विपक्षियों की बैठक में Rahul Gandhi ने कह दी बहुत बड़ी बात !
बिहार की राजधानी पटना में शुक्रवार को संपन्न हुई विपक्षी पार्टियों की बैठक पर देश भर की नजर थी। भाजपा के समर्थक हो या फिर विपक्षी पार्टियों के समर्थक, सबकी नजरें इस बैठक के परिणाम पर टिकी हुईं थीं।
![]() बिहार की राजधानी पटना में विपक्षी पार्टियों की बैठक |
हालांकि इस बैठक में क्या हुआ ,कौन सी रणनीति बनाई गई और गठबंधन का स्वरुप क्या होगा ,इस पर किसी भी नेता ने खुलकर जवाब नहीं दिया,लेकिन सबने यह जरूर कह दिया कि सब लोग एक साथ मिलकर लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे। साथ ही साथ यह भी जानकारी दे दी गई कि आगामी 10 या 12 जुलाई को एक बार फिर सभी नेता शिमला में मिलेंगे। इस बैठक पर अब कई दिनों तक चर्चा होती रहेगी। विपक्षी पार्टी के समर्थक, इसे सफल बताने की कोशिश करेंगे, जबकि भाजपा समर्थक इसे विपक्ष का एक फ्लॉप शो करार देने की कोशिश करेंगे।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई में यह बैठक उन्ही के सरकारी आवास पर संपन्न हुई। इसमें कुल सत्रह पार्टियों के नेता शामिल हुए। बैठक के बाद जब प्रेस कांफ्रेंस की बार आयी तो एक बार फिर से सभी नेता एक साथ नजर आए। हालांकि प्रेस कांफ्रेंस के दौरान दिल्ली के सीएम अरविन्द केजरीवाल ,पंजाब के सीएम भगवंत मान और तमिलनाडु के सीएम एम् के स्टालिन नहीं दिखे। उनकी अनुपस्थिति को लेकर सवाल पूछने पर जवाब आया कि उनकी फ्लाइट का समय हो गया था लिहाजा वो लोग पीसी में शामिल नहीं हो पाए।
प्रेस कांफ्रेंस के दौरान जितने भी नेताओं ने मीडिया को सम्बोधित किया उन सबकी बातों में एक चीज साफ़ दिखाई दी कि वो सब के सब भाजपा से खार बैठे हुए हैं। सबने जिस कॉन्फिडेंस के साथ अपनी-अपनी बातें कहीं, उसे सुनने के बाद एक बात साफ़ है कि सभी नेता भाजपा को सत्ता से हटाना चाहते हैं। क्योंकि सबकी बातें भले ही अलग-अलग थीं लेकिन सबकी बातों का सार एक ही था। पीसी में शामिल सभी नेताओं की शारीरिक भाषाएँ कमोबेश एक जैसी ही थीं।
राहुल गांधी ने मिडिया से कम बातें कीं लेकिन उन्होंने कम बातों में ही बहुत कुछ कह दिया। कांग्रेस के ईगो को लेकर उठने वाले सवालों को लेकर राहुल ने बड़ी बारीकी से जवाब दे दिया। राहुल ने दो बातें कहीं ,पहला ,उन्होंने यह कहा कि सभी पार्टियों के विचारों में भिन्नता हो सकती है लेकिन सबका लक्ष्य एक है। दूसरा शब्द उन्होंने इस्तेमाल किया लचीलापन। यानी राहुल गांधी ने इशारों-इशारों में कह दिया कि सबको रिजिड नहीं होना है। संबंधों को मजबूत करने के लिए स्वाभाव में लचीलापन लाना होगा।
हालांकि सबने कुछ न कुछ कहा लेकिन ममता बनर्जी का यह कहना की पटना की धरती से विपक्षी एकता की शुरुवात करना शायद फ्रूटफुल होगा। यह बात शायद सबको अच्छी लगी होगी। उन्होंने इशारों-इशारों में पटना की धरती से 1974 में शुरू हुए एक आंदोलन का जिक्र कर दिया। इस बैठक में एनसीपी प्रमुख शरद पवार ,उद्धव ठाकरे ,उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ,झारखण्ड के सीएम हेमंत सोरेन ,पीडीपी की महबूबा मुफ़्ती ,उमर अब्दुला ,सीपीआई के डी राजा ,सीपीएम के सीताराम येचुरी और संजय राउत समेत कई नेता मौजूद थे।
कुल मिलाकर विपक्ष ने आगामी 10 या 12 जुलाई तक सबको सोचने का मौका दे दिया। अब लगभग अगले बीस दिनों तक इस पर चर्चा होती रहेगी। इस बैठक का लब्बोलुवाब यह रहा कि विपक्ष भी अब बहुत हद तक एक बनी बनाई रणनीति के तहत आगे बढ़ने की कोशिश कर रहा है। इस बैठक में आकर्षण का केंद्र रहे बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव।
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