मुख्यमंत्री ने 40 वर्षों से लंबित उत्तर कोयल जलाशय परियोजना को शुरू करने की मंजूरी दी
मुख्यमंत्री रघुवर दास ने लगभग 40 वर्षों से लंबित उत्तर कोयल जलाशय परियोजना (मंडल डैम) को शुरू करने पर अपनी सहमति प्रदान कर दी है.
मुख्यमंत्री रघुवर दास (फाइल फोटो) |
एक सरकारी विज्ञप्ति में बताया गया कि बुधवार को मंत्रालय में झारखंड राज्य वन्यजीव बोर्ड की बैठक में इससे संबंधित निर्णय लिया गया. राज्य सरकार के प्रयास से इस परियोजना के संदर्भ में प्रधानमंत्री कार्यालय और नीति आयोग की बैठक में भी चर्चा हुई. इस परियोजना के लिए भारत सरकार धन दे रही है.
बैठक में दास ने कहा कि इस परियोजना के शुरू हो जाने से बड़े भूभाग को सिंचाई के लिए पानी मिल पायेगा और पलामू में होनेवाली पानी की समस्या से काफी हद तक निजात पायी जा सकती है.
इस परियोजना के तहत पलामू टाइगर रिजर्व की 1007.29 हेक्टेयर वन भूमि का उपयोग किया जायेगा लेकिन इससे आबादी प्रभावित नहीं होगी. बोर्ड की बैठक में जंगली हाथियों से होनेवाले जान-माल की क्षति कम करने के लिए वनरोपण के तहत बांस के रोपण को बढ़ाने का भी निर्णय लिया गया. मुख्यमंत्री ने यह काम निकटवर्ती गांव के लोगों को देने का निर्देश दिया, जिससे इसकी सही तरीके से देख-रेख हो सकेगी और उन्हें आमदनी भी होगी.
हाथियों से होनेवाले जान-माल के नुकसान की मुआवजा राशि भी बढ़ाई जायेगी. जानवरों की जल समस्या के निदान के लिए तीन वर्षीय योजना को मंजूरी दी गयी है. इसके तहत जंगलों में चेकडैम, छोटे तालाब आदि का निर्माण कराया जायेगा.
बैठक में उधवा झील पक्षी आश्रयणी के इको सेंसिटिव जोन के अंतर्गत आने वाली दो खदानों के लिए सशर्त पर्यावरण मंजूरी प्रदान की गयी है. बैठक में विधायक ताला मरांडी, अपर मुख्य सचिव अमित खरे, वन विभाग के प्रधान सचिव सुखदेव सिंह, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव संजय कुमार, खान सचिव सुनील कुमार बर्णवाल समेत बोर्ड के अन्य सदस्य उपस्थित थे.
मंडल डैम परियोजना के तहत सात गांव (कुटकू, भजना, खुरा, खैरा, मंडल, मेराल और सनेया) की 1007.29 हेक्टेयर वन भूमि का उपयोग होगा. इससे लातेहार व गढ़वा जिले की सिंचाई योजनाओं में लाभ मिलेगा. उत्तर कोयल जलाशय परियोजना की परिकल्पना 1960 के दशक में की गयी थी. 1970 के दशक में इसकी शुरुआत की गयी.
इस बांध परियोजना में कुटकू ग्राम के नजदीक बरवाडीह प्रखंड (लातेहार) में उत्तर कोयल नदी पर जलाशय एवं जलाशय से 96 किलोमीटर दूरी पर नदी के निचले प्रवाह में एक बैराज का प्रावधान था. बैराज और जलाशय का काम गेट को छोड़कर पूरा किया जा चुका है.
इस परियोजना में अब तक 800 करोड़ रुपये की राशि खर्च की जा चुकी है. पहले जलाशय के गेट की ऊंचाई 367.28 मीटर प्रस्तावित थी, जिससे लगभग 6000 हेक्टेयर वन भूमि डूब क्षेत्र में आती. बाद में राज्य सरकार के प्रयास से गेट की ऊंचाई 341 मीटर की गयी जिससे सिर्फ 1007.29 हेक्टेयर वन भूमि प्रभावित होगी. इस जलाशय योजना से पलामू टाइगर रिजर्व की जल संरक्षण क्षमता पर अनुकूल प्रभाव पड़ेगा. वन्य प्राणियों पर भी इसका अनुकूल प्रभाव पड़ेगा.
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