Bilkis Bano Case: बिलकिस बानो केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा- कुछ दोषियों को विशेषाधिकार कैसे

Last Updated 15 Sep 2023 10:42:27 AM IST

बिलकिस बानो के दोषियों की समय से पहले रिहाई पर सुप्रीम कोर्ट ने फिर सवाल उठाए हैं।


सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बिलकिस बानो सामूहिक दुष्कर्म मामले के 11 दोषियों को सजा में छूट देकर निर्धारित अवधि से पहले पिछले साल अगस्त में रिहा करने वाले फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा कि कुछ दोषियों को इतना विशेषाधिकार कैसे मिल सकता है?

न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ के समक्ष आज एक आरोपी का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने दलील पेश की। उन्होंने अपनी दलील में कहा कि दोषियों को केवल इस आधार पर छूट के लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता है कि उसका अपराध जघन्य था।

इस पर पीठ ने उनसे पूछा कि कैसे ये दोषी जेल से समय से पहले रिहाई के हकदार हैं। उन्होंने पैरोल की लंबी अवधि (1000-1500 दिनों के बीच) का लाभ लिया। ऐसे में सवाल उठता है कि कुछ दोषी दूसरों की तुलना में अधिक विशेषाधिकार प्राप्त कैसे हो सकते हैं?

पीठ ने कहा कि सवाल यह है कि क्या कुछ दोषियों के साथ अलग व्यवहार किया जा रहा है?पीठ ने कहा कि सवाल यह है कि क्या बिल्किस मामले में दोषियों को कानूनी तौर पर सजा में छूट का लाभ दिया गया।

वहीं, श्री लूथरा ने अदालत के समक्ष दलील देते हुए कहा कि क्या इन लोगों (दोषियों) को स्वतंत्रता से वंचित किया जाना चाहिए और क्या कार्यपालिका के पास इस पर निर्णय लेने की शक्ति नहीं है।

पीठ ने कहा कि अपराध की प्रकृति और मामले में सबूत दोषियों की सजा में छूट या शीघ्र रिहाई के आवेदन पर विचार करने के कारक नहीं हैं। शीर्ष अदालत ने हालांकि कहा कि उसे इस बात की जांच करनी होगी कि क्या बिलकिस बानो सामूहिक बलात्कार मामले के दोषियों को समय से पहले जेल से रिहा करने के संबंध में कोई तरजीह दी गई थी। शीर्ष अदालत इस मामले की अगली सुनवाई 20 सितंबर को करेगी।

उल्लेखनीय है कि अगस्त 2022 में बिलकिस बानो मामले में 11 दोषियों को दी गई छूट को बिलकिस सहित अन्य ने याचिकाएं दायर कर के चुनौती दी गई हैं।

अन्य याचिकाकर्ताओं में पूर्व सांसद और मार्क्सवादी कम्युनिस्टा पार्टी (माकपा) नेता सुभाषिनी अली, तृणमूल कांग्रेस (तृणमूल ) सांसद महुआ मोइत्रा, स्वतंत्र पत्रकार रेवती लौल और लखनऊ विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति रूप रेखा वर्मा शामिल हैं।

वार्ता
नई दिल्ली


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment