कोरोना संकट के बीच MP में गेहूं खरीदी और भंडारण की नायाब तरकीब

Last Updated 24 Apr 2020 12:44:11 PM IST

मध्य प्रदेश में कोरोना वायरस के संक्रमण के रोकथाम के लिए किए जा रहे प्रयासों की झलक गेहूं खरीदी और भंडारण में भी नजर आ रही है। एक तरफ जहां सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ख्याल रखा ही जा रहा है तो वहीं दूसरी ओर खरीदी और भंडारण में वैज्ञानिक व तकनीक का सहारा लिया जा रहा है।


राज्य में इस बार 110 लाख टन गेहूं खरीदी का लक्ष्य रखा गया है, जो बीते साल 96 लाख टन था। कोरोना महामारी के बीच हो रही गेहूं खरीदी के लिए मंडियों में किसानों के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं।

राज्य में अब तक लगभग साढ़े 10 लाख टन गेहूं की खरीदी हुई है। मंडियों में गेहूं बेचने आ रहे किसान मास्क, सेनेटाइजर का इस्तेमाल तो कर ही रहे है वहीं सोशल डिस्टेंसिंग पर विशेष जोर है। वहीं, खरीदी ओर भंडारण के लिए वैज्ञानिक और तकनीक का सहारा भी लिया जा रहा है।

राज्य में 289 सहकारी समितियों के एक लाख 81 हजार से अधिक किसानों से उपार्जित 11 लाख मीट्रिक टन गेहूं का भंडारण 25 साईलो बैग (प्लास्टिक) और स्टील साइलो में किया जाना है। यह भंडारण की ऐसी तकनीक है जिसके चलते गेहूं पर मौसम की मार नहीं पड़ती और उसकी सुरक्षा के इंतजाम नहीं करना होते। विशाल आकार के प्लास्टिक और स्टील के गोदाम के समान होते हैं साइलो।

राज्य में हाउसिंग एंड लॉजिस्टिक कापोर्रेशन द्वारा सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की भागीदारी के साथ नौ स्थानों भोपाल, सीहोर, विदिशा, होशंगाबाद, नागौद , सतना हरदा, उज्जैन और देवास में 50-50 हजार मीट्रिक टन क्षमता वाले स्टील साइलो केन्द्र स्थापित किए गए हैं ।

इनकी कुल भंडारण क्षमता साढ़े चार लाख मीट्रिक टन है। इसी प्रकार 16 स्थानों नागदा, सलमानीया बड़ौदा, पिछोर, बैरसिया, श्यामपुर, गमाखर, गोहरगंज, शुक्रवारा, बरपटी, हटा, बरछा, मझौली, सारंगपुर और वेदगबा में साइलो बैग (प्लास्टिक) भंडारण केन्द्रों की कुल भंडारण क्षमता छह लाख 30 हजार मीट्रिक टन है ।

खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण के प्रमुख सचिव शिवशेखर शुक्ला ने बताया कि साइलो बैग ओर स्टील साईलो खाद्यान्न भंडारण की आधुनिकतम तकनीकी है। इस तकनीकी में खाद्यान्न को सुरक्षित रखने के लिए कीटनाशक औषधियों के उपयोग की आवश्यकता नहीं होती। इसमें गेहूं बिना कीटनाशक के उपयोग के भी लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है।

प्रमुख सचिव शुक्ला ने बताया कि कोरोना संक्रमण काल के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग की व्यवस्था को बनाए रखने में साइलो बैग पद्धति, भंडारण की आदर्श व्यवस्था सिद्ध हो रही है।

इस व्यवस्था में भंडारण का काम न्यूनतम मानव श्रम से संभव हो सका है। इसमें किसान जब एक ट्रैक्टर ट्रॉली या एक ट्रक में खाद्यान्न लेकर अकेला केन्द्र पर पहुंचता है, तो धर्म-कांटे पर तौल करने के बाद हाइड्रोलिक सिस्टम के द्वारा एक ही बार में उसका पूरा गेहूं भंडारण के लिए खाली करा लिया जाता है।

इस तरह किसान अधिकतम 15 से 20 मिनट के अंदर अपना गेहूं बेचकर फुरसत हो जाते हैं। इस कारण इन केन्द्र पर भीड़-भाड़ होने या अधिक मात्रा में लोगों के इकट्ठा होने की संभावना नगण्य रहती है। सुरक्षा की दृष्टि से सभी केन्द्रों पर हैंडवॉश, सेनिटाइजर और मास्क की व्यवस्था भी सुनिश्चित की गई है।

आईएएनएस
भोपाल


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