Cipla नहीं रहेगी भारत की, अलीगढ़ और इलाहाबाद के लोगों को याद आएंगे Abdul Hamid.
दवा कम्पनी सिप्ला( Cipla)भारत की न सिर्फ सबसे पुरानी दवा कम्पनी है बल्कि इसका सम्बन्ध स्वतंत्रता संग्राम से भी रहा है।
![]() Cipla, Abdul Hamid |
राष्ट्रवादी विचार धारा की एक अलख जगाने वाली सिप्ला की बागडोर अब कुछ दिनों बाद किसी और के हाथों में होगी। न्यूयार्क की ब्लैकस्टोन कंपनी ने इसकी बोली लगा दी है। संभवतः कुछ दिनों बाद सिप्ला भारत की ना होकर अमेरिकी कम्पनी बन जाएगी। इसके संस्थापक ख्वाजा अब्दुल हमीद ने इसकी शुरुवात मुंबई से 1935 में की थी। बहुत कम लोगों को पता है कि ख्वाजा अब्दुल हमीद अलीगढ के रहने वाले थे और उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई की थी। अगर इस कम्पनी का अधिग्रहण हो गया तो 88 वर्षों बाद हमीद परिवार हमेशा के लिए इस कम्पनी से बाहर हो जाएगा।
अलीगढ के रहने वाले ख्वाजा अब्दुल हमीद का जन्म उत्तर प्रदेश के अलीगढ में अब्दुल अली और मसूद जहां बेगम के घर हुआ था। हमीद ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि हासिल की थी। उसके बाद उन्होंने जर्मनी के बर्लिन की हम्बोल्ट विश्वविद्यालय से एमए और पीएचडी की पढ़ाई की थी। हामिद महात्मा गांधी से बहुत प्रेरित हुए थे। उन्होंने महात्मा गांधी का अनुसरण किया था। विदेश में रसायन की पढ़ाई करने के बाद हामिद ने केमिकल इंडस्ट्रियल एन्ड फार्मास्युटिकल लैब्रोट्रीज यानि सिप्ला की स्थपना 1935 में की थी। 1937 से इसमें उत्पादन होने लगा था। उनके सबसे बड़े बेटे युसूफ हामिद अब सिप्ला के अध्यक्ष हैं। ख्वाजा अब्दुल हामिद की मृत्यु 1972 में हो गई थी। ख्वाजा अब्दुल ने भी इंग्लैण्ड से रसायन शास्त्र का अध्ययन किया था। हामिद अपने जीवन के चार दशकों के दौरान सिप्ला फार्म की स्थापना के माध्यम से भारत में दवा और रासायनिक उद्योग के मानकों को असाधारण रूप से उच्च स्तर तक बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
सिप्ला लिमिटेड एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी के साथ-साथ आज देश की तीसरी सबसे बड़ी दवा कम्पनी है, जो मुख्य रूप से श्वसन ,हृदय रोग ,गठिया और मधुमेह की दवाएं बनाती है। आज की तारीख में कम्पनी की कीमत लगभग 94 हजार करोड़ रूपए है। इसक मुख्यालय मुंबई में है। लगभग 88 वर्षों से देश की यह दवा कम्पनी, सिप्ला ने कई मानक स्थापित किए हैं। लेकिन अब यह कम्पनी तो जीवित रहेगी, लेकिन इसके मालिकान बदल जाएंगे। अब कुछ दिनों बाद इस कम्पनी का स्वामित्व अमेरिका की एक वैकल्पिक निवेश प्रबंधन कम्पनी के हाथों में होगा। ब्लैकस्टोन इंक न्यूयॉर्क शहर में स्थित एक अमेरिकी वैकल्पिक निवेश प्रबंधन कंपनी है । ब्लैकस्टोन का निजी इक्विटी व्यवसाय पिछले तीन दशकों में लीवरेज्ड बायआउट्स में सबसे बड़े निवेशकों में से एक रहा है , जबकि इसके रियल एस्टेट व्यवसाय ने सक्रिय रूप से वाणिज्यिक रियल एस्टेट का अधिग्रहण किया है। ब्लैकस्टोन क्रेडिट, इंफ्रास्ट्रक्चर, हेज फंड, बीमा, सेकेंडरी और ग्रोथ इक्विटी में भी सक्रिय है। 2023 की दूसरी तिमाही तक, प्रबंधन के तहत कंपनी की कुल संपत्ति लगभग 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर थी , जो इसे विश्व स्तर पर सबसे बड़ी वैकल्पिक निवेश फर्म बनाती है।
इस कम्पनी के साथ बहुत सारी यादें ऐसी हैं, जो भुलाई नहीं जा सकती हैं। इस समय इस कम्पनी में लगभग सात हजार कर्मचारी जुड़े हैं। जिस समय देश के लोग अंग्रेजों से लोहा ले रहे थे। उस समय हामिद का परिवार देश की आर्थिक स्थिति कैसे मजबूत किया जाए, इस पर विचार कर रहा था। हामिद का परिवार यह भी सोच रहा था कि देश में कैसे औद्योगिक माहौल तैयार किए जाएं ताकि भारत में ही कुछ चीजों का उत्पादन होने लगे। उसी कड़ी में अली परिवार के बेटे ख्वाजा अब्दुल हामिद ने सिप्ला की स्थापना की। जब से इस कम्पनी के अधिग्रहण की बातें शुरू हुईं हैं, तबसे देश के अलग-अलग हिस्सों से तमाम तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। सब यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि आखिर ऐसी कौन सी बात हो गई कि सिप्ला को बेचने की नौबत आ गई। देश के कुछ लोगों ने दुःख व्यक्त किया है, वहीं कांग्रेस के नेता जयराम रमेश ने कहा है कि सिप्ला को लेकर यह समय दुखी होने का है।जो लोग जानते होंगे कि ख्वाजा अब्दुल हामिद का ताल्लुक अलीगढ़ और इलाहाबाद से रहा है शायद उन लोगों को और भी ज्यादा दुःख होगा।
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