एक साल पहले रची गई थी पीएम सुरक्षा से खिलवाड़ की साजिश!
पंजाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा से खिलवाड़ की साजिश एक साल पहले शुरू हो गई थी! हुसैनीवाला के राष्ट्रीय शहीद स्मारक से करीब 30 किलोमीटर पहले प्रधानमंत्री का काफिला एक फ्लाई ओवर पर फंस गया था।
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तथाकथित आंदोलनकारियों ने सड़क को अवरु द्ध कर दिया था। हैरानी की बात है कि इससे एक साल से भी पहले दिसम्बर 2020 को यूट्यूब पर इस पूरे घटनाक्रम को दर्शाता एक वीडियो अपलोड हुआ था। सूत्रों को मानें तो इसके 13 महीने बाद हुए घटनाक्रम के माध्यम से प्रधानमंत्री पर हमले के साथ सिखों के खिलाफ बड़ी साजिश को अंजाम देने की साजिश रची गई थी।
गौरतलब है कि 5 जनवरी को प्रधानमंत्री पंजाब के हुसैनीवाला स्थित राष्ट्रीय शहीद स्मारक जाने वाले थे। उन्हें पंजाब में होने वाले चुनाव के पहले एक रैली को संबोधित करना था। खराब मौसम के कारण उनका काफिला गंतव्य से करीब 30 किलोमीटर पहले तथाकथित किसान आंदोलनकारियों के सुनियोजित प्रदशर्न में फंस गया। इसी के साथ आजाद भारत के इतिहास में प्रधानमंत्री की सुरक्षा को लेकर पंजाब पुलिस की इस घोर लापरवाही ने कई बड़े सवाल खड़े कर दिए। मामले में हुई भारी चूक के बाद देश के सर्वोच्च न्यायालय तक ने हैरानी जताते हुए मामले की सुनवाई शुरू कर दी। लेकिन राजनीतिक दल और कुछ मीडिया हाउस अब भी बयानबाजी करके मामले का राजनीतिकरण करने की कोशिश में ही जुटे हैं। इस बीच सोशल मीडिया पर घटना से संबंधित एक वीडियो सामने आया है।
01 दिसम्बर को यूट्यूब पर अपलोड किए गए 3:32 मिनट के वीडियो में दिखाया गया है कि प्रधानमंत्री के काफिले को किसान आंदोलनकारियों ने घेर लिया और उनकी ताकत को देखकर एसपीजी के जवान भाग खड़े हुए। जिसके बाद आंदोलनकारियों ने प्रधानमंत्री पर हमला कर दिया। जिसके बाद सवाल उठने लगे हैं कि 01 दिसम्बर 2020 को अपलोड किए गए वीडियो और 5 जनवरी 2022 को हुए घटनाक्रम में इतनी समानता कैसे हो सकती है। वीडियो में भी यह घटनाक्रम एक फ्लाईओवर पर ही दशर्या गया है।
एक वरिष्ठ अधिकारी की मानें तो षड्यंत्रकारी अपने मंसूबों में सफल हो जाते तो देश सुलग सकता था। क्योंकि किसी भी अप्रिय स्थिति में प्रधानमंत्री की सुरक्षा से जुडी एसपीजी की कार्रवाई में सैकड़ों लोगों की जान भी जा सकती थी और तब सुनियोजित षड्यंत्र के तहत पंजाब में फिर से खालिस्तानी आंदोलन को हवा देकर सिखों को अलग-थलग करने की कोशिश हो सकती थी।
विदेशी फंडिंग की जांच की मांग : सांसद मनोज तिवारी कहते हैं कि यह केवल प्रधानमंत्री पर हमले की साजिश ही नहीं थी बल्कि इसके माध्यम से बलिदानी सिख कौम को भी बदनाम करने का षड्यंत्र रचा गया था। यदि प्रधानमंत्री अपने व्यक्तित्व के अनुरूप संयम नहीं बरतते तो हालात बेहद खराब हो सकते थे। इस मामले में केवल घटनाक्रम ही नहीं इसमें पंजाब सरकार और उसके अधिकारियों की मिलीभगत और विदेशी फंडिंग की जांच भी होनी चाहिए।
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