छठ पूजा 2022: कांच ही बांस के बहंगिया बहंगी लचकत जाए...

Last Updated 29 Oct 2022 01:09:30 PM IST

लोक आस्था का चार दिवसीय छठ महापर्व शुक्रवार को नहाय–खाय (संकल्प) के साथ ही भक्ति और शक्ति की प्रकाष्ठा तक पहुंचने लगा।


(फाइल फोटो)

जात–पात‚ उंच–नीच को दरकिनार करने के साथ सामाजिक सद्भावना की उंचाई को दर्शाता यह पर्व सोमवार को उदयाचल सूर्य का अर्घ्यदान करने के साथ संपन्न होगा। अधिकांश घरों में आयोजित होने वाले इस महापर्व में पूरा शहर ही भगवान सूर्य और छठी मईया की भक्ति में लीन है। जिनके घर छठ नहीं हो रहा‚ वे लोग अपने पास–पड़़ोस और सगे–संबंधियों के घर जाकर महापर्व में सहयोग करने में तत्पर हैं।

जोड़े़–जोड फलवा सुपलवा में भरी–भरी. कांच ही बांस के बहंगिया‚ बहंगी लचकत जाए. होई न बलम जी कहरिया‚ बहगी घाटे पहुंचाए.मरवो रे सुगना धनुख से सुगा गिरे मुरझाए.केलवा के पात पर उगले सुरज देव.जैसे मधुर लोक गीतों में सूर्य देव औ छठी मईया की महिमा के गुणगान ने तो पूरे शहर में भक्ति का सर घोल दिया है।

लोक गायिका शारदा सिन्हा‚ देवी‚ अनुराधा पौड़वाल‚ पवन सिंह‚ ड़ा. लक्ष्मी सिंह के स्वर में गूंज रहे छठ के ये भक्ति गीत श्रद्धालुओं की जुवान पर चढ़ गया है। स्थानीय श्रद्धालुओं ने शहर के गली–मोहल्लों की सफाई और धुलाई तो इस तरह शुरू कर दी है कि मानों नगर निगम बहुत पीछे है। सामाजिक संगठनों ने सफाई से लेकर रौशनी की व्यवस्था तक की कमान संभाल ली है। यही है आस्था और निष्ठा की प्रकाष्ठा। ॥

एसएनबी
पटना


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