इंफेन्ट्री डे : सेना के सभी शीर्ष कमांडरों ने नेशनल वॉर मेमोरियल पर शहीदों को दी श्रद्धांजलि
इंफेन्ट्री यानी पैदल सेना के स्थापना दिवस के मौके पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ तथा सेना प्रमुख और सेना के सभी शीर्ष कमांडरों और कर्नल ऑफ रेजिमेंट्स ने आज यहां राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की।
![]() इंफेन्ट्री डे: सेना के सभी शीर्ष कमांडरों ने शहीदों को दी श्रद्धांजलि |
यह पहला मौका है जब इंफेन्ट्री दिवस पर सेना के सभी शीर्ष कमांडरों और रेजिमेंटों के कर्नलों ने राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर शहीदों को एक साथ श्रद्धांजलि दी है।
दरअसल सेना के शीर्ष कमांडर और कर्नल आफ रेजिमेंट्स सैन्य कमांडरों के सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए यहां आये हुए हैं। यह सम्मेलन सोमवार को यहां शुरू हुआ। संयोग से इसी बीच आज 74 वां इंफेन्ट्री दिवस भी है।
सेना के प्रवक्ता ने यहां बताया कि पहली बार ऐसा हुआ है जब सभी शीर्ष कमांडरों और कर्नल ऑफ रेजिमेंट्स ने इस मौके पर एक साथ राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की है।
शीर्ष कमांडरों के बाद सीडीएस जनरल बिपिन रावत, सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे और महानिदेशक इंफेन्ट्री ने भी युद्ध स्मारक जाकर शहीदों को पुष्प अर्पित किये।
Delhi: Chief of Defence Staff (CDS) General Bipin Rawat, Army chief General Manoj Mukund Naravane pay tribute at National War Memorial on Infantry Day. pic.twitter.com/LH0jU0lZij
— ANI (@ANI) October 27, 2020
यह भी संयोग ही है कि इस मौके पर युद्ध स्मारक पर ड्यूटी पर 13 कुमाऊं रेजिमेंट है जिसके रणबांकुरों ने 1962 में बेहद प्रतिकूल परिस्थितियों में चीनी सेना के साथ रेजांगला का युद्ध लड़ा था। मेजर शैतान सिंह जिन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था ने अपनी टीम के साथ मिलकर अंतिम दम और अंतिम गोली तक रेजांगला की पहाड़ियों में प्राण न्यौच्छावर कर ऐतिहासिक लड़ाई लड़ी थी।
रेंजागला की पहाड़ियां वही क्षेत्र है जहां भारतीय सैनिकों ने पिछले महीने पेगोंग झील के निकट की चोटियों पर अपना कब्जा जमाया हुआ है।
हर वर्ष 27 अक्टूबर को इंफेन्ट्री दिवस के रूप में मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन सिख रेजिमेंट और 13 कुमाऊं की दो इंफेन्ट्री कंपनियों को कश्मीर को पाकिस्तानी कबाइलियों और पाकिस्तानी सेना से मुक्त कराने के लिए विमान से दिल्ली से श्रीनगर ले जाया गया था । इस दिन को कुमाऊं रेजिमेंट और सिख रेजिमेंट दिवस के रूप में मनाया जाता है।
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