BJP नेतृत्व वाली NDA और कांग्रेस ,दोनों की राजनैतिक पिच तैयार, ऐसे होगी दोनों की बैटिंग
यूसीसी को लेकर पूरे देश में हंगामा मचा हुआ हुआ है। केंद्र की सरकार यूसीसी यानि यूनिफार्म सिविल कोड को लेकर गंभीर है।
![]() Narendra Modi, Vipakshi Neta |
प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी खुद कह चुके हैं कि जब एक घर में एक कानून चलता है तो फिर देश में एक कानून क्यों नहीं। यानि सत्ताधारी पार्टी भाजपा कथित तौर पर 2024 लोकसभा चुनाव के पहले यूसीसी को एक राजनैतिक टूल की तरह इस्तेमाल करने की योजना बना रही है, जबकि देश की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस ने अभी तक यूसीसी पर अपना स्टैंड क्लियर नहीं किया है। उधर देश भर के तमाम मुस्लिम संगठनों ,आदिवासी नेताओं और देश की कुछ राजनैतिक पार्टियों ने इसका विरोध किया है। शनिवार को इसी मुद्दे को लेकर कांग्रेस ने भी एक बैठक की।
कांग्रेस को शायद इतना तो पता है कि यूसीसी के रूप में भाजपा ने एक राजनैतिक दांव खेल दिया है जो देश के लिए उतना बूरा नहीं है ,इसीलिए कांग्रेस शायद यह सोच रही है कि इसका विरोध करने से पहले हरेक चीज का बारीकी से अध्ययन कर लिया जाए। क्योंकि कांग्रेस को अच्छी तरह पता है कि समर्थन करने से बहुत ज्यादा राजनैतिक फायदा नहीं होने वाला है। जबकि इसका विरोध करके फायदा तो होगा लेकिन उसके लिए बहुत कुछ दांव पर लगाना पडेगा। यूसीसी एक ऐसा मामला है जिसको लेकर आज भाजपा फ्रंटफुट पर है।
पूरी संभावना है कि इस बार संसद के मानसून सत्र में इस पर चर्चा ज्यादा हो। चूँकि यूसीसी भाजपा का कथित तौर पर एक राजनैतिक मुदा भी हो सकता है, लिहाजा उसकी कोशिश, पूरे देश को यही बताने की है कि यूसीसी देश के लिए कितना ज्यादा जरुरी है। वैसे यूसीसी देश के लिए कितना जरुरी है, इसका आंकलन बाद में होगा। लेकिन यह 2024 लोकसभा चुनाव के लिए कितना महत्वपूर्ण है, इसका अंदाजा तभी लग गया था जब खुद प्रधानमंत्री मोदी ने अपने एक भाषण के दौरान इसका जिक्र किया था।
आगामी लोकसभा चुनाव के लिए देश की दोनों पार्टियों ने अपनी अपनी राजनैतिक पिचें तैयार कर रखी हैं। कांग्रेसी नेता राहुल गांधी ने बेरोजगारी ,महंगाई और सामाजिक असमानता रूपी पिच तैयार कर भाजपा को घेरने की कोशिश कर रहे हैं। अपनी उसी पिच पर वो नफरत के बाजार में मोहब्बत की दूकान खोलने की बात कर बढ़िया बैटिंग करने की कोशिश कर रहे हैं, तो भाजपा उन्हें यूसीसी की पिच पर खेलने के लिए आमंत्रित कर रही है। दोनों ही पार्टियों की पिचें उनके अपने हिसाब से सही हैं। दोनों ही पार्टियां अच्छी तरह से जानती हैं कि एक दूसरे की पिच पर जाकर बैटिंग करना खतरे से खली नहीं है। लिहाजा दोनों ही पार्टियां फूंक-फूंक कर एक एक दूसरे की पिच पर जाने की सोच रही हैं।
कांग्रेस को अच्छी तरह से पता है कि संसद के मानसून सत्र में उनकी बनाई गई राजनैतिक पिच पर बातचीत करने का मौक़ा कम ही मिलेगा, क्योंकि इस समय संसद की डोर भाजपा के हाथ में है। कांग्रेस शायद यह भी देख रही है कि पूरे देश भर में यूसीसी को लेकर क्या माहौल बन रहा है। शनिवार की बैठक में यूसीसी के साथ-साथ बेंगलुरु में होने वाली विपक्षी पार्टियों की बैठक पर भी चर्चा होगी। आगामी 18 जुलाई को एनडीए और विपक्षी दोनों की बैठक होने जा रही है। यह तय है कि एनडीए की बैठक में शामिल सभी पार्टियां शायद यूसीसी का समर्थन कर दें। बात यूसीसी की हो या फिर किसी और मामले की हो, सभी मामलों को चुनावी मुद्दे के रूप में स्थापित करने की कोशिश की जा रही है। अगले कुछ माह तक सत्ताधारी एनडीए और विपक्ष की सभी पार्टियां ऐसे ही नरेटिव सेट करती रहेंगी। देश की जनता को ही तय करना है कि किस नरेटिव पर ज्यादा ध्यान दे।
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