झारखंड भी फिसला भाजपा के हाथ से, अपनी सीट भी नहीं बचा पाए रघुबर दास, दिया इस्तीफा
झारखंड विधानसभा चुनावों में देर रात तक मिले परिणामों से झारखंड मुक्ति मोर्चा-कांग्रेस गठबंधन की सरकार बनना तय हो गया।
जीत के बाद समर्थकों के बीच सोरेन। |
81 सदस्यीय विधानसभा के आए नतीजों में गठबंधन को 47 सीटों पर विजय हासिल हुई है। इसमें झामुमो को 30, कांग्रेस को 16 और राजद को एक सीट मिली है। भाजपा को सिर्फ 25 सीटों से संतोष करना पड़ा है। इस तरह वह राज्य में सबसे बड़ी पार्टी होने का मौका भी गंवा चुकी है। मुख्यमंत्री रघुबर दास स्वयं जमशेदपुर पूर्व से अपने ही मंत्रिमंडल सहयोगी रहे सरयू राय से 15000 वोटों से अधिक से चुनाव हार गए हैं। रघुबर दास ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। राज्यपाल ने उन्हें नई सरकार के गठन तक पद पर बने रहने को कहा है।
झारखंड मुक्ति मोर्चा ने राज्य के इतिहास में सबसे अच्छा प्रदर्शन किया है। बाबूलाल मरांडी की झारखंड विकास मोर्चा को राज्य में तीन सीटें मिली हैं। अन्य छोटे दलों में भाकपा (माले लिबरेशन) एक, राजद एक, राष्ट्रवादी कांग्रेस एक तथा दो सीट निर्दलीय को मिली है।
आज के परिणाम में एक खास बात यह भी रही कि जहां महागठबंधन करके कांग्रेस-झामुमो और राजद अपने वोट जोड़ने में सफल रहे, वहीं वर्ष 2014 के विधानसभा और हाल के लोस चुनावों में गठबंधन सहयोगी रहे भाजपा और आज्सू अलग होकर बुरी तरह घाटे में रहे। पिछले विस चुनावों में जहां भाजपा ने 37 सीटें जीती थीं वहीं वह इस बार सिर्फ 25 पर सिमट गई।
जबकि उसकी सहयोगी रही आजसू पिछली विस में सिर्फ आठ सीटें लड़कर पांच सीटों पर जीती थी जबकि इस बार उसने 53 सीटें लड़कर महज दो सीटों पर विजय हासिल की। कम से कम 12 विस सीटें ऐसी हैं जहां दोनों पार्टियों के मत जोड़ देने से उनके उम्मीदवार की जीत निश्चित थी।
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