अर्थशास्त्री उत्सा पटनायक ने बुधवार को कहा कि उच्च अमेरिकी शुल्क से भारत के कृषि, कपड़ा और दवा क्षेत्रों के प्रभावित होने की आशंका के बीच ऐतिहासिक ‘स्वदेशी आंदोलन’ की तरह विदेशी उत्पादों का बहिष्कार इस दबाव से निपटने का एक तरीका हो सकता है।

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जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की पूर्व प्रोफेसर डॉ पटनायक ने पी सुंदरैया मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा आयोजित एक कार्यशाला में विदेशी बस्तुओं के बहिष्कार का आह्वान किया।
स्वदेशी आंदोलन ब्रिटिश शासन के समय 1905 में मुख्य रूप से बंगाल विभाजन के विरोध में शुरू किया गया था।
उन्होंने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए जा रहे उच्च शुल्क इस बात को दर्शाते हैं कि अमेरिकी उपभोक्ता संकट में हैं।
पटनायक ने कहा कि 1930 के दशक की महामंदी के दौरान अमेरिकी बाजार की रक्षा के लिए 20 प्रतिशत का व्यापक शुल्क लगाया गया था और अब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एकतरफा तौर पर अमेरिकी बाजार को बंद करके ऐसा ही किया है।
उन्होंने कहा, ‘‘ट्रंप के कदम इस तथ्य को दर्शाते हैं कि अमेरिकी उपभोक्ता संकट की स्थिति में हैं। जोसेफ स्टिग्लिट्ज ने अनुमान लगाया है कि नवउदारवादी दौर में अमेरिकी श्रमिकों का वास्तविक वेतन वास्तव में कम हो गया है। उन्हें खुद भी लगता है कि वे अब पहले जैसी दर पर उपभोग नहीं कर सकते हैं।’’
स्टिग्लिट्ज एक अमेरिकी अर्थशास्त्री, सार्वजनिक नीति विश्लेषक और कोलंबिया विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं।
उन्होंने अमेरिकी कार्रवाई को संकट से बाहर निकलने का एक ‘‘हताशा भरा प्रयास’’ करार दिया।
पटनायक ने कुछ अमेरिकी कृषि उत्पादों पर शुल्क हटाने पर वियतनाम और इंडोनेशिया जैसे देशों की सहमति का उदाहरण देते हुए आगाह किया कि इस तरह की कार्रवाई भारतीय किसानों के हितों को नुकसान पहुंचा सकती है।
उन्होंने कहा कि अमेरिका के पास कृषि के अंतर्गत भले ही एक विशाल क्षेत्र है लेकिन उसके पास उत्पादन में विविधता नहीं है और वह साल में केवल एक ही फसल उगा सकता है, जबकि भारत साल में दो फसलें उगाता है।
इस स्थिति से निपटने के उपायों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘हम ऐसी स्थिति में हैं जहां हमारी इच्छा के विरुद्ध आयात हम पर थोपा जा रहा है। यह एक तरह का नया आर्थिक स्वतंत्रता संग्राम है, जहां आयात का बहिष्कार हमारे किसानों एवं मजदूरों के हित में है। आइए, बहिष्कार करें।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह आम लोगों के अलावा उन लोगों की तरफ से भी होना चाहिए जो कच्चे माल का उपयोग करते हैं। हम आयातित कच्चे माल का उपयोग नहीं करेंगे... बिल्कुल स्वदेशी आंदोलन की तरह।’’
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का रूसी तेल की खरीद के लिए भारत पर लगाया गया अतिरिक्त 25 प्रतिशत शुल्क बुधवार से प्रभावी हो गया। भारत पर अमेरिका द्वारा लगाया गया कुल शुल्क अब 50 प्रतिशत हो गया है।
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