जन्मदिन पर विशेष : अंत्योदय के आधुनिक शिल्पकार
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश विकसित भारत के उस शिखर की ओर अग्रसर है, जिसकी आधारशीला पं. दीनदयाल उपाध्याय द्वारा प्रतिपादित अंत्योदय और एकात्म मानववाद है।
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पिछले एक दशक में हमारा देश मानवीय जीवन के हर पक्ष में ऐसे बदलाव का साक्षी बना है, जिससे 140 करोड़ भारतीयों के जीवन स्तर में समृद्धि आई है। मुझे स्मरण है प्रधानमंत्री मोदी ने 2014 में सेंट्रल हॉल में कहा था : ‘मेरी सरकार गरीब, किसान, पिछड़े, वंचित, युवा और महिलाओं की सरकार है।’ यह सिर्फ नारा या वक्तव्य नहीं था, बल्कि मोदी के नेतृत्व में काम कर रही सरकार की प्राथमिकता का उद्घोष था। उनके नेतृत्व में पहले कार्यकाल से लेकर अब तक केंद्र सरकार के प्रत्येक निर्णय में अंत्योदय एवं लोक कल्याण की स्पष्टता साफ देखी जा सकती है।
स्वच्छ भारत मिशन से लेकर प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना, जनधन, आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना, किसान सम्मान निधि, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना, पीएम जनमन योजना, जल जीवन मिशन समेत ऐसी तमाम जनकल्याणकारी योजनाओं के प्राथमिक हितग्राही गरीब, किसान, अनुसूचित जाति/जनजातियों के साथ ही समाज के अंतिम पायदान पर खड़े वे लोग हैं, जिन्हें केंद्र में सात दशक तक राज करने वाली कांग्रेस पार्टी ने हमेशा वोट बैंक के रूप में ही इस्तेमाल किया।
देश की राजनीतिक व्यवस्था में वंशवाद और पार्ट टाइम पॉलिटिक्स कल्चर को समाप्त करने वाले प्रधानमंत्री मोदी पर लोगों का भरोसा दिन प्रतिदिन बढ़ रहा है तो उसके पीछे उनकी राजनीतिक व वैचारिक प्रतिबद्धता है, जिसे पूर्ण करने के लिए वह न सिर्फ स्वयं परिश्रम की पराकाष्ठा करते हैं, बल्कि हर संकट की घड़ी में देश के एक प्रेरक अभिभावक की तरह खड़े नजर आते हैं।
देश में एक समय ऐसा भी था जब शायद ही कोई महीना गुजरता रहा होगा जब कोई न कोई बड़ी आतंकवादी वारदात न होती रही हो लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने आतंकवाद को लेकर जिस तरह जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई वह पहलगाम में हुई पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी घटना के बाद चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर में देश और पूरी दुनिया ने देखा। भारतीय सेना के जवानों ने जिस अदम्य साहस के साथ पाकिस्तान में घुस कर आतंकियों के ठिकानों को समाप्त किया, उससे आतंकवाद और उसके पोषक दोबारा ऐसी हरकत करने से पहले दस बार सोचेंगे। राष्ट्र को एक सूत्र में पिरोने वाले लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की तरह वह माओवाद को जड़ से समाप्त करने में जुटे हैं। यह सब इसलिए संभव हो रहा है क्योंकि देश का नेतृत्व ऐसे व्यक्तित्व के हाथ में है जिसके पास नीति और नीयत, दोनों की स्पष्टता है।
एक देश, एक विधान, एक प्रधान, एक निशान का वैचारिक अधिष्ठान प्रस्तुत करते हुए जम्मू एवं कश्मीर के लिए बलिदान होने वाले श्यामा प्रसाद मुखर्जी के स्वप्न को पूरा करने का श्रेय यदि किसी को जाता है, तो वह प्रधानमंत्री मोदी हैं। अनुच्छेद 370 और 35-ए से आजादी के बाद जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख विकास की मुख्यधारा में शामिल हो चुके हैं। भारत की विकास यात्रा प्राचीन काल से मातृशक्ति के नेतृत्व से जुड़ी रही है। महिलाओं को खुले शौच से आजादी, तीन तलाक की समाप्ति, नारी शक्ति अधिनियम के जरिए महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण प्रधानमंत्री के बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जैसे ध्येय की फलश्रुति ही तो हैं।
दुनिया की तीसरी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम ने विकसित देशों के भी पसीने छूड़ा दिए हैं। भारत के प्रक्षेपण यानों से 34 देशों के चार सौ से अधिक उपग्रह प्रक्षेपित किए जा चुके हैं। भारत के चंद्रयान मिशन-3 जिस तरह सिर्फ 600 करोड़ रु पये में संपन्न हुआ, उसने अंतरिक्ष की दुनिया के कथित दिग्गज देशों के सामने एक रोल मॉडल प्रस्तुत किया है। सफलता के ऐसे अनेक कीर्तिमान भारत मेक इन इंडिया अभियान के जरिए सैन्य व अन्य क्षेत्रों में लिख रहा है।
न्यूनतम शासन अधिकतम प्रशासन के मंत्र पर चलते हुए लोगों के जीवन स्तर को सहज और सरल बनाने वाले प्रधानमंत्री मोदी देश में आर्थिक सुधारों के आधुनिक शिल्पकार हैं। जीएसटी लागू करने के बाद उसमें नई पीढ़ी की आवश्यकताओं तथा गरीब व मध्यम वर्ग की सुविधा का ख्याल रखते हुए जिस तरह के बदलाव किए गए हैं, वह अर्थव्यवस्था में नये युग का सूत्रपात है। कहावत है जाके पांव न फटी बिवाई, वो क्या जाने पीर पराई। प्रधानमंत्री ने गरीबी को देखा और जीया है। ऐसे में जीएसटी में अगली पीढ़ी के सुधार हों या फिर प्रधानमंत्री आवास से लेकर विकर्मा योजना उनकी सभी नीतिगत पहल के केंद्र में गरीब अनिवार्य रूप से होता है।
हाल में लाए गए जीएसटी 2.0 में खेती-किसानी से जुड़े उपकरणों से लेकर रोजमर्रा की जरूरतों पर जिस तरह कर में कटौती की गई है, उससे सामान्य नागरिक का जीवन बेहतर होगा। प्रधानमंत्री मोदी जब कहते हैं कि सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास तो यह केंद्र और राज्यों की सरकारों के लिए जनभागीदारी के एक मंत्र की तरह है। भगवान रामलला की जन्म भूमि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के ऐतिहासिक निर्णय और उसके बाद भव्य राम मंदिर बनाए जाने के पीछे प्रधानमंत्री मोदी पर देशवासियों का वह भरोसा था, जो उन्हें सामाजिक समरसता के अद्वितीय नायक के रूप में स्थापित करता है।
भयानक त्रासदी से गुजरे पवित्र केदारनाथ से लेकर प्रयागराज, वाराणसी, अयोध्या समेत अनेक धार्मिंक स्थल देश ही नहीं, विश्व को सांस्कृतिक प्रकाश स्तंभ की तरह जीवन का मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं। सांस्कृतिक पर्यटन स्थलों के विकास ने स्थानीय समाज को रोजगार के नये अवसर भी प्रदान किए हैं। विश्व जब अपनी उपभोक्तावादी प्रवृत्ति की वजह से जलवायु संकट की गंभीर चुनौती से जूझ रहा है, तब भारत पर्यावरणीय व समावेशी विकास का केंद्र बन कर उभरा है, इसके पीछे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का ‘कृण्वन्तो विमार्यम’ का वह दर्शन है जिसे उन्होंने अपने सार्वजनिक जीवन का अधिष्ठान बनाया है। उम्र के आठवें दशक में भी विश्व के सर्वाधिक लोकप्रिय नेता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ऊर्जा व जनकल्याण के प्रति निष्ठा उन्हें देश का सच्चा प्रधानसेवक बनाती है।
(ब्रजेश पाठक, उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री हैं)
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