श्रीलंका में फंसे 2,400 भारतीयों को वतन वापसी का इंतजार

Last Updated 19 May 2020 01:00:33 AM IST

श्रीलंका में दो महीने से फंसे 2,400 से अधिक भारतीय कोलंबो स्थित भारतीय उच्चायोग से लगातार संपर्क कर रहे हैं क्योंकि अब तक उनकी वतन वापसी के लिए किसी उड़ान की घोषणा नहीं हुई है।


श्रीलंका में फंसे 2,400 भारतीयों को वतन वापसी का इंतजार

द्वीप देश में फंसे ये लोग पैसे की कमी होने से दुखी हैं। वे अपने परिवारों के पास लौटने को आतुर हैं, लेकिन उनकी वापसी के लिए किसी कार्यक्रम की अब तक घोषणा न होने से उन्हें अनिश्चितता की स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। भारत सरकार ने कोविड-19 लॉकडाउन और यात्रा प्रतिबंधों की वजह से विदेशों में फंसे भारतीयों को वापस लाने के लिए सात मई से ‘वंदे भारत मिशन’ शुरू किया था। अब तक जिन देशों के लिए उड़ानें निर्धारित की गई हैं, श्रीलंका उन देशों में शामिल नहीं है।

श्रीलंका पर्यटन एवं विकास प्राधिकरण के अनुसार वैश्विक महामारी के चलते लॉकडाउन और यात्रा प्रतिबंधों की वजह से 2,400 से अधिक भारतीय श्रीलंका में फंसे हैं। नोएडा निवासी तकनीकी विशेषज्ञ विनीता ने कोलंबो से फोन पर कहा, मैं दो महीने से कोलंबो में फंसी हूं। सीमित आर्थिक सहायता के साथ मैं इस देश में हर रोज जीवन के लिए संघर्ष कर रही हूं। मैंने इस संबंध में श्रीलंका स्थित भारतीय उच्चयोग से संपर्क किया है, लेकिन वहां से कहा गया है कि वतन वापसी के लिए भारत सरकार द्वारा अगले चरणों की घोषणा किए जाने तक मैं इंतजार करूं। यह बहुत ही दर्दनाक और दिल तोड़ने वाला है।’
विजयपाल सिंह अपनी पत्नी के साथ व्यस्त दिनचर्या से समय निकाल कर छुट्टी मनाने के लिए श्रीलंका गए थे और बच्चों को दादा-दादी के पास छोड़ गए थे। उनकी ‘छुट्टियां’ उनकी इच्छा के विपरीत काफी लंबी हो गईं। सिंह ने कहा, ‘हमने विराम लेने और एक-दूसरे के साथ समय बिताने की योजना बनाई थी, इसलिए हमने बच्चों को अपने माता-पिता के पास छोड़ दिया। चार दिन का ब्रेक अब बच्चों से मिलने का एक लंबा इंतजार बन गया है।’ टूरिस्ट वीजा पर श्रीलंका गए सतेंद्र मिश्रा ने कहा, ‘अब तक श्रीलंका से लोगों को वापस ले जाने के लिए किसी योजना की घोषणा नहीं की गई है। यहां हम लोगों का एक समूह है तथा हमारी बचत खत्म होती जा रही है। हर सुबह जब हम जागते हैं तो लगता है कि आज कोई अच्छी खबर होगी, लेकिन अब तक कोई समाचार नहीं है।’
चेन्नई निवासी रामकृष्णन श्रीनिवासन ने कहा, हमने श्रीलंका में भारतीय उच्चायोग से संपर्क किया है। वे हमें वापस भेजने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ कर रहे हैं। लेकिन अब तक कोई सकारात्मक उत्तर नहीं मिला है। जब तक उन्हें भारत सरकार से आदेश नहीं मिलता, वे क्या कर सकते हैं। लोगों को वापस लाने की सरकार की नीति के अनुसार वापसी के लिए आवश्यक कारण रखने वालों-जैसे गर्भवती महिलाओं, बुजुगरें, छात्रों और उन लोगों को वापस लाया जा रहा है जो संबंधित देश से निकाले जाने के खतरे का सामना कर रहे हैं।

भाषा
नई दिल्ली


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