सुरक्षा एजेंसियों के लिए मुसीबत बने डिजिटल सिम
जम्मू कश्मीर में डिजिटल सिम कार्ड सुरक्षा एजेंसियों के लिये नया सिरदर्द बनते जा रहे हैं। घाटी में आतंकी समूहों द्वारा अपने पाकिस्तानी आकाओं से संपर्क के लिए इनका इस्तेमाल किया जा रहा है।
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अधिकारियों ने बताया कि इस नई प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल की जानकारी 2019 में सामने आई जब अमेरिका से यह अनुरोध किया गया कि वह पुलवामा आतंकी हमले में जैश ए मोहम्मद के आत्मघाती हमलावर द्वारा इस्तेमाल किए गए ‘डिजिटल सिम’ का विवरण सेवा प्रदाता से मांगे। इस आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 40 कर्मचारी शहीद हो गए थे। अधिकारियों ने कहा कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) और अन्य सुरक्षा एजेंसियों द्वारा की गई विस्तृत जांच में हालांकि यह संकेत मिला कि अकेले पुलवामा आतंकी हमले के लिए 40 से ज्यादा डिजिटल सिम काडरें का इस्तेमाल किया गया और घाटी में अभी ऐसे और डिजिटल सिम मौजूद हैं। अधिकारियों ने कहा कि इस्तेमाल किए जाने वाले नंबर में देश का कोड या ‘मोबाइल स्टेशन इंटरनेशनल सब्सक्राइबर डायरेक्टरी नंबर’ नंबर पहले जुड़ा होता है।
उन्होंने कहा कि अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, इस्रइल की टेलीकाम कंपनियों के अलावा प्योतरे रिको और अमेरिका के नियंत्रण वाले एक कैरेबियाई द्वीप के नंबर अभी उपलब्ध नजर आ रहे हैं। हर मोबाइल फोन उपकरण को विस्तृत फारेंसिक जांच के लिए भेजा जा रहा है, ताकि पता लगाया जा सके कि क्या उनका इस्तेमाल कभी डिजिटल सिम के लिए तो नहीं हुआ। डिजिटल सिम कार्ड की खरीद में जाली पहचान का इस्तेमाल करने का जोखिम भी काफी ज्यादा होता है।
आधुनिक तकनीक
यह एक बिल्कुल नया तरीका है जिसमें सीमा पार के आतंकवादी ‘डिजिटल सिम’ कार्ड का इस्तेमाल कर रहे हैं जो किसी विदेशी सेवा प्रदाता द्वारा जारी किए गए हैं। इस आधुनिक तकनीक में कंप्यूटर पर एक टेलीफोन नंबर बनाया जाता है और उपभोक्ता सेवा प्रदाता का एक ऐप अपने स्मार्ट फोन पर डाउनलोड कर लेता है। यह नंबर वाट्सऐप, फेसबुक, टेलीग्राम या ट्विटर जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट्स से जुड़ा रहता है। इस सेवा को शुरू करने के लिए सत्यापन का कोड इन नेटवर्किंग साइट्स द्वारा बनाया जाता है और स्मार्टफोन पर हासिल किया जाता है।
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