किसी को हराना या जिताना नहीं, बिहार को बढ़ाना है : प्रशांत किशोर

Last Updated 18 Feb 2020 12:04:54 PM IST

जनता दल (युनाइटेड) के पूर्व उपाध्यक्ष और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने यहां मंगलवार को कहा कि गांधी और गोडसे की विचारधारा एक साथ नहीं चल सकती है। उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पितातुल्य बताते हुए कहा कि उनके लिए मन में सम्मान पहले भी था और आज भी है।


जनता दल यूनाइटेड(जदयू) के पूर्व नेता और चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर

 किशोर ने कहा कि यहां बैठने का प्रयोजन किसी पार्टी को हराना या जिताना नहीं, बल्कि बिहार को आगे बढ़ाना है।

उन्होंने कहा, "मुझे किसी गठबंधन या राजनीतिक दल के कार्यक्रम में कोई दिलचस्पी नहीं है। मैं यहां किसी की पार्टी को बिगाड़ने या बनाने नहीं आया हूं।"

किशोर ने एक कार्यक्रम की शुरुआत करने की घोषणा करते हुए कहा, "20 फरवरी से मैं एक नया कार्यक्रम 'बात बिहार की' शुरू करने जा रहा हूं। मैं किसी गठबंधन या किसी राजनीतिक पार्टी से नहीं जुड़ने जा रहा। मैं ऐसे लोगों को जोड़ना चाहता हूं, जो बिहार को अग्रणी राज्यों की दौड़ में शामिल करना चाहते हैं। जब तक जीवित हूं बिहार के लिए पूरी तरह समर्पित हूं, मैं कहीं नहीं जाने वाला हूं। मैं आखिरी सांस तक बिहार के लिए लड़ूंगा।"

किशोर ने नीतीश कुमार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि बिहार को लीड करने वाला नेता चाहिए न कि पिछलग्गू बनकर कुर्सी पर बने रहने वाला नेता।

उन्होंने खुद को 'बिजनसमैन' कहने से इंकार किया और कहा कि बिहार हमेशा पोस्टकार्ड वाला ही राज्य बना रहे, यह बिहार के लोग नहीं चाहते। फेसबुक और ट्विटर पर सिर्फ गुजरात के लोगों का एकाधिकार नहीं है।

जद (यू) से निष्कासित किए जाने के बाद पहली बार पटना पहुंचे किशोर ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, "नीतीश जी से मेरा संबंध विशुद्घ राजनीतिक नहीं रहा है। 2015 में जब हम मिले, उसके बाद से नीतीश जी ने मुझे बेटे की तरह ही रखा है। जब साथ नहीं थे तब भी उन्होंने मुझे बेटे जैसा ही व्यवहार किया। जब मैं दल में था तब भी और नहीं था तब भी। नीतीश कुमार मेरे पितातुल्य ही हैं। उन्होंने जो भी फैसला किया, मैं सहृदय स्वीकार करता हूं।"

उन्होंने नीतीश और खुद के विचारों में मतभेद की चर्चा करते हुए कहा, "जितना नीतीश जी को जानता हूं, वह हमेशा कहते रहे हैं कि गांधी, जेपी और लोहिया की बातों को नहीं छोड़ सकते। मेरे मन में दुविधा रही है कि जब गांधी के विचारों पर आवाज उठा रहे हैं तो फिर उसी समय में गोडसे की विचारधारा वाले लोगों के साथ कैसे खड़े हो सकते हैं।"

उन्होंने कहा, "गांधी और गोडसे एक साथ नहीं चल सकते। गांधी और गोडसे की विचारधारा को लेकर हम दोनों में मतभेद रहा है। हम दोनों के बीच मतभेद की पहली वजह रही है कि गांधी और गोडसे की विचारधारा।"

उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार भाजपा के साथ 2004 के बाद से रहे हैं और आज जिस तरह से रहे हैं, उसमें जमीन आसमान का अंतर है। प्रशांत किशोर ने कहा, "अगर आपके झुकने से भी बिहार का विकास हो रहा है तो हमें कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन क्या बिहार की इतनी तरक्की हो गई, जिसकी आकांक्षा यहां के लोगों की है? क्या बिहार को विशेष राज्य का दर्ज मिल गया?"

प्रशांत किशोर ने कहा कि नीतीश कुमार की मांग के बावजूद अब तक पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा नहीं मिल सका।

किशोर ने हालांकि यह भी कहा कि "नीतीश कुमार के 15 साल के राज में बिहार में खूब विकास हुआ है, मगर क्या आज के मानकों पर राज्य में विकास हो गया है। क्या हम कई अन्य राज्यों से पिछड़े नहीं हैं?"

आईएएनएस
पटना


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