कन्हैया मामले में दिल्ली सरकार को विचार के लिए मिला लंबा समय

Last Updated 09 Apr 2019 06:04:49 AM IST

अदालत ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार सहित 10 के खिलाफ देशद्रोह के तहत मुकदमा चलाने की अनुमति देने में विचार के लिए दिल्ली सरकार को लंबा समय दे दिया है।


जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार (file photo)

पटियाला हाउस कोर्ट के मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट दीपक सेहरावत ने सरकार को लगभग साढ़े तीन महीने देते हुए इस मामले की सुनवाई 23 जुलाई के लिए स्थगित कर दी।
सरकार ने 5 अप्रैल को अदालत से कहा था कि दिल्ली पुलिस ने उससे बिना अनुमति लिए चुपचाप आरोप पत्र दाखिल कर दिया था। उसने अभी तक आरोप पत्र में बताए गए उस नारे पर विचार नहीं किया है जिसे देशद्रोह माना गया है। इस पर वह अपने वकील से कानूनी राय ले रही है।

इसमें एक महीने का समय लग सकता है। अदालत ने 30 मार्च को इस मामले में पुलिस की भूमिका समाप्त माना था और सरकार से जवाब मांगा था। पुलिस ने सभी के खिलाफ 14 जनवरी को आठ पन्नों क आरोप पत्र दाखिल किया था। उसमें उसने 90 गवाहों की सूची सौंपी है।

इसके अलावा 50 पृष्ठ के सभी साक्ष्य व दस्तावेजों की सूची है। पूरा आरोप पत्र बारह सौ पन्ने का है। उसने सभी लोगों पर आरोप लगाया है कि आरोपियों ने संसद हमले के मास्टरमाइंड अफजल गुरु की फांसी की बरसी पर विविद्यालय में 9 फरवरी, 2016 को एक कार्यक्रम आयोजित किया था और उसमें देश के खिलाफ नारे लगाए थे।

दिल्ली पुलिस ने आरोप पत्र में मुख्य आरोपी कन्हैया कुमार के अलावा पूर्व छात्र उमर खालिद व अनिर्बान भट्टाचार्य को बनाया है। वे तीनों इस मामले में गिरफ्तार किए गए थे। इसके अलावा कश्मीरी छात्र आकिब हुसैन, मुजीब हुसैन, मुनीब हुसैन, उमर गुल, रईया रसूल, बशीर भट व बशरत को भी मुख्य आरोपी बनाया गया है।

पुलिस ने आरोप पत्र के कॉलम 12 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के नेता डी. राजा की बेटी अपराजिता, जेएनयूएसयू छात्र संघ की तत्कालीन उपाध्यक्ष शहला राशिद, राम नागा, आशुतोष कुमार के अलावा बनोज्योत्सना लाहिरी सहित कम से कम 36 अन्य लोगों नाम दिए हैं। उन लोगों के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं मिले थे।

सहारा न्यूज ब्यूरो
नई दिल्ली


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