West Bengal Panchayat Election : प. बंगाल में हिंसा के बीच हुआ 66.28 प्रतिशत मतदान, 13 की गई जान

Last Updated 09 Jul 2023 06:53:06 AM IST

पश्चिम बंगाल (West Bengal) में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव (Panchayat Election) के लिए शनिवार को मतदान संपन्न हो गया। इस दौरान राज्य में शुक्रवार रात से लेकर अब तक हुई चुनाव संबंधी हिंसा में 13 लोग मारे गए हैं।


प. बंगाल में हिंसा के बीच हुआ 66.28 प्रतिशत मतदान

मारे गए लोगों में टीएमसी के आठ सदस्य और BJP, माकपा के दो-दो और कांग्रेस का एक कार्यकर्ता शामिल हैं। हिंसक झड़पों में कई लोग घायल भी हुए हैं। इसके अलावा राज्य के कई हिस्सों में मतदान केंद्रों पर मतपेटियों को नष्ट किए जाने की खबरें हैं। हिंसा के कारण राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गया है।

बंगाल से लेकर दिल्ली तक भाजपा के नेता लगातार ममता सरकार की आलोचना कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह स्थिति पर नजर रख रहे हैं। चुनाव को विश्लेषकों द्वारा 2024 के संसदीय चुनावों के लिए ‘परीक्षा’ के रूप में देखा जा रहा है।

अधिकारियों ने बताया कि शाम पांच बजे तक राज्य में 66.28 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया। अधिकारियों के अनुसार लोगों के मारे जाने की घटनाएं कूच बिहार, उत्तरी 24 परगना, उत्तर दिनाजपुर, मुर्शिदाबाद, मालदा, नदिया, दक्षिण 24 परगना और पूर्व बर्धमान जिले से सामने आई हैं।  चुनावों के लिए राज्य पुलिस के करीब 70,000 कर्मियों के अलावा केंद्रीय बलों की 600 कंपनियां तैनात की गई हैं।

► बीती रात से चौंकाने वाली घटनाओं की सूचना मिल रही है। भाजपा, माकपा और कांग्रेस ने साठगांठ की थी और केंद्रीय बलों की मांग की थी। आखिर वे कहां तैनात हैं? तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की हत्या की जा रही है। केंद्रीय बल कहां है?  -शशि पांजा, राज्य की मंत्री  

► पश्चिम बंगाल में लोकतंत्र की हत्या की जा रही है। (मुख्यमंत्री) ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस के नेता चुनाव जीतने के लिए किसी भी हद तक गिर सकते हैं, चाहे लोगों पर हमला करना हो या महिलाओं पर अत्याचार करना हो। राहुल गांधी चुप हैं। क्या राहुल गांधी पश्चिम बंगाल में लोकतंत्र की हत्या के खिलाफ कुछ बोलेंगे? -अनुराग ठाकुर, केंद्रीय मंत्री  

► बताने के लिए बहुत सारी कहानियां हैं, लोगों ने मुझे अपने आसपास हो रही हत्या की घटनाओं के बारे में बताया। उन्होंने यह भी कहा कि गुंडों ने उन्हें मतदान केंद्रों पर जाने की अनुमति नहीं दी और पीठासीन अधिकारियों ने उनकी बात नहीं सुनी। ये छिटपुट मामले हैं, लेकिन रक्तपात की एक भी घटना हम सभी के लिए चिंता का कारण होनी चाहिए। -सीवी आनंद बोस, राज्यपाल

एजेंसियां
कोलकाता/नई दिल्ली


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