प्राकृतिक वजह नहीं तो आग लगना कोई ’दैवीय घटना‘ नहीं

Last Updated 09 Jan 2022 03:15:26 AM IST

उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि यदि तूफान, बाढ़, बिजली गिरने या भूकंप आने जैसी किसी बाह्य प्राकृतिक शक्ति के कारण आग नहीं लगी है, तो आग लगने के मामले को कोई ‘दैवीय घटना’ नहीं कहा जा सकता।


प्राकृतिक वजह नहीं तो आग लगना कोई ’दैवीय घटना‘ नहीं

न्यायमूर्ति एएम खानविलकर, न्यायमूर्ति दिनेश माहेरी और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस आदेश को निरस्त करते हुए यह टिप्पणी की, जिसमें एक कंपनी के गोदाम में लगी आग को ‘दैवीय घटना’ करार दिया गया था और शराब के निर्माण में लगी कंपनी को उत्पाद शुल्क से छूट दे दी थी। पीठ ने कहा कि इस मामले में तूफान, बाढ़, बिजली गिरने या भूकंप जैसी किसी भी ताकत की वजह से आग नहीं लगी है।

उसने कहा, इस मामले में किसी भी बाह्य प्राकृतिक शक्ति ने हिंसक तरीके से या अचानक काम नहीं किया, तो ऐसे में आग लगने की इस घटना को कानूनी भाषा में दैवीय घटना करार नहीं दिया जा सकता। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि यह आग किसी व्यक्ति की शरारत के कारण नहीं लगी थी।

पीठ ने कहा, उल्लेखनीय है कि दमकलकर्मी 10 अप्रैल, 2003 को अपराह्न 12 बजकर 55 मिनट पर लगी आग को अगले दिन तड़के पांच बजे काबू कर पाए। उसने कहा, जब सभी प्रासंगिक कारकों को ध्यान में रखा जाता है, तो हमारे लिए यह स्वीकार करना मुश्किल हो जाता है कि आग लगने की घटना और इसके परिणामस्वरूप हुआ नुकसान मानवीय एजेंसी के नियंत्रण से बाहर था, ताकि इसे अपरिहार्य दुर्घटना कहा जा सके।

शीर्ष अदालत ने कहा कि आग अपने आप नहीं लगी और उचित रूप से लगाए गए अग्निरोधी विद्युत उपकरणों और अग्निशमन संबंधी कदमों के साथ इस हादसे से बचा जा सकता था या कम से कम इससे हुए नुकसान को कम किया जा सकता था। उसने कहा कि इस मामले पर उच्च न्यायालय की टिप्पणियां उचित प्रतीत नहीं होती और इन्हें अस्वीकार्य किए जाने की आवश्यकता है। उत्तर प्रदेश आबकारी विभाग ने उच्च न्यायालय के इस आदेश को चुनौती थी।

उच्च न्यायालय ने कहा था कि आबकारी आयुक्त द्वारा 6.39 करोड़ रुपए की आबकारी राजस्व की मांग का आदेश अनुमान पर आधारित था और कंपनी की ओर से लापरवाही का कोई ठोस सबूत उपलब्ध नहीं था। अदालत ने इसे ‘दैवीय घटना’ बताया था।

भाषा
नई दिल्ली


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