कन्हैया पर मुकदमे की अनुमति देने में देरी पर दिल्ली सरकार को फटकार
अदालत ने 2016 के राजद्रोह के मामले में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार एवं अन्य पर मुकदमा चलाने की अनुमति देने में विलंब के लिए दिल्ली सरकार को बुधवार को फटकार लगाते हुए कहा कि वे अनिश्चितकाल तक फाइल को लेकर बैठ नहीं सकते।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार (file photo) |
मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट दीपक सहरावत ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया कि वह संबंधित अधिकारियों को प्रक्रिया तेज करने को कहे।
अदालत ने इसके साथ ही कन्हैया और जेएनयू के पूर्व छात्रों उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य समेत अन्य आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिये जरूरी अनुमति हासिल करने के लिए उसे तीन सप्ताह का समय दिया। जब दिल्ली पुलिस ने अनुमति हासिल करने के लिए और वक्त मांगा तो अदालत ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 28 फरवरी को निर्धारित कर दी।
अदालत ने कहा कि संबंधित अधिकारियों से मामले में तेजी लाने को कहें। वे अनिश्चितकाल तक फाइल को लेकर बैठ नहीं सकते। अदालत ने इससे पहले अनुमति हासिल किये बिना कन्हैया और अन्य के खिलाफ आरोप पत्र दायर करने के लिए दिल्ली पुलिस से सवाल किया था। अदालत ने कहा था कि आपने मंजूरी के बिना आरोप पत्र क्यों दाखिल किया।
पुलिस ने सभी के खिलाफ 14 जनवरी को आठ पन्नों क आरोप पत्र दाखिल किया था। उसमें उसने 90 गवाहों की सूची सौंपी है। इसके अलावा 50 पृष्ठ का सभी साक्ष्य व दस्तावेजों की सूची है। उसने सभी लोगों पर आरोप लगाया है कि आरोपियों ने संसद हमले के मास्टरमाइंड अफजल गुरु के फांसी की बरसी पर विश्वविद्यालय में 9 फरवरी, 2016 को एक कार्यक्रम आयोजित किया था और उसमें देश के खिलाफ नारे लगाये थे।
आरोप पत्र में मुख्य आरोपी कन्हैया कुमार के अलावा पूर्व छात्र उमर खालिद व अनिर्बान भट्टाचार्य को बनाया है।
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