भारत का चंद्रयान-3 सफलता पूर्वक लॉन्च, चंद्रमा पर छाप छोड़ने के लिए चंद्रयान-3 ने भरी उड़ान

Last Updated 14 Jul 2023 02:21:43 PM IST

भारत के चंद्रमा पर तीसरे मिशन चंद्रयान-3 की सफल लॉन्चिंग हो गई। चंद्रमा पर छाप छोड़ने के लिए भारत का चंद्रयान-3 ने आज दोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर पर सफलता पूर्वक उड़ान भर ली।


भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने आज 642 टन वजन वाला एलवीएम3 रॉकेट ने दोपहर बाद 2.35 बजे चंद्रयान के साथ उड़ान भरी। चंद्रयान-3 को श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया। इसके साथ ही भारत एक बार फिर से इतिहास रचने को तैयार हो गया है।

मिशन चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग के लिए काउंटडाउन गुरुवार के दोपहर 1.05 बजे से शुरू हो चुकी थी। आज शुक्रवार दोपहर 2.35 मिनट पर इसकी लॉन्चिंग हो गई।

प्रक्षेपण के ठीक 16 मिनट बाद लगभग 2.50 बजे करीब 179 किमी की ऊंचाई पर चंद्रयान-3 रॉकेट से अलग हो गया। इसके बाद चंद्रयान-3 लगभग 3.84 लाख किमी की अपनी लंबी चंद्रमा यात्रा पर निकल गया।

चंद्रयान को चंद्रमा पर पहुंचने में करीब 40 दिन का समय लगेंगे।इसरो की तरफ से बताय गया  कि चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान में एक प्रोपल्शन मॉड्यूल (वजन 2,148 किलोग्राम), एक लैंडर (1,723.89 किलोग्राम) और एक रोवर (26 किलोग्राम) शामिल है।

अंतरिक्ष यान द्वारा ले जाए गए लैंडर के 23 या 24 अगस्त को चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने की संभावना है।

गुरुवार को दोपहर 1.05 बजे उल्टी गिनती शुरू हुई। इस दौरान अंतिम मिनट की जांच की गई, तरल और क्रायोजेनिक चरणों को ईंधन दिया गया।

रॉकेट का पहला चरण ठोस ईंधन द्वारा संचालित है। दूसरा चरण तरल ईंधन द्वारा संचालित है जबकि तीसरे और अंतिम चरण में तरल हाइड्रोजन और तरल ऑक्सीजन द्वारा संचालित क्रायोजेनिक इंजन है।

चंद्रयान-3 यान को भारत का 642 टन भारी लिफ्ट रॉकेट एलवीएम3 अंतरिक्ष में ले जाएगा।

जबकि पहले रॉकेट का पहला चरण ठोस ईंधन द्वारा संचालित होता है, दूसरा चरण तरल ईंधन द्वारा संचालित होता है, और तीसरे और अंतिम चरण में तरल हाइड्रोजन और तरल ऑक्सीजन द्वारा संचालित क्रायोजेनिक इंजन होता है।

विस्फोट के समय 642 टन के रॉकेट का कुल प्रणोदक द्रव्यमान तीनों चरणों को मिलाकर 553.4 टन होगा। उड़ान से ठीक 16 मिनट पहले या लगभग 2.50 बजे रॉकेट लगभग 179 किमी की ऊंचाई पर चंद्रयान-3 को खुद से जुदा कर देगा। इसके बाद चंद्रयान-3 लगभग 3.84 लाख किमी की अपनी लंबी चंद्रमा यात्रा शुरू करेगा।

अंतरिक्ष यान द्वारा ले जाए गए लैंडर के 23 या 24 अगस्त को चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने की उम्मीद है।

इसरो ने कहा कि चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान में एक प्रोपल्शन मॉड्यूल (वजन 2,148 किलोग्राम), एक लैंडर (1,723.89 किलोग्राम) और एक रोवर (26 किलोग्राम) शामिल है।

चंद्रयान-3 का मुख्य उद्देश्य लैंडर को चंद्रमा की जमीन पर सुरक्षित उतारना है। उसके बाद रोवर प्रयोग करने के लिए बाहर निकलेगा।

पहले भेजे गए चंद्रयान-2 पेलोड का वजन लगभग 3.8 टन था, ऑर्बिटर का वजन 2,379 किलोग्राम था, विक्रम लैंडर का वजन 1,444 किलोग्राम था, जिसमें प्रज्ञान रोवर का वजन 27 किलोग्राम था।

लैंडर से बाहर निकलने के बाद प्रोपल्शन मॉड्यूल द्वारा ले जाए गए पेलोड का जीवन तीन से छह महीने के बीच है। दूसरी ओर, इसरो ने कहा कि लैंडर और रोवर का मिशन जीवन 1 चंद्र दिवस या 14 पृथ्वी दिवस है।

इसरो ने कहा, रोवर लैंडिंग स्थल के आसपास के क्षेत्र में मौलिक संरचना प्राप्त करने के लिए अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (एपीएक्सएस) और लेजर प्रेरित ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (एलआईबीएस) ले जाएगा।

पहले चरण के दौरान भारत का भारी लिफ्ट रॉकेट 43.5 मीटर ऊंचा और 642 टन वजनी एलवीएम3, अंतरिक्ष यान को चंद्रयान-3 को चंद्रमा की कक्षा में ले गया। रॉकेट के पास लगातार छह सफल मिशनों का त्रुटिहीन रिकॉर्ड है। यह एलवीएम3 की चौथी परिचालन उड़ान है, और इसका उद्देश्य चंद्रयान -3 अंतरिक्ष यान को जियो ट्रांसफर ऑर्बिट (जीटीओ) में लॉन्च करना है।

शुक्रवार का चंद्रमा मिशन 2019 में असफल चंद्रयान -2 मिशन का अनुवर्ती है, जब विक्रम नाम का लैंडर चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था।

चंद्रयान-2 मिशन के दौरान चंद्रमा पर दुर्घटनाग्रस्त हुए लैंडर की तुलना में इस बार लैंडर में किए गए बदलावों के संबंध में, इसरो के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि लैंडर में पांच के बजाय चार मोटर हैं।

अंतरिक्ष एजेंसी ने सॉफ्टवेयर में कुछ बदलाव भी किए हैं।

बता दें इसरो इस बार लैंडर और रोवर के नामकरण पर चुप्पी साधे हुए है।

चंद्रयान-2 मिशन के दौरान लैंडर का नाम विक्रम और रोवर का नाम प्रज्ञान रखा गया था। मिशन के तीन प्रमुख अधिकारी हैं : मिशन निदेशक मोहन कुमार, वाहन/रॉकेट निदेशक बीजू सी. थॉमस और अंतरिक्ष यान निदेशक डॉ. पी. वीरमुथुवेल।
 

 

समय लाइव डेस्क
नई दिल्ली


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