राहुल गांधी से बोले स्वास्थ्य विशेषज्ञ, 2021 तक नहीं जाने वाला कोरोना

Last Updated 27 May 2020 01:07:32 PM IST

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि महामारी के दौर में प्रवेश कर रही दुनिया से कोरोना 2021 तक जाने वाला नहीं है और लॉकडाउन सिर्फ इसका फैलाव रोकता है, जिसमें धीरे-धीरे ढील देकर टेस्टिंग बढ़ाने और इसकी दवा बनने तक लोगों को सुरक्षित रखने की जरूरत है।


विश्व विख्यात स्वास्थ्य विशेषज्ञ और हार्वर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर आशीष झा और स्वीडन में जन स्वास्थ्य विशेषज्ञ प्रोफेसर जोहान गिसेके से कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कोरोना संकट को लेकर पूछे गए सवालों के जवाब में यह जानकारी दी।

स्वास्थ्य विशेषज्ञ आशीष झा ने कहा कि कोरोना वायरस अगले साल तक रहने वाला है और लॉकडाउन के बाद आर्थिक गतिविधियां आरंभ करते समय लोगों के बीच विश्वास पैदा करने की जरूरत है।

उन्होंने कहा, "लॉकडाउन एक मकसद नहीं है लेकिन यह संक्रमित व्यक्तियों को गैर-संक्रमित से अलग रखने का समय है, जब आप व्यापक रूप से आक्रमक तरीके से जांच नहीं कर सकते।"

उन्होंने कहा कि लॉकडाउन का लोगों पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव भी पड़ा है। झा ने कहा, "लॉकडाउन आपका समय लेता है, लेकिन लॉकडाउन स्वयं के लिए लक्ष्य नहीं है। आप उस समय का उपयोग वास्तव में बेहतर जांच, ट्रेसिंग, संगरोध में रखने के बुनियादी ढांचे को तैयार करने के लिए कर सकते हैं। आप उस समय का उपयोग लोगों से संवाद करने के लिए करना चाहते हैं।"

हार्वर्ड प्रोफेसर का कहना है कि जबरदस्त तरीके से परीक्षण, ट्रेसिंग और संगरोध सहायक है। उन्होंने कहा, "लेकिन अगर आप ऐसा नहीं कर सकते हैं, तो आपको सब कुछ लॉकडाउन करना होगा। क्या आप लॉकडाउन से वायरस को धीमा कर सकते हैं? बेशक आप कर सकते हैं। लेकिन महत्वपूर्ण हानिकर आर्थिक नतीजे होंगे।"

आशीष झा ने कहा कि लॉकडाउन करने का कारण यह है कि आप वायरस के प्रसार को धीमा करने की कोशिश कर रहे हैं, क्योंकि यह एक नया वायरस है। मानवता ने इस वायरस को पहले नहीं देखा था। इसका मतलब है कि हम सभी संदिग्ध हैं। हम सभी अतिसंवेदनशील आबादी हैं। जांच के बगैर छोड़ देने पर यह तेजी से फैलेगा।

उन्होंने कहा, "और इसे रोकने का तरीका संक्रमित लोगों को गैर-संक्रमितों से दूर रखना है।"

हावर्ड के प्रोफेसर ने कहा कि लॉकडाउन खत्म होने के बाद जिंदगी बहुत अलग होगी।

उन्होंने कहा कि यह पिछले मई या जून की तरह जीवन में वापस जाने के बारे में नहीं है। अगले 6-12-18 महीनों में यह जीवन बहुत अलग दिखने वाला है। और यह वास्तव में यह योजना बनाने के बारे में है। तो यह सिर्फ संचार के बारे में नहीं है बल्कि यह सोच के बारे में भी है कि सार्वजनिक परिवहन कैसा होगा? कौन काम पर वापस जाएगा? स्कूल क्या करेंगे।

वार्ता/आईएएनएस
नई दिल्ली


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