PM Modi ने भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्यवाई की गारंटी क्यों दी ?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन नेताओं या उन मंत्रियों के खिलाफ कार्यवाई करने की गारंटी दे दी है, जिनके ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं।
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बीते 27 जून को मध्यप्रदेश की एक रैली में पीएम मोदी ने अपने भाषण के दौरान भ्रष्टाचारियों को लेकर जो रूप दिखाया ,जो अंदाज दिखाया ,जिस सख्त लहजे में बात की ,उसे सुनकर निश्चित तौर पर भ्रष्टाचार में लिप्त नेताओं और मंत्रियों की रुहें कांप गईं होंगीं। मोदी के उस तेवर को देखकर शायद ही देश का कोई ऐसा नेता या मंत्री रात में ठीक से सो पाया होगा ,जो भ्रष्टाचार का आरोपी हो। खैर मोदी के इस तेवर को देखकर या फिर किसी और वजह से ,महाराष्ट्र की राजनीति में तो खलबली मच ही गई। सबसे ज्यादा असर देखने को मिला एनसीपी में।
एनसीपी प्रमुख शरद पवार के भतीजे अजीत पवार ने आनन-फानन में पार्टी के कुछ विधायकों को अपने घर बुलाया और बिना लाग लपेट के उनसे पूछ लिया कि जेल जाना है या राजभवन। क्योंकि अजीत पवार को भाजपा की तरफ से मंत्रिमंडल में शामिल होने का ऑफर भी मिल चुका था। उन्हें डिप्टी सीएम जबकि उनके कुछ समर्थक विधायकों को मंत्री बनाने की बात कर ली गई थी। अजीत पवार की बात सुनकर, उनकी पार्टी के विधायकों ने बिना देरी किए राजभवन जाने की बात को स्वीकार कर लिया। कुछ मिनटों बाद ही सभी नेता राजभवन में मौजूद हो गए। पूरे देश ने देख लिया कि एनसीपी के जो नेता जमानत पर थे,या जो नेता अपने जमानत के लिए दौड़ लगा रहे थे ,जिनके ऊपर ईडी की जांचें चल रही थीं, उनमें से कई नेता पल भर में ही ना सिर्फ ईडी की जाँच से मुक्त हो गए बल्कि माननीय मंत्री जी भी बन गए। खैर यह तो बात हो गई महाराष्ट्र की राजनीति की। संभव है कि वहां कुछ और भी हलचल देखने को मिलेंगीं। महाराष्ट्र से अगर यह खबर आ जाए कि अजीत पवार मुख्यमंत्री बन गए तो कोई आश्चर्य वाली बात नहीं होनी चाहिए, क्योंकि वहां की राजनीति में जो स्क्रिप्ट लिखी जा रही है ,उस स्क्रिप्ट में एक एंगल अजीत पवार को मुख्यमंत्री बनाने का भी है।
पीएम मोदी के उस तेवर का असर और भी राज्यों में दिखने वाले हैं। मसलन अब बारी शायद वेस्ट बंगाल की आने वाली है। चूँकि वहां पंचायत के चुनाव चल रहे हैं। उस चुनाव के परिणाम ८ जुलाई को आएंगे। ८ जुलाई तक वेट एन्ड वॉच की स्थिति रहने वाली है। चुनाव परिणाम के बाद शायद उन नेताओं की चिंताएं जरूर बढ़ जाएंगी जिनके ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। वेस्ट बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस के कई नेताओं के ऊपर ईडी और सीबीआई की जाँचे चल रही हैं। उधर उनकी पार्टी के कुछ नेता उनसे इसलिए नाराज चल रहे हैं कि उन्होंने पार्टी के उन नेताओं की अनदेखी की है ,जिन्होंने पार्टी को खड़ा करने के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया था, बावजूद इसके उन जैसे नेताओं को दरकिनार कर ममता अपने भतीजे अभिषेक बनर्जी को प्रमोट करने में लगी हुईं हैं। शायद भाजपा ऐसे ही नाराज नेताओं को टारगेट करने की कोशिशों में लगी हुई है ।
दूसरी तरफ टीएमसी के वो नेता भी भाजपा के निशाने पर हैं जिन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। लोकसभा चुनाव से पहले इस तरह की राजनैतिक गतिविधियां चलती ही रहेंगीं। महाराष्ट्र के बाद वेस्ट बंगाल ,उसके बाद देश का कौन सा राज्य ,जहाँ इस तरह के राजनैतिक घटनाक्रम होंगे ,कुछ इसी तरह के सवाल देश भर के जागरूक लोगों के जेहन में उठते रहेंगे। अब एक सवाल देश के पीएम मोदी और भाजपा के कर्णधारों से। भ्रष्टाचारी नेताओं या मंत्रियों पर कार्यवाई का मतलब क्या उनका भाजपा में शामिल होना भर है? क्या वो भाजपा में शामिल हो जाएँ तो वो भ्रष्टाचार के आरोप से मुक्त हो जाएंगे?
माना कि पीएम मोदी देश के सबसे प्रभावशाली नेता हैं। अपने सख्त लहजे और अच्छे निर्णयों के लिए पहचाने जाते हैं। ऐसे में सवाल यह भी पैदा होता है कि क्या वो सही मायनों में भ्रष्टाचारियों को दण्डित कर पाएंगे या सिर्फ भाजपा में शामिल होने पर उन कथित भ्रष्टाचारी नेताओं या मंत्रियों को अभयदान दे देंगे? देश की जनता उनकी बातों को सुन भी रही है और समझ भी रही है। क्यों कि जवाब तो मोदी को भी मिलना है और शायद मोदी के इस सख्त लहजे का जवाब 2024 के लोकसभा के चुनाव में जरूर मिल जाएगा। मोदी ने भले ही गारंटी दे दी हो लेकिन देश की जनता क्या गारंटी देगी फिलहाल कहना मुश्किल है।
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