इसलिए नहीं चला कर्नाटक में CM Yogi का जादू!
कर्नाटक विधान सभा चुनाव परिणाम के बाद देश की राजनीति में बहुत बड़ा बदलाव आने वाला है। चुनाव से पहले बनाई गई रणनीति में कांग्रेस को छोड़कर सभी पार्टियां कुछ न कुछ बदलाव जरूर करेंगीं। खासकर भाजपा को अब नए सिरे से विचार करना होगा। कांग्रेस ने शायद यह बता दिया है कि अब जनता को धर्मों और जातियों के नाम पर बहुत दिनों तक नहीं भरमाया जा सकता है।
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कर्नाटक विधान सभा चुनाव परिणाम के बाद देश की राजनीति में बहुत बड़ा बदलाव आने वाला है। चुनाव से पहले बनाई गई रणनीति में कांग्रेस को छोड़कर सभी पार्टियां कुछ न कुछ बदलाव जरूर करेंगीं। खासकर भाजपा को अब नए सिरे से विचार करना होगा। कांग्रेस ने शायद यह बता दिया है कि अब जनता को धर्मों और जातियों के नाम पर बहुत दिनों तक नहीं भरमाया जा सकता है।
कर्नाटक में भले ही भाजपा की हार हुई है, लेकिन यहां उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी की प्रतिष्ठा को भी धक्का लगा है। क्योंकि कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा की तरफ से बनाए गए 40 स्टार प्रचारकों की सूचि में योगी का भी नाम था। पार्टी ने यह सोचकर योगी को स्टार प्रचारक बनाया था कि उन्हें वहां फायदा मिलेगा, लेकिन योगी ने जिन नौ विधानसभा सीटों के लिए प्रचार और रोड शो किया था, उनमें से भाजपा की सिर्फ दो सीटों पर जीत हुई है। यानी भाजपा ने जिन अपेक्षाओं को लेकर योगी को स्टार प्रचारक बनाया था उन पर वहां की जनता ने उन्हें खरा नहीं उतरने दिया।
उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव में मिली सफलता के बाद हालांकि योगी ने इसका श्रेय प्रधानमंत्री मोदी को दे दिया है। अपने सम्बोधन में योगी ने यह बताने की कोशिश की है कि प्रधनमंत्री मोदी की कार्यशैली और उनकी नीतियों से खुश होकर उत्तर प्रदेश की जनता ने भरपूर समर्थन दिया है। हालांकि योगी ने जो बातें कहीं हैं, उसका असर कर्नाटक में देखने को नहीं मिला। इस चुनाव के बाद आदित्य नाथ योगी निश्चित तौर पर उत्तर प्रदेश में सभी नेताओं पर भरी पड़े हैं। हाल के दिनों उन्होंने अपराधियों को लेकर जो स्टैंड अपनाया है, उसे उत्तर प्रदेश की जनता ने उन्हें चुनावों में सपोर्ट करके बता दिया है।
बसपा सुप्रीमों मायावती और सपा प्रमुख अखिलेश यादव आज योगी के मुकाबले कहीं नहीं खड़े हैं। लेकिन कर्नाटक चुनाव परिणाम ने यह भी बता दिया कि योगी का जादू हर जगह नहीं चल सकता। आदित्यनाथ योगी ने कर्नाटक की नौ विधानसभा सीटों के लिए चुनाव प्रचार किया था। पहली बार वो 30 अप्रैल को कर्नाटक गए थे। उस दौरान उन्होंने चार विधानसभा सीटों के लिए प्रचार किया था। दूसरी बार वो 6 मई को कर्नाटक गए थे। उस दौरान उन्होंने पांच विधानसभा सीटों के लिए रोड शो और रैलिया की थीं। जिन नौ सीटों के लिए योगी ने प्रचार किया था वहां की सिर्फ दो सीटों पर भाजपा को जीत मिल पायी, जबकि 6 सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशियों ने जीत दर्ज कराई है। एक सीट पर कल्याण राज्य प्रगति पक्ष पार्टी का उम्मीदवार विजयी हुआ।
इस चुनाव नतीजों के बाद एक बात आसानी से कही जा सकती है कि योगी का जादू वहां बिलकुल नहीं चला। कभी-कभी ऐसा भी होता है कि दूसरों की गलती का खामियाजा किसी और को भुगतना पड़ता है, ऐसे में एक बात यहां सच हो सकती है कि भले ही वहां की जनता योगी को चाह रही होगी, लेकिन भाजपा से नाराजगी की वजह से वहां के वोटरों ने कांग्रेस को वोट कर दिया हो और योगी को नकार दिया हो।खैर किसी भी वजह से वहां सिर्फ दो सीटें भाजपा को मिलीं, जहाँ योगी ने प्रचार किया था, लेकिन चर्चा शायद यही होती रहेगी कि योगी का जादू भी वहां नहीं चला।
कर्नाटक का यह चुनाव सपन्न हो गया। जिसके हिस्से में जो मिलना था वो मिल गया, लेकिन इस साल के अंत तक कई राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं। जबकि अगले साल यानि 2024 में लोकसभा का चुनाव होना है। कांग्रेस ने रफ़्तार पकड़ ली है ,वह लगतार दो चुनाव जीत चुकी है। कुछ माह पहले उसने हिमाचल का चुनाव जीता था। अब कर्नाटक में भी जीत गई है। कांग्रेस अब एक अलग तरह की राजनीति करने लगी है।
राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने अपने भाषणों के दौरान ज्यादा ना बोलकर उन मुद्दों पर बात करने की कोशिश की है, जो जनता से जुड़े हुए हैं। कर्नाटक विधानसभा चुनाव परिणाम यह बताने के लिए पर्याप्त हैं कि जनता उनकी बातों को ना सिर्फ सुन रही है बल्कि उनका समर्थन भी कर रही है। कर्नाटक में जिस तरह से भाजपा के धार्मिक एजेंडे को वहां की जनता ने नकार दिया है, उसे दखते हुए अब भाजपा को भी अपने रणनीति में भी बदलाव करना होगा। यानी आने वाले समय में देश की राजनीति में जनता को एक बदलाव देखने को जरूर मिलेगा।
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