न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर विचार कर रही सरकार

Last Updated 28 May 2025 12:38:33 PM IST

केंद्र सरकार इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के खिलाफ संसद में महाभियोग प्रस्ताव लाने के विकल्प पर विचार कर रही है।


इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश यशवंत वर्मा

न्यायमूर्ति वर्मा पर राष्ट्रीय राजधानी में उनके आधिकारिक आवास से भारी मात्रा में जली हुई नकद राशि मिलने के बाद उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त जांच समिति ने अभियोग लगाया है।
सरकारी सूत्रों ने बताया कि अगर न्यायमूर्ति वर्मा स्वयं इस्तीफा नहीं देते हैं तो उनके खिलाफ संसद में महाभियोग प्रस्ताव लाना एक स्पष्ट विकल्प होगा।
संसद का मानसून सत्र जुलाई के दूसरे पखवाड़े में शुरू होने की संभावना है।
न्यायमूर्ति वर्मा को उनके आवास पर भारी मात्रा में जली हुई नकद राशि मिलने की अप्रिय घटना के बाद दिल्ली उच्च न्यायालय से इलाहाबाद उच्च न्यायालय वापस भेज दिया गया था।
तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ महाभियोग की कार्रवाई करने की सिफारिश की थी।
उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित आंतरिक जांच समिति ने न्यायमूर्ति वर्मा पर अभियोग लगाया था जिसके बाद न्यायमूर्ति खन्ना ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को यह पत्र भेजा, हालांकि इसके निष्कर्षों को सार्वजनिक नहीं किया गया।
सूत्रों ने बताया कि पूर्व प्रधान न्यायाधीश खन्ना ने न्यायमूर्ति वर्मा को इस्तीफा देने के लिए कहा था, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया।
एक आधिकारिक सूत्र ने कहा कि वर्मा के खिलाफ कार्रवाई की औपचारिक प्रक्रिया अभी शुरू नहीं हुई है।
वर्मा ने खुद को निर्दोष बताया है और अपने ‘आउटहाउस’ में आग लगने के बाद मिली नकदी से किसी भी तरह के संबंध से इनकार किया है।
सरकारी सूत्रों ने कहा कि वर्मा के खिलाफ कार्रवाई करने से पहले सरकार विपक्षी दलों को विश्वास में लेगी। इस घटना के बाद न्यायमूर्ति वर्मा को विभिन्न राजनीतिक दलों की आलोचना का सामना करना पड़ा है।
एक सूत्र ने कहा, ‘‘इस मामले पर जल्द अंतिम निर्णय लिया जाएगा। इस तरह के स्पष्ट घोटाले को नजरअंदाज करना मुश्किल है।’’
संसद के दोनों सदनों में से किसी एक में महाभियोग प्रस्ताव लाया जा सकता है।
राज्यसभा में कम से कम 50 सदस्यों को प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने होते हैं और लोकसभा में 100 सदस्यों को इसका समर्थन करना होता है।
प्रस्ताव दो-तिहाई मतों से पारित होने पर लोकसभा अध्यक्ष या राज्यसभा के सभापति जांच समिति में उच्चतम न्यायालय के एक मौजूदा न्यायाधीश और एक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को नामित करने के लिए प्रधान न्यायाधीश को पत्र लिखते हैं।
सरकार प्रस्ताव में उल्लिखित आरोपों की जांच करने वाली समिति में अपनी ओर से एक ‘‘प्रतिष्ठित न्यायविद’’ को नामित करती है।
सूत्रों ने कहा कि सरकार चाहती है कि प्रस्ताव को सभी दलों का समर्थन मिले। सरकार प्रस्ताव के मसौदे पर सभी दलों से परामर्श करेगी, जिसमें तीन सदस्यीय समिति के निष्कर्ष शामिल होंगे। समिति ने न्यायाधीश के आवास से आधी जली हुई नकदी की गड्डियां मिलने की जांच की थी। न्यायमूर्ति वर्मा घटना के समय दिल्ली उच्च न्यायालय में थे।
बाद में उन्हें इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वापस भेज दिया गया।

भाषा
नई दिल्ली


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