दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी से देश में नहीं हुई कोई मौत, राज्यसभा में स्वास्थ्य मंत्रालय का जवाब !
कोरोना महामारी की दूसरी वेव के दरम्यान देश के कई हिस्सों से ऑक्सीजन की किल्लत की वजह से कई मरीजों की मौत होने के मामले सामने आए थे। शायद ही कोई राज्य ऐसा बचा हो जहां कोविड की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन के लिए जूझते लोग, अपनो की जान बचाने के लिए इधर उधर जुगत लगाते लोगों की तस्वीर सामने न आई।
![]() दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी |
लेकिन दूसरी लहर के हल्का पड़ने के बाद अब केंद्र सरकार ने राज्यसभा में इसी संदर्भ में जवाब देते ये कह कर सबको चौंका दिया की दूसरी लहर के दौरान उसकी जानकारी में ऑक्सीजन की कमी से किसी की मौत नहीं हुई है। ना तो राज्य और न ही केंद्र शासित प्रदेशों से उसे ऐसी कोई रिपोर्ट भेजी गई। इसका मतलब ये हुआ की सरकार के पास महामारी के दौरान ऑक्सीजन की कमी की वजह मरने वाले लोगों का कोई आंकड़ा मौजूद ही नहीं है।
गौरतलब है की राज्यसभा विपक्ष द्वारा ऑक्सीजन की कमी से होने वाली मौतों को लेकर प्रश्न किया था...जिस पर स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जवाब देते हुए बताया गया कि दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी के कारण किसी की मौत नहीं हुई। राज्यसभा में सरकार ने बताया कि कोरोना से होने वाली मौतों की जानकारी नियमित आधार पर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय देते हैं। लेकिन किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश ने ऑक्सीजन की कमी से होने वाली मौत को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय को जानकारी नहीं दी है।
हालांकि स्वास्थ्य मंत्रालय ने ये जरूर बताया कि पहली लहर के मुकाबले दूसरी लहर में मेडिकल ऑक्सीजन की डिमांड काफी बढ़ गई थी। पहली लहर के दौरान जहां प्रतिदिन 3,095 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की डिमांड थी, तो वहीं दूसरी लहर में यही डिमांड 9,000 मीट्रिक टन तक पहुंच गई।
सरकार ने बताया कि दूसरी लहर में केंद्र की ओर से 28 मई तक राज्यों को 10,250 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की सप्लाई की गई। सबसे ज्यादा 1200-1200 मीट्रिक टन ऑक्सीजन महाराष्ट्र और कर्नाटक को दी गई। दिल्ली को 400 मीट्रिक टन ऑक्सीजन दी गई ।
स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से दी गई इस जानकारी ने सबको चौंका कर रख दिया है इसे लेकर कांग्रेस अब विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव लाने की तैयारी में है। कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने कहा कि "सरकार कह रही है कि ऑक्सीजन की कमी से किसी की मौत नहीं हुई। गलत जानकारी देकर उन्होंने सदन को गुमराह किया है। हम उनके खिलाफ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव लाएंगे। ये निंदनीय है."।
बहरहाल, कोविड को लेकर जिस तरह स्वास्थ्य मंत्रालय का मैनेजमेंट रहा था उसके बाद मोदी मंत्रिमंडल का अहम हिस्सा रहे खुद स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन और स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्वनी चौबे की मंत्रिमंडल से विदाई के बाद ये प्रश्न तो उठ खड़े हुए ही थे कि कोविड मैनेजमेंट को लेकर जो सरकार अपनी पीठ थपथपा रही थी उसकी इस रिपोर्ट ने ये तस्वीर तो उजागर कर ही दी की आंकड़ों में कोविद को लेकर जो मौतें हुई वो हकीकत की तस्वीरों से आखिर मेल क्यों नहीं खा रही।
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