कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी उनका संवैधानिक अधिकार : सुप्रीम कोर्ट

Last Updated 27 Apr 2024 09:55:33 AM IST

कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी विशेषाधिकार नहीं, बल्कि उनका संवैधानिक अधिकार होने की बात कहते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश सरकार को कामकाजी माताओं को बाल देखभाल अवकाश देने के संपूर्ण पहलू पर पुनर्विचार करने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समिति का गठन करने का आदेश दिया।


देश के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ हिमाचल प्रदेश में बाल देखभाल अवकाश न मिलने से परेशान एक महिला सहायक प्रोफेसर द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई कर रही है।

अपीलकर्ता ने कहा कि दुर्लभ आनुवंशिक विकार से पीड़ित अपने बेटे के इलाज के लिए उसकी सभी स्वीकृत छुट्टियां समाप्त हो गईं हैं।

पीठ में शामिल न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला ने कहा, "एक मॉडल नियोक्ता के रूप में राज्य उन विशेष चिंताओं से अनजान नहीं हो सकता, जो कार्यबल का हिस्सा महिलाओं के मामले में उत्पन्न होती हैं। महिलाओं के लिए बाल देखभाल अवकाश का प्रावधान यह सुनिश्चित करने के महत्वपूर्ण संवैधानिक उद्देश्य को पूरा करता है कि महिलाएं कार्यबल के सदस्यों के रूप में अपनी उचित भागीदारी से वंचित न रहें। अन्यथा, बाल देखभाल अवकाश के अनुदान के प्रावधान के अभाव में, एक मां को कार्यबल छोड़ने के लिए बाध्य होना पड़ सकता है।

अदालत ने कहा कि राज्य की नीतियों को सुसंगत होना चाहिए और संवैधानिक सुरक्षा उपायों के साथ समन्वयित होना चाहिए, यह देखते हुए कि कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी विशेषाधिकार का मामला नहीं है, बल्कि संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 19(1)(जी) और 21 द्वारा संरक्षित एक संवैधानिक अधिकार है।

कोर्ट ने राज्य सरकार को मामले के सभी पहलुओं को देखने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समिति के गठन का आदेश दिया। इसमें आरपीडब्ल्यूडी अधिनियम के तहत नियुक्त राज्य आयुक्त और महिला एवं बाल विकास विभाग और समाज कल्याण विभाग के सचिव शामिल होंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा,“समिति की रिपोर्ट सक्षम प्राधिकारी के समक्ष रखी जाएगी, ताकि एक सुविचारित नीतिगत निर्णय शीघ्रता से लिया जा सके। समिति की रिपोर्ट 31 जुलाई तक तैयार की जाएगी और इस न्यायालय को भी सौंपी जाएगी।”

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि इस बीच, अगले आदेश तक, विशेष छुट्टी देने के लिए अपीलकर्ता के आवेदन पर सक्षम अधिकारियों द्वारा अनुकूल विचार किया जाएगा।

इससे पहले 2021 में, हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने अपीलकर्ता द्वारा दायर रिट याचिका को इस आधार पर खारिज कर दिया था कि केंद्रीय सिविल सेवा (छुट्टी) नियम, 1971 के नियम 43-सी को हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा हटा दिया गया है।

 

आईएएनएस
नई दिल्ली


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment