GSI ने बताए लगातार आ रहे भूकंप के कारण
भारत के विभिन्न भागों में हाल ही में आए भूकंप, ‘फोरशॉक’ और ‘स्वार्म’ का नतीजा थे। भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग (जीएसआई) ने चेताया कि उपमहाद्वीप में लगातार आने वाले कम तीव्रता के भूकंप के झटके चिंता का विषय हैं।
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जीएसआई के उप महानिदेशक डा. संदीप सोम ने कहा कि फोरशॉक और स्वार्म गतिविधियों से यह पता चलता है कि भूमि के नीचे प्लेटों के सरकने से तनाव घटता बढ़ता रहा है और इनके विस्तृत अध्ययन से हमें किसी बड़े भूकंप का पूर्वानुमान लगाने में सहायता मिल सकती है।
भूविज्ञान की भाषा में ‘फोरशॉक’ का अर्थ है भूकंप से पहले आने वाले कम तीव्रता के झटके और लगातार आने वाले झटकों को ‘स्वार्म’ कहते हैं। डा. सोम ने कहा, ‘यह कम तीव्रता वाले भूकंप के झटके मुख्य रूप से हिमालय के उत्तर पूर्वी और उत्तर पश्चिमी क्षेत्रों में आ रहे हैं। यह दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, पश्चिमी गुजरात और पश्चिमी महाराष्ट्र के क्षेत्र हैं जिनका वर्गीकरण भूकंप प्रभावित जोन चार और पांच में किया गया है।’
उन्होंने कहा कि इससे पहले भी इन क्षेत्रों में कम तीव्रता वाले भूकंप दर्ज किए गए हैं। जीएसआई के वैज्ञानिक के अनुसार हिमालय के उत्तर पूर्वी और उत्तर पश्चिमी भागों में प्लेटों के टकराने के स्थानों पर भूकंप आते हैं। यह भारतीय और यूरेशियाई प्लेटों के टकराने का क्षेत्र है। लगातार आने वाले भूकंप का कारण समझाते हुए भूवैज्ञानिक ने कहा कि कोई भी भूकंप उस क्षेत्र में भूगर्भीय प्लेटों के बीच घटते बढ़ते तनाव पर निर्भर करता है।
डॉ सोम ने कहा कि भारतीय और यूरेशियाई भूगर्भीय प्लेटों के टकराने के कारण तनाव के घटने बढ़ने के क्षेत्र बन रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्लेटों के लगातार सरकने से इस क्षेत्र में तनाव बढ़ गया है और पश्चिमी घाट के क्षेत्र में तीस से अधिक जलाशय होने के कारण दबाव के साथ तनाव भी बढ़ता जा रहा है इसलिए भूकंप आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि संयोग से जीएसआई ने देशभर में तीस स्थायी जीपीएस स्टेशन स्थापित किए हैं जिनसे भूगर्भीय प्लेटों के सरकने पर निगरानी रखी जा सकती है और संभावित भूकंप के क्षेत्रों को चिह्नित किया जा सकता है।
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