गुजरात में शर्मनाक हार का ठीकरा कहीं गहलोत के सिर न फूट जाए
गुजरात में काग्रेस पार्टी की शर्मनाक हार पार्टी नेतृत्व सकते में है इतने लचर प्रदर्शन की उम्मीद पार्टी के आला नेताओं को नहीं रही थी और ऐसे में जबकि राजनीति के जादूगर माने जाने वाले अशोक गहलोत को गुजरात की कमान सौंपी गई थी बावजूद इसके पार्टी के दयनीय प्रदशर्न को लेकर गहलोत की भूमिका पर भी पार्टी के अंदर सवाल उठना शुरू हो गए हैं।
![]() अशोक गहलोत |
जहां एक तरफ गुजरात में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का जादू इस बार में नहीं चला, वहीं सचिन पायलट ने हिमाचल में कांग्रेस का डंका बजा दिया।
हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की जीत दरअसल सचिन पायलट के सियासी कद को बढ़ाने वाली है। साथ ही गुजरात में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के चुनाव प्रचार के बाद भी कांग्रेस का बदतर प्रदर्शन कई सवाल खड़े कर रहा है। सूत्रों की मानें तो सचिन समर्थकों ने पार्टी आलाकमान तक यह शिकायत पहुंचाई है कि टीम गहलोत ने गुजरात में ठीक से काम नहीं किया और पार्टी नेतृत्व को धोखे में रखा।
गुजरात और हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की तरफ से चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट को दी गयी थी। हिमाचल प्रदेश में सचिन पायलट कांग्रेस के स्टार प्रचारक थे और कांगड़ा, मंडी और शिमला में धुआंधार प्रचार किया था। जिसका असर दिखा और 15 सीटों में से 11 पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की है। विधानसभा चुनावों के ये रिजल्ट राजस्थान के लिए खास हैं, क्योंकि ये राजस्थान में सत्ता परिवर्तन को लेकर चल रही लड़ाई के बीच आए हैं।
राजनीतिक जानकारों की मानें तो राजस्थान में सत्ता की लड़ाई के दौरान जो कुछ भी हुआ, इसका सीधा असर गुजरात चुनाव प्रचार पर पड़ा है। लेकिन सचिन पायलट की हिमाचल में कामयाबी हासिल कर अपनी साख कायम कर ली है। आने वाले वक्त में प्रदेश में सचिन पायलट को बड़ी जिम्मेदारी इन परिणामों के बात मिल जाए तो इसमें हैरान नहीं होनी चाहिए।
हिमाचल प्रदेश में चुनाव प्रचार के दौरान ताबड़तोड़ सभाएं और रैली कर सचिन पायलट ने अपनी फैन फॉलोइंग को जबरदस्त तरीके से बढ़ाया, जो सोशल मीडिया पर छाया रहा। वहीं राजस्थान में जारी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान सचिन पायलट और राहुल गांधी की नजदीकी तस्वीरों में देखी गई। सूत्रों का कहना है कि राजस्थान से भारत जोड़ो यात्रा के निकलने के बाद राजस्थान को लेकर पार्टी नेतृत्व कोई बड़ा फैसला ले सकता है।
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