Monsoon Session: लोकसभा में आज पेश होगा डेटा संरक्षण विधेयक, 3 और कानून भी हो सकते हैं पेश

Last Updated 07 Aug 2023 09:38:47 AM IST

सरकार सोमवार (7 अगस्त) को लोकसभा में चार विधेयकों को पारित करने की कोशिश करेगी, जिसमें विवादास्पद डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2023 भी शामिल है, जिसका 3 अगस्त को पेश किए जाने का विपक्ष ने कड़ा विरोध किया था।


सरकार अनुसंधान राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन विधेयक, 2023, फार्मेसी (संशोधन) विधेयक, 2023 और मध्यस्थता विधेयक, 2023 को भी सोमवार को लोकसभा में पारित कराने का प्रयास करेगी।

राज्यसभा में दिल्ली सेवा विधेयक चर्चा और पारित होने के लिए आएगा।

आप समेत विपक्षी दलों ने विधेयक का विरोध करने के लिए अपने सदस्यों को पूरी ताकत के साथ उच्च सदन में मौजूद रहने के लिए व्हिप जारी किया है।

20 जुलाई को मानसून सत्र शुरू होने के बाद से लोकसभा में 14 विधेयक पारित किए गए हैं।

दिल्ली सेवा विधेयक को छोड़कर, जिसे व्यापक चर्चा के बाद पारित किया गया, शेष सभी 13 विधेयक मणिपुर मुद्दे पर विपक्ष के हंगामे के बीच लोकसभा में बिना किसी चर्चा के पारित कर दिए गए हैं।

जिस तरह से मानसून सत्र आगे बढ़ा है, संसद के दोनों सदनों में मणिपुर की स्थिति पर विपक्ष के जोरदार विरोध के कारण संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी और इस मामले पर उनकी प्रतिक्रिया की मांग की गई है। इस बात की संभावना है कि ये चार विधेयक भी सोमवार को बिना ज्यादा चर्चा के पारित हो सकते हैं।

3 अगस्त को विपक्ष ने लोकसभा में विवादास्पद डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2023 को पेश करने का कड़ा विरोध किया था और इसे समीक्षा के लिए संसदीय समिति को भेजने के लिए कहा था।

जैसे ही आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में विधेयक पेश करने की अनुमति मांगी, कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्ष ने इसे पेश करने का विरोध किया था।

एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने बिल का विरोध करते हुए इस पर मतविभाजन की मांग की थी। निचले सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा था कि सरकार इस विधेयक के जरिये लोगों के सूचना के अधिकार को कुचलना चाहती है।

कांग्रेस सदस्य गौरव गोगोई ने कहा था कि यह कानून निजता के अधिकार का हनन करता है, जबकि एक अन्य कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि यह अंतिम विधेयक नहीं है और इसे समीक्षा के लिए संसदीय समिति के पास भेजने की जरूरत है। उनकी पार्टी के सहयोगी और सांसद शशि थरूर ने भी कहा कि विधेयक को संसदीय पैनल के पास भेजा जाना चाहिए।

आरएसपी सांसद एन.के. प्रेमचंद्रन ने भी सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के संभावित कमजोर पड़ने और राज्यों की स्वायत्तता के बारे में चिंता जताते हुए इस विधेयक का विरोध किया था।

यह विधेयक भारतीयों के डिजिटल अधिकारों को मजबूत करने का दावा करता है, लेकिन इसने केंद्र सरकार और एजेंसियों को नागरिकों के डेटा तक निर्बाध पहुंच की अनुमति देने के बारे में भी चिंता जताई है।

विपक्ष के विरोध के बावजूद बिल ध्वनि मत से लोकसभा में पेश किया गया। विधेयक पेश करते समय वैष्णव ने विपक्ष की आशंकाओं को दूर करने का प्रयास किया था।

उन्होंने जोर देकर कहा कि यह सामान्य विधेयक है और विपक्षी सांसदों द्वारा उठाए गए मुद्दे सरकार की विधायी क्षमता से संबंधित नहीं हैं।

उन्होंने सदन को आश्‍वासन दिया था कि सरकार विपक्षी सांसदों द्वारा लगाए गए आरोपों का जवाब देने सहित विधेयक पर विस्तृत चर्चा के लिए तैयार है।
 

आईएएनएस
नई दिल्ली


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