आप ने गौ मांस के सेवन को गैर कानूनी ठहराने वाले कानून का बचाव

Last Updated 05 Feb 2018 07:43:06 PM IST

आप सरकार ने आज उच्च न्यायालय में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में गौ मांस रखने और उसका सेवन करने को अपराध करार देने वाले कानून का बचाव किया तथा कहा कि गायों एवं अन्य दुधारु पशुओं तथा भार ढोने वाले पशुओं को वध से बचाना संविधान के तहत राज्य का दायित्व है.


आप का गौ मांस के सेवन को गैर कानून का बचाव (फाइल फोटो)

दिल्ली की आप सरकार के पशुपालन विभाग ने कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की पीठ के समक्ष दाखिल हलफनामे में यह बात कही है. इस मामले की अगली सुनवाई 16 मई को होगी. उच्च न्यायालय में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में गौ मांस रखने और उसका सेवन करने को अपराध करार देने वाले कानून का बचाव किया तथा कहा कि गायों एवं अन्य दुधारु पशुओं तथा भार ढोने वाले पशुओं को वध से बचाना संविधान के तहत राज्य का दायित्व है.

विभाग ने कहा है कि संविधान का अनुच्छेद 48 राज्य के कंधे पर गायों, बछिया एवं बछडों और अन्य दुधारु पशुओं तथा भार ढोने वाले मवेशियों के संरक्षण, उनमें सुधार और उन्हें वध से बचाने का दायित्व डालता है.

उसने दलील दी, ''अएतव, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में बीफ रखने और उसका भक्षण करने को अवैध करार देने वाले दिल्ली कृषि पशु संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों को असंवैधानिक नहीं ठहराया जाए.''

यह हलफनामा एक जनहित याचिका के जवाब में दाखिल किया गया है. याचिका में इस कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गयी है.



याचिकाकर्ताओं - विधि छात्र गौरव जैन तथा अनुसूचित जाति एवं जनजाति के विकास के लिए काम करने वाले एक गैर सरकारी संगठन ने कहा है, ''किसी व्यक्ति द्वारा अपनी पसंद का भोजन करना जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार का अभिन्न हिस्सा है. यह कानून याचिकाकर्ताओं के अपनी पसंद के खाना खाने के अधिकारों का अतिक्रमण करता है.''

भाषा


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