सरदार सरोवर बांध: उपवास के आठवें दिन मेधा पाटकर की तबियत बिगडी

Last Updated 03 Aug 2017 07:44:21 PM IST

सरदार सरोवर बांध के डूब क्षेत्र के प्रभावितों के लिये उचित पुनर्वास की मांग को लेकर मध्यप्रदेश के धार जिले के चिखल्दा गांव में अनिश्चितकालीन उपवास पर बैठी नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर की आज आठवें दिन तबियत बिगड गई.


मेधा पाटकर की तबियत बिगडी (फाइल फोटो)

उपवास स्थल से नर्मदा बचाओ आंदोलन के नेता अब्बाद कमाल ने फोन पर पीटीआई-भाषा को बताया, आज सुबह मेधाजी को उल्टियां हुई.  उन्होंने कहा,  27 जुलाई से मेधाजी के साथ 11 अन्य महिलाएं भी अनिश्चितकालीन उपवास पर उनके साथ चिखल्दा गांव में बैठी हैं. मेधाजी के अलावा, उपवास पर बैठे चार अन्य लोगों का स्वास्थ्य भी खराब हो गया है. उपवास पर बैठै ये सभी पिछले आठ दिनों से केवल पानी ही पी रहे हैं. 

नर्मदा बचाओ आंदोलन की एक अन्य नेता हिम्शी सिंह ने बताया कि मेधाजी के स्वास्थ्य की जांच करने के लिए आज दो चिकित्सक आये थे, लेकिन मेधाजी ने जांच करवाने से मना कर दिया.

इसी बीच, निसरपुर में पिछले आठ दिनों से डेरा डाले धार के कलेक्टर श्रीमन शुक्ल ने कहा, मेधा पाटकर जी अनशन पर बैठी हैं. हम लोग उनके स्वास्थ्य के प्रति बडे गंभीर हैं. अनशन स्थल पर पहुंचकर हम उनसे बार-बार अनुरोध कर रहे हैं कि वह अपना स्वास्थ्य परीक्षण करवा लें. 

शुक्ल ने कहा, जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी अपनी टीम के साथ मेधाजी को स्वास्थ्य परीक्षण के लिए मनाने के लिए पूरी कोशिश कर रहे हैं, लेकिन वह इसके लिए तैयार नहीं हो रही हैं.  उन्होंने कहा कि मेधाजी द्वारा अपने स्वास्थ्य परीक्षण की जांच से इनकार करने के बाद भी हम उनके स्वास्थ्य पर पैनी नजर रखे हुए हैं.

वहीं, नर्मदा बचाओ आंदोलन के नेताओं ने बताया कि जब तक सरदार सरोवर बांध से प्रभावित सभी लोगों को उचित पुनर्वास नहीं हो जाता और मुआवजा नहीं मिलता,  तब तक उपवास जारी रहेगा. उन्होंने कहा कि सरकार हमसे छलावा कर रही है. विस्थापितों के बारे में झूठे आंकडे पेश कर रही है.

इसी बीच, प्रभावितों ने नर्मदा बचाओ आंदोलन के नेतृत्व में अपनी मांगों को लेकर जिला मुख्यालय बडवानी के कारंजा चौक में आज एक विशाल रैली निकाली और उचित पुनर्वास से पहले प्रभावितों को घर खाली करने के आदेश देने के विरोध में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का पुतला फूंका.

दूसरी ओर, मध्यप्रदेश नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के एक अधिकारी ने बताया, सरदार सरोवर बांध से मध्यप्रदेश के 71 गांवों से 7,010 परिवरों का विस्थापन होना बाकी बचा हुआ है. इनमें से 4,618 परिवार धार जिले में तथा 2,392 परिवार बडवानी जिले में निवासरत हैं. राज्य सरकार ने कल से इन परिवारों से उनके घरों में जाकर मिलना शुरू कर दिया है और उनसे अनुरोध किया जा रहा है कि वे अपने-अपने घरों को इस बांध का पानी उनके इलाके में आने से पहले खाली कर दें. 

उन्होंने कहा कि सरदार सरोवर बांध के मामले में उच्चतम न्यायालय ने इस साल फरवरी में निर्णय दिया था कि 31 जुलाई तक इस बांध की डूब क्षेत्र में आ रहे विस्थापित परिवारों को अपने-अपने घरों एवं जमीन को छोड़ना होगा. इसके बाद डूब क्षेत्र में कोई नहीं रहेगा. यह अंतिम समय सीमा थी.

अधिकारी ने कहा कि प्रभावित लोगों को 31 जुलाई तक हटने के लिए बंधनकारी था. उच्चतमत न्यायालय ने कहा था कि जो लोग अपने घरों को खाली नहीं करेंगे, उन्हें हटाने के लिए मध्यप्रदेश सरकार के लिए ओपन रहेगा और वह बल प्रयोग भी कर सकती है. हमारे पास उनकी जिंदगी को बचाने का यही आखिरी विकल्प है.

उन्होंने कहा कि जो लोग इस बांध के कैचमेंट इलाके में अब भी रह रहे हैं, उनके लिए राज्य सरकार ने अस्थाई टीन शेड भी बनाये हैं. जब तक वे अपना स्थाई मकान नहीं बनाते हैं, तब तक वे इन टीन शेडों में रह सकते हैं.



हालांकि, नर्मदा बचाओ आंदोलन के नेताओं का दावा है कि नवागाम के पास गुजरात में नर्मदा नदी पर बने सरदार सरोवर बांध के गेटों को जून में बंद करने से मध्यप्रदेश में नर्मदा नदी के आसपास रहने वाले धार, बडवानी, अलीराजपुर एवं खरगौन जिलों के 40,000 परिवार डूब की चपेट में आ रहे है. इन घरों में करीब तीन लाख लोग रहते हैं. वे बेघर हो रहे हैं.

उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार ने उन्हें 31 जुलाई तक अपने-अपने घरों को छोडने को कहा था, लेकिन कई लोग उचित पुनर्वास की मांग को लेकर अपने घर खाली करने को तैयार नहीं हैं और सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. उनका कहना है कि हम तब तक अपने घरों को नहीं छोडेंगे, जब तक हमारे लिए उचित पुनर्वास की व्यवस्था नहीं हो जाती.

नर्मदा बचाओ आंदोलन के नेताओं का कहना है कि प्रदेश सरकार के अधिकारी डूब प्रभावित लोगों को अपने स्थान से हटाकर टीन शेड में रहने के लिये बाध्य कर रहे हैं तथा पुनर्वास स्थलों पर बुनियादी सुविधाएं तक नहीं दी गयी हैं. टीन शेड के रूप में बने इन अस्थायी घरों में कोई भी नहीं रह सकता है. 

इस संबंध में धार जिले के पुलिस अधीक्षक वीरेन्द्र सिंह ने कल बताया कि क्षेत्र में नर्मदा का जलस्तर लगातार बढ रहा है. आम लोगों को समझाइश दी जा रही है. हम कोई बल प्रयोग नहीं करेंगे तथा पुलिस बल को भी निर्देश दिए गये हैं कि यहां भी सिहंस्थ की तरह सेवा भाव से काम करें और धैर्य का परिचय दें.

 

 

भाषा


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