18 जुलाई को NDA की बैठक, ऐसे होगा चाचा पशुपति और भतीजा चिराग के भविष्य का फैसला !
वर्षों से किसी बड़े गठबंधन में जाने की राह देख रहे चिराग पासवान को एनडीए में शामिल होने का नेवता मिल गया है।
![]() Chirag Paswan, Pashupati Paras |
औपचारिक रूप से लोकजन शक्ति पार्टी (रामविलास पासवान) के अध्यक्ष चिराग पासवान अब एनडीए के हिंसा बन चुके हैं। 18 जुलाई देश की राजनीति के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होने वाला है। उस दिन जहाँ बेंगलुरु में विपक्ष की तमाम पार्टियां एक साथ बैठकर अपनी एकजूटता को अमलीजामा पहनाने की कोशिश करेंगीं, वहीं भाजपा नेतृत्व वाली एनडीए में कौन-कौन सी पार्टियां शामिल होंगीं, इसका भी खुलासा हो जाएगा। दिल्ली के अशोका होटल में होने वाली बैठक की अगुवाई खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। निश्चित तौर पर उस बैठक में विपक्ष की एकता को लेकर भी चर्चा होगी। साथ ही साथ यह भी चर्चा होगी कि एनडीए में शामिल पार्टियां किस तरह से चुनाव में जाएं और अधिक से अधिक सीटें जीतकर एक फिर नरेंद्र मोदी को 2024 में देश का प्रधानमंत्री बनाएं।
18 जुलाई को फिलहाल एनडीए की बैठक में शामिल होने के लिए सभी सहयोगी दलों को नेवता भेज दिया गया है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा की तरफ से नेवता भेजा गया है। उस बैठक में अपना दल ,लोकजन शक्ति पार्टी( पारस गुट) ,लोकजन शक्ति पार्टी (रामविलास पासवान) गुट ,शिवसेना शिंदे गुट ,एनसीपी अजीत पवार गुट ,आजसू ,एस के एम ,एमएनएफ ,एनपीएफ ,एआईए डीएमके ,आरपीआई( ए) ,अगप ,पीएमके ,टीएमसी(एम) और यूपीपीएल आदि दल शामिल होंगे। इसके अलावा अभी बिहार महागठबंधन से अलग हुए हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के जीतन राम मांझी ,निषाद पार्टी और सुहेल देव भारतीय समाज पार्टी के नेता ओमप्रकाश राजभर के शामिल होने की संभावना है।
हालंकि इस बैठक में जो भी पार्टियां शामिल होने वाली हैं, उन सबका उस बैठक में आना लगभग अपेक्षित था, लेकिन उस बैठक में सबसे बड़ा मौक़ा मिला है, वर्षों से उपेक्षित चल रहे चिराग पासवान को, जबसे लोकजन शक्ति पार्टी में टूट हुई है तबसे चिराग पासवान का राजनैतिक करियर डांवाडोल की स्थिति में बना हुआ था। हालांकि वह बार-बार अपने आपको मोदी का हनुमान बताकर भाजपा के प्रति अपना विश्वास और अपनी आस्था जताते रहे, लेकिन भाजपा ने उन्हें ज्यादा तवज्जो ना देकर उनके चाचा पशुपति कुमार पारस को ज्यादा भाव दिया। अब उस बैठक में चिराग पासवान शामिल हो रहे हैं। ऐसे में सबकी नजरें इस बात पर टीकी होंगी कि लोकजन शक्ति पार्टी को तोड़कर उस पर कब्जा जमाने वाले चिराग के चाचा के सामने उनकी स्थिति क्या रहने वाली है। दूसरी सबसे अहम् बात यह है कि हाजीपुर लोकसभा सीट किसके खाते में जायेगी।
हाजीपुर सीट रामविलास पासवान की सीट हुआ करती थी। वर्तमान में उनके भाई पशुपति पारस यहां से सांसद हैं। जबकि चिराग पासवान इस सीट को अपने पिता की विरासत बताकर यहां से चुनाव लड़ने की तयारी कर रहे हैं। जबकि पशुपति पारस उस सीट को छोड़ना नहीं चाहते। एनडीए की बैठक में शामिल होने वाले सभी पार्टियों के नेता इस बात को अच्छी तरह से जानते हैं कि सभी पार्टियों को सीटें भाजपा की मर्जी से दी जाएंगी। ऐसे में जो चिराग पासवान हाजीपुर सीट पर नजरें गड़ाए बैठे हैं उनको झटका लग सकता है। क्योंकि अगर भाजपा ने हाजीपुर सीट से पशुपति पारस को चुनाव लड़ा दिया तो चिराग पासवान को एक बार फिर से अपनी किश्मत जमुई लोकसभा से आजमानी पड़ेगी।
अगर ऐसा होता है तो चिराग के लिए मुश्किल भी खड़ी हो सकती है, क्योंकि चिराग बहुत दिनों से हाजीपुर से चुनाव लड़ने की बात कर रहे हैं। जमुई की जनता भी इस बात को जान चुकी है कि अब चिराग पासवान का जमुई की लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने का कोई मन नहीं है। ऐसे में संभव है कि वहां की जनता ने किसी अन्य प्रत्यासी के लिए मन बनाना शुरू कर दिया हो। जदयू और राजद समेत अन्य पार्टियों के गठबंधन की नजर भी उस सीट पर बनी हुई है। ऐसे में चिराग पासवान भले ही अब औपचारिक तौर से एनडीए के हिस्सा बन गए हैं, लेकिन उनकी मुश्किलें शायद कम नहीं होंगी। दूसरी तरफ उनके चाचा अगर हाजीपुर से दुबारा चुनाव लड़ते हैं तो कोई जरूरी नहीं कि वह भी चुनाव जीत ही जाएं। यानी 2024 का लोकसभा चुनाव चाचा-भतीजे दोनों के चुनौती पूर्ण होने वाले हैं।
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