकत्र किए गए। मंत्रालय ने कहा कि जन्म, मृत्यु और प्रवास के कारण होने वाले परिवर्तनों को शामिल करने के लिए रजिस्टर को अपडेट करने की आवश्यकता है।

एनपीआर 2010 में तैयार किया गया था और 2015 में अपडेट किया गया था। कई राजनीतिक दलों ने इसका विरोध किया और आरोप लगाया कि यह राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) बनाने की दिशा में एक कदम था।

रिपोर्ट के अनुसार, 1 अप्रैल, 2021 से 31 दिसंबर, 2021 तक, देश भर में कुल 1,414 लोगों को नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत नागरिकता का प्रमाण पत्र प्रदान किया गया था।

मंत्रालय ने बताया कि सरकार ने 29 जिलों के जिलाधिकारियों और नौ राज्यों के गृह सचिवों को पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, ईसाई और पारसी समुदायों के लोगों को जांच के बाद भारतीय नागरिकता देने का अधिकार दिया है।

आईएएनएस
नई दिल्ली


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