विभाजन के लिए कांग्रेस नहीं बल्कि हिन्दू महासभा, मुस्लिम लीग जिम्मेदार: आनंद शर्मा

Last Updated 11 Dec 2019 01:43:06 PM IST

राज्य सभा में कांग्रेस के उप नेता आनंद शर्मा ने बुधवार को नागरिकता (संशोधन) विधेयक का पुरजोर विरोध करते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के इस आरोप को बेबुनियाद बताया कि देश के विभाजन के लिए कांग्रेस जिम्मेदार है।


कांग्रेस के नेता आनंद शर्मा राज्य सभा में नागरिकता(संशोधन)विधेयक का पुरजोर विरोध किया

शर्मा ने कहा कि देश के विभाजन के लिए कांग्रेस जिम्मेदार नही बल्कि द्विराष्ट्र का सिद्धांत सबसे पहले हिन्दू महासभा और मुस्लिम लीग ने दिया था और इसमें ब्रिटिश सरकार की भी भूमिका थी।

शर्मा ने सदन में गृह मंत्री अमित शाह की ओर से पेश किये गये इस विधेयक पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि हम इस विधेयक का केवल राजनीतिक रूप से नहीं कर रहे है बल्कि इसलिए इसके खिलाफ हैं क्योंकि यह संविधान की मूल भावना के न केवल विरुद्ध है बल्कि यह उसकी आत्मा को ठेस पहुंचाने वाला है और यह भारतीय गणतंत्र पर हमला है।

उन्होंने कहा कि 1937 में अहमदाबाद में हिन्दू महासभा के सम्मेलन में द्विराष्ट्र का सिद्धांत पहली बार पेश किया गया था जिसकी अध्यक्षता वीर सावरकर ने की थी। इसके बाद 1938 में मुस्लिम लीग की बैठक में भारत विभाजन का प्रस्ताव पारित किया गया था। विभाजन के पीछे अंग्रेजों की भी भूमिका थी। शाह इन बातों का उल्लेख क्यों नहीं करते। वह विभाजन का दोष कांग्रेस पर क्यों लगाते हैं, यह गलत है। उन्होंने कहा कि इतिहास को बदला नहीं जा सकता।

कांग्रेस नेता ने कहा कि संविधान निर्माताओं ने नागरिकता के मुद्दे को बहुत गंभीरता से लिया था और इस पर व्यापक चर्चा की गयी थी, इसके बाद ही संविधान में इससे संबंधित प्रावधान किये थे। उन्होंने नागरिकता के मामले में धर्म को आधार नहीं बनाया था और क्या वह समझदार नहीं थे।

शर्मा ने कहा कि 1955 में बने नागरिकता कानून में अब तक नौ बार संशोधन हो चुके  हैं लेकिन संविधान की मूल भावनाओं में कोई परिवर्तन नहीं किया गया और कभी भी धर्म के आधार पर इसमें कोई प्रावधान नहीं किये गये। उन्होंने कहा कि  तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में भी इस पर चर्चा हुई लेकिन जब कभी संशोधन हुए तब भारत सरकार ने धर्म को आधार नहीं बनाया।

कांग्रेस  नेता ने कहा कि यह संशोधन विधेयक संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 के  प्रावधानों का उल्लंघन करता है जिनमें नागरिकों को समानता का अधिकार दिया गया है और धर्म, नस्ल एवं जाति के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया गया है।

उन्होंने कहा कि इस विधेयक के कारण असम जल रहा है, बच्चे सड़कों पर हैं और  इस विधेयक के लागू होने से पूरे देश में क्या यूरोप के यातना शिविर के तर्ज पर शरणार्थी शिविर बना दिये जायेंगे।

उन्होंने शाह से अपील की कि वह  अपनी जिद छोड़ें इस विधेयक को  व्यापक चर्चा के लिए संसदीय समिति के पास  विचारार्थ भेंजे क्योंकि 2016 में लाये गये नागरिकता विधेयक में काफी  परिवर्तन किये गये है और उन पर कोई चर्चा नहीं की गयी है।

कांग्रेस नेता कहा कि विभाजन के बाद लाखों लोग देश में शरणार्थी बन कर आये जिनमें सभी धर्मों के लोग थे। उन्हें न केवल नागरिकता दी गयी बल्कि उनको पूरे सम्मान और अधिकार दिये गये। उनमें से दो शख्सियतें इन्द्र कुमार गुजराल और डॉ मनमोहन सिंह देश के प्रधानमंत्री बने।

उन्होंने कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार को दलगत राजनीति से ऊपर उठकर और आम सहमति बनाकर इस विधेयक को पारित करने की अपील की और कहा कि वह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के चश्मे का केवल विज्ञापन में इस्तेमाल न करें बल्कि उस चश्मे से पूरे हिन्दुस्तान और मानवता को देखें और जल्दबाजी में इस विधेयक को पारित न करायें।

उन्होंने स्वामी विवेकानंद के शिकागो में वि धर्म सम्मेलन में दिये गये भाषण का जिक्र करते हुए कहा कि भारत शुरू से ही दुनिया के सभी धर्म के लोगों को शरण देता रहा है।

उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के मशहूर कथन को उद्धृत करते हुए कहा कि हमें अपने दरवाजे और खिड़कियों को खोल कर रखना चाहिए तथा अपनी संस्कृति को बचाये रखते हुए सभी संस्कृतियों का स्वागत करना चाहिए।
 

 

वार्ता
नयी दिल्ली


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